July 12, 2019

क्रिकेट एक ग़ुलामी

#विम्बलडन ........!!!!!!!  क्रिकेट एक ग़ुलामी

         वो शायद वर्ष -2014 था । विम्बलडन की Grass court पर #ग्रैंडस्लैम की धाकड शेरनी ,चैंपियन #मारिया_शारापोवा  खेल रही थी । ....

               छ: फुट दो इंच लंबी शारापोवा ,का मैच देखने के लिए , अपने "लिटिल मास्टर" तेंदुलकर साहब भी #तशरीफ लाये थे । सचिन अक्सर विम्बलडन कोर्ट पर , टेनिस का #लुत्फ लेने के लिए जाते रहते थे ।

       उस दिन , Royal Box मे , सचिन के अलावा इंग्लैंड के विश्व प्रसिद्ध फुटबाल खिलाडी "डेविड बैकहम" भूतपूर्व क्रिकेट कप्तान एन्ड्रयू स्ट्राॅस तथा गोल्फ खिलाडी इयान पाॅल्टर भी  मौजूद थे। हालांकि सचिन विम्बलडन के Frequent visitor थे।

       खैर , मैच के बाद , मारिया की प्रेस कांफ्रेंस चल रही थी , तभी किसी ने उनसे Royal box मे मौजूद लोगो के बारे मे पूछ लिया , मारिया तुरंत #डेविडबैकहम की शान मे कसीदे पढने लगी । उनकी महानता का गुणगान किया , फुटबाल मे योगदान को सराहते हुए , उसे जबरदस्त खिलाडी और बेहद अच्छा इंसान बताया । तभी किसी ने उससे सचिन तेंदुलकर के बारे मे पूछ लिया ।

        मारिया ने कहा ,कि कौन है सचिन तेंदुलकर ??
मै नही जानती । इस रूसी #सनसनी ने  ना तो सचिन तेंदुलकर के बारे मे सुना था , और ना ही वे उनके  खेल के बारे मे कुछ जानती थी ।

            बस , फिर क्या था , खबर के India पहुँचने की देर थी , हमारे कट्टर झट्टर किस्म के खेल प्रेमी ,उसी प्रकार "मारिया शारापोवा" पर चढ दौडे , जैसे आज मेरी पिछली #पोस्ट पर भडके हुए है ।

     भाई , क्रिकेट प्रेमियो, जरूरी नही कि , दुनिया के अधिकांश देश क्रिकेट से परिचित हो , क्योकिं ये खेल ब्रिटिश दासता के आधीन रहे कुछ गिने चुने  देशो मे ही खेला जाता है । और ये भी जरूरी नही कि , आप यदि तेंदुलकर को #विश्व_पटल पर हस्ती मानते है ,तो दुनिया के दूसरे देशो मे भी ऐसा ही माहौल हो ।

      यूरोप और अमेरिकी देशो के अखबार के खेल के पन्नो पर क्रिकेट या क्रिकेटरो की तस्वीर तक नही छपती । रूस , तथा #रशियन_फेडरेशन के देशो मे भी यही हाल है । लैटिन अमेरिका , अफ्रीका और यूरोप तो बस #फुटबाल की दीवानगी मे डूबे रहते है । अरब देशो मे भी फुटबाल ही सर्वाधिक लोकप्रिय खेल है ।

                अब आते है क्रिकेट के जन्मदाता इंग्लैड पे , तो आपको पता होना चाहिये , कि क्रिकेट वहाँ काफी खेला जाता  है , मगर वहाँ की #बहुसंख्यक आबादी को फुटबाल और बाॅक्सिंग जैसे खेलो मे दिलचस्पी है । क्रिकेट वहाँ जूनून की हद तक लोकप्रिय नही । वहाँ रूनी और बेकहम जैसे फुटबाॅलर स्पोर्ट्स #सेलेब्रिटी है ,क्रिकेट खिलाडी नही ।

        ब्रिटेन के लोग #फुटबाल को अपना राष्ट्रीय खेल मानते है क्रिकेट को नही । क्रिकेट कम सक्रियता वाले लोगो का #टाईमपास है ।
     
        आपको , इंग्लैंड टीम का #आलराउंडर "एंड्रयू फ्लिनटाॅफ " याद है ??? ये बंदा इंग्लैड के लिए अच्छी क्रिकेट खेला , मगर जल्दी ही उसने क्रिकेट को अलविदा कह दिया और बाद मे वो #प्रोफेश्नल_बाॅक्सर बना ।

               तो ये वहम दिल से दूर कर लीजिए , कि क्रिकेट खिलाडी ,विश्व स्तर पर बहुत बडी स्पोर्ट्स पर्सनैलिटी होते है । ये क्रिकेट को लेकर जो जूनून , और दीवानगी हमारे देश मे है । वो कहीं नही है । दीवानगी है तो फुटबाल के लिए । अधिकांश मशहूर खिलाडी तो बेचारे क्रिकेटरो का नाम तक नही जानते।

    इंग्लैंड मे होने वाले मैचो मे , अधिकांशत: वहाँ रहने वाले भारतीय, और #पाकिस्तानी ही भीड बढाते है । नही तो अन्य मैचो मे #स्टेडियम की सीटे खाली पडी रहती है ।

       खेल है , खेल की तरह लीजिए , जीवनशैली को एडजेस्ट करने की नौबत मत आने दीजिए। इस खेल के पीछे का #बाजारवाद , हमारे इसी जूनून की देन है। कि .....

       "पेप्पी पियो ,वर्ल्ड कप जाओ "

      " बिस्कुट खाओ , वर्ल्ड कप जाओ"

हमने इस खेल की #आवरडोज ले रखी है। शायद इसीलिए हमारा हाजमा दुरूस्त नही होता 

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