March 18, 2020

सत्य घटनाएं

▪इतिहास गवाह है कि कपड़े धोते वक्त पति की जेब से मिले पैसे बीवियों ने आज तक वापस नहीं किए।
▪इतिहास गवाह है कि आदमी नहाने के बाद बाल्टी में उतना ही पानी छोड़ता है जितने से उसकी चड्डी धुल सके।
▪इतिहास गवाह है कि गुटखा खाते वक्त किसी से बातचीत करते हुए जब-जब भी आदमी ने गुटखा बीच में ही थूका है तब-तब उसने बहुत ज्ञान की बात बताई है।
▪इतिहास गवाह है कि हर गांव में एक दो बुड्ढे ऐसे होते हैं जिनसे भूत ने कभी बीड़ी मांगी होती है।
▪इतिहास गवाह है कि सब्जी खरीदने के बाद जो भी पैसे बच जाते हैं, वही बेरोजगारों की आय का मुख्य स्त्रोत है।
▪इतिहास गवाह है कि अलार्म बजने से परिवार के सारे लोग उठ जाते हैं सिवाय उसके,जिसने अलार्म लगाया हो।
▪इतिहास गवाह है कि महिलाओं ने मोलभाव करते समय दुकानदार को हमेशा पिछली दुकान का हवाला दिया है।
▪इतिहास गवाह है कि अगर कोई पटरी पर ये देखने गया है कि ट्रेन आ रही है या नहीं, तो वह बिना थूके वापस नहीं आया है।
▪इतिहास गवाह है कि लड़कियों को अपनी मंजिल पर पहुंचने से कोई नहीं रोक पाया है, सिवाय रास्ते में खड़े गोलगप्पे वाले के।
▪इतिहास गवाह है कि रोटी के बाद सबसे ज्यादा खाई जाने वाली चीज 'कसम' है, 'गुटखा' अभी भी तीसरे नंबर पर है।
▪इतिहास गवाह है कि शादी के बाद लड़के का हमेशा पहला फर्ज रहा है- टेंट वाले के सारे बर्तन पूरे करना।
▪इतिहास गवाह है कि सर्दियों में ऐसी कोई रात नहीं रही है जब रजाई में घुसने के बाद सु-सु न आई हो।
▪इतिहास गवाह है कि संस्कृत दसवीं कक्षा के बाद सीधी 'फेरों' पर ही सुनने को मिली है।
▪इतिहास गवाह है कि 49 या 99 का रिचार्ज करवाने पर दुकान वाले ने बचा हुआ एक रुपया वापस ना देकर हमेशा उसकी टॉफी ही खिलाई है |
▪इतिहास गवाह है कि आम खाने के बाद इंसान ने गुठली पर उतना ही आम छोड़ा है जितनी ट्यूब में कॉलगेट।
▪इतिहास गवाह है कि भारत में शुरू से ही अच्छे बॉलर नहीं रहे क्योंकि बैटिंग करने के बाद साला हमेशा से ही घर भागने की परंपरा रही है।
▪इतिहास गवाह है कि होटल में रुका हुआ आदमी कमरे के परदे और तौलिए से जूते पोंछे बगैर वहां से नहीं गया है।
▪इतिहास गवाह है कि 'पढ़ाई' और 'जिम' कल से शुरू होते हैं तथा 'सिगरेट' और 'दारू' कल से बंद।
(सत्य घटनाओं पर आधारित)

BRAND Archetypes through lens -Indian-Brands

There has been so much already written about brand archetypes and this is certainly not one more of those articles. In fact, this is rather ...