June 26, 2019

आखिर RSS की स्थापना क्यों हुई

❓❓ आखिर RSS की स्थापना  क्यों हुई ? ❓❓

इस प्रश्न का उत्तर पूरा पढ़िए......

संसद में मोदी जी ने हामिद मियां पर तंज कसते हुए कहा था कि आपके परिवार के लोगों ने खिलाफत आंदोलन में भाग लिया था, जिस पर हामिद मियां खींसे निपोरते रह गए !
तो क्या था यह खिलाफत आंदोलन ! जिसे सुनते ही हामिद मियां और कांग्रेस असहज हो उठी ? जानने के लिए पूरी पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़ें।

खिलाफत जानने से पहले आइए पहले जरा खलीफा को जान लें । खलीफा एक अरबी शब्द है जिसे अंग्रेज़ी में Caliph (खलीफ) या अरबी भाषा मे Khalifah (खलीफा) कहा जाता है, तो कौन होता है खलीफा ? खलीफा मुसलमानों का वह धार्मिक शासक (सुल्तान) होता है, जिसे मुसलमान मुहम्मद साहब का वारिस या Successor मानते हैं । खलीफा का काम होता है युद्ध करके पूरे विश्व पर इस्लाम का निज़ाम कायम करना (जो कश्मीर में बुरहान वानी करना चाहता था), यानी इस्लाम की ऐसी हुकूमत कायम करना, जिसमे इस्लामिक यानी शरीया कानून चले और जिसमें इस्लाम के अलावा किसी और धर्म की इजाजत नही होती है ? जितने हिस्से या राज्य पर खलीफा राज करता है उसे Caliphate यानी अरबी भाषा में Khilafa (खिलाफा) कहते हैं, खलीफा यानी "इस्लामिक सुल्तान" और खिलाफा यानी इस्लामिक राज्य ।

1919-22 के दौरान Turkey यानी तुर्की में ओटोमन वंश के आखिरी सुन्नी खलीफा अब्दुल हमीद-2 का खिलाफा यानी शासन चल रहा था, जो कि जल्दी ही धराशाई होने वाला था, इस आखिरी इस्लामिक खिलाफा (शासन) को बचाने के लिए अब्दुल हमीद-2 ने जिहाद का आह्वान किया, ताकि विश्व के मुसलमान एक होकर इस आखिरी खिलाफा यानी इस्लामिक शासन को बचाने आगे आएं ।

पूरे विश्व मे इसकी कोई प्रतिक्रिया नही हुई सिवाए भारत के, भारत के अलावा एशिया का कोई भी दूसरा देश इस मुहिम का हिस्सा नही बना, लेकिन भारत के कुछ मुट्ठी भर मुसलमान इस मुहिम से जुड़ गए और हजारों किलोमीटर दूर, सात समंदर पार तुर्की के खिलाफा यानी इस्लामिक शासन को बचाने और अंग्रेज़ों पर दबाव बनाने निकल पड़े, जबकि इस समय भारत खुद गुलाम था और अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था, लेकिन अंतः 1922 में तुर्की से सुल्तान के इस्लामिक शासन को उखाड़ फेंका गया और वहाँ सेक्युलर लोकतंत्र राज्य की स्थापना हुई और कट्टर मुसलमानों का पूरे विश्व पर राज करने का सपना टूट गया, इसी सपने को संजोए आजकल ISIS काम कर रहा है ।

भारत के चंद मुसलमानों ने अंग्रेज़ी हुकूमत पर दबाव बनाने के लिए बाकायदा एक आंदोलन खड़ा किया , जिसका नाम था खिलाफा आंदोलन (Caliphate Movement) अब क्योंकि अंग्रेज़ी में लिखे जाने पर इसका हिन्दी उच्चारण खलिफत होता है (अरबी में Caliphate को Khilafa = खिलाफा लिखते है) तो 
कांग्रेस ने बड़ी ही चतुराई से इसका नाम खिलाफत आंदोलन रख दिया ताकि देश की जनता को मूर्ख बनाया जा सके और लोगों को लगे कि यह खिलाफत आंदोलन अंग्रेज़ो के खिलाफ है, जबकि इसका असल मकसद Purely Religious यानी पूर्णतः धार्मिक था ? इसका भारत की आज़ादी या उसके आंदोलन से कोई लेना देना नही था ?
 👉 कुछ समझ मे आया ? कैसे शब्दों की बाज़ीगरी से जनता को मूर्ख बनाया जा रहा था, कैसे खलिफत को खिलाफत बताया जा रहा था, (ठीक वैसे ही जैसे Feroze Khan Ghandi (घांदी) को Feroze Gandhi (फ़िरोज़ गांधी) बना दिया गया) ?

उस समय भारत मे इतने पढ़े लिखे लोग और नेता नही थे कि गांधी नेहरू की इस चाल को समझ सकें, लेकिन इन सब के बीच कांग्रेस में एक पढ़ा लिखा व्यक्तित्व उपस्थित था , जिनका नाम था "डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार" । इन्होंने इस आंदोलन का जम कर विरोध किया, क्योंकि खिलाफा सिर्फ तुर्की तक सीमित नहीं रहना था, इसका उद्देश्य तो पूरे विश्व पर इस्लाम की हुकूमत कायम करना था जिसमे गजवा-ए-हिन्द यानी भारत भी शामिल था !
डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस के गांधी और नेहरू को बहुत समझने की कोशिश की, लेकिन वे नही माने । अंतः डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस के इस खिलाफत आंदोलन का विरोध किया और कांग्रेस छोड़ दी ? 
👉 तो अब समझ मे आया मित्रों की कांग्रेसी जो कहते हैं कि RSS ने आज़ादी के आंदोलन का विरोध किया था, तो वो असल में किस आंदोलन का विरोध था ? आप डॉ हेगड़ेवार के स्थान पर होते तो क्या करते ? क्या आप भारत को गज़वा-ए-हिन्द यानी इस्लामिक देश बनते देखते ? या फिर डॉ साहब की भांति इसका विरोध करते ?

1919 में खिलाफत आंदोलन शुरू हुआ था और 1920 में डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस छोड़ दी और सभी को इस आंदोलन के बारे में जागरूक किया कि इस आंदोलन का भारत की स्वतंत्रता से कोई लेना देना नहीं है और यह एक इस्लामिक आंदोलन है ! जिसका परिणाम यह हुआ कि यह आंदोलन बुरी तरह फ्लॉप हुआ और 1922 में अंतिम इस्लामिक हुकूमत धराशाई हो गयी !

मुस्लिम नेता इससे बौखला गए और मन ही मन हिन्दुओ और संघ को अपना शत्रु मानने लगे और इसका बदला उन्होंने 1922-23 में केरल के मालाबार में हिन्दुओ पर हमला करके लिया और असहाय एवं अनभिज्ञ हिन्दुओ को बेरहमी से काटा गया , हिन्दू लड़कियों की इज़्ज़त लूटी गई, जबकि इस आंदोलन का भारत या उसके पड़ोसी देशों तक से कोई लेना देना नही था ?

1923 के दंगों में गांधी ने हिन्दुओ को ही दोषी ठहराते हुए हिन्दुओ को कायर और बुजदिल कहा था । गांधी ने कहा हिन्दू अपनी कायरता के लिए मुसलमानों को दोषी ठहरा रहे हैं, अगर हिन्दू अपने जान माल की सुरक्षा नही कर सकते, तो इसमें मुसलमानों का क्या दोष ? 😲 हिन्दुओं की औरतों की इज्जत लूटी जाती है तो इसमें हिन्दू दोषी है ? कहाँ थे उसके रिश्तेदार जब उस लड़की की इज्जत लूटी जा रही थी ? कुल मिलाकर गांधी ने सारा दोष दंगा प्रभावित हिन्दुओं पर मढ़ दिया और कहा कि उन्हें हिन्दू होने पर शर्म आती है, जब हिन्दू कायर होगा तो मुसलमान उस पर अत्याचार करेगा ही ?

डॉ हेगड़ेवार को अब समझ आ चुका था कि सत्ता के भूखे भेड़िये भारत की जनता की बलि देने से नही चूकेंगे, इसलिए उन्होंने हिन्दुओ की रक्षा और उनको एकजुट करने के उद्देश्य से तत्काल एक नया संगठन बनाने का काम प्रारंभ कर दिया और अंततः 1925 में संघ (RSS)  की स्थापना हुई !

आज अगर हम होली और दीवाली मनाते हैं, आज अगर हम हिन्दू हैं, तो केवल उसी खिलाफत आंदोलन के विरोध और संघ की स्थापना की कारण, अन्यथा तो जाने कब का गजवा-ए-हिन्द बन चुके होते ?



#संघ शक्ति युगे युगे।
#नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे।

🚩🚩🚩 जय श्रीराम  🚩🚩🚩

समाज के लिए विचारणीय ... TODAY'S SOCIETY MUST THINK

समाज के लिए विचारणीय

(1) आज काफी लड़कियो के माँ बाप अपनी बेटियो की शादी मे बहुत विलंब  कर रहे है ,उनको अपने बराबरी के रिश्ते पसंद नही आते और जो बड़े घर पसंद आते है उनको लड़की पसंद नही आती, शादी की सही उम्र 18 से 22 तक है पर आज माँ बाप ने और अच्छा करते करते  उम्र 28 से 36 कर दी है । जिससे उनकी बेटियो के चेहरे की चमक भी कम होती जाती है । और अधिक उम्र में  शादी होने के उपरांत वो लड़का उस लड़की को वो प्यार नही दे पाता जिसकी  हकदार वो लड़की है । किसी भी समाज मे 30% डिवोर्स की वजह यही दिखाई दे रही है । आज जीने की उम्र छोटी हो चुकी है पहले की तरह 100+ या 80+ नही होती, अब तो केवल 65+ तक जीने को मिल पायेगा इसी वजह से आज लड़के उम्र से पहले ही बूढ़े नजर आते है सर गंजा हो जाता है ।
    (2) आज लड़की ओर लड़के वाले दोनों पक्ष बच्चों के पैकेज पर ध्यान दे रहे है बजाए संस्कारों के...अगर पैकेज बराबर का नहीं मिलता तो हम माँ बाप उसको inferiority का नाम दे देते है.. अगर बच्चा संस्कारी है.. शिक्षित हैं.. आपके बच्चे के अनुरूप है तो पैसा तो भविष्य मे वो कमा ही लेंगे... हमे अच्छा जीवनसाथी तलाशना है  जो हमारे बच्चे को मान सम्मान दे...
     (3) कुंडली मिला के जिन्होंने भी रिश्ते किये आज उनके भी रिश्ते टूटे है ,फिर आप लोग क्यो कुंडली का जिक्र कर के रिश्ता ठुकरा देते है इतिहास गवाह है हमारे पूर्वजो ने शायद कभी कुंडली नही मिलायी और सकुशल अपनी शादी की 75 वी सालगिरह तक मनाई, आप कुंडली को माध्यम बनाके बच्चों को घर मे बिठा के रखे है उमर बढ़ती जा रही है, आता जाता हर यार दोस्त रिश्तेदार सवाल कर जाता है कब कर रहे हो शादी आपसे 10 वर्ष कम आयु के लोगो को 8 साल के बच्चे भी हो गए आप 32-35 मे शादी करेंगे तो आपके बच्चों की शादी के वक्त आप अपने ही बच्चों के दादा दादी नजर आएंगे।
   (4) आप घर कैसा भी चयन करे लड़की का भाग्य उसके पैदा होने से पहले ही उसके कर्मोंने लिख दिया है, भाग्य मे सुख लिखे है तो अंधेरे घर मे भी रोशनी कर देगी दुख लिखे है तो पैसे वाले भी डूब जाते है।
    (5) अंतिम मे बस इतना ही कहना है कि अपने बच्चों की उम्र बर्बाद ना करे, गयी उम्र लौट कर नही आती दुसरो को देख कर अपने लिए वैसा रिश्ता देखना मूर्खता है आप अपने बच्चों की बढ़ती उम्र के दुख को समझिए रिश्ता वो करिये, जिस लड़के वालो मे लालच ना हो, लड़का संस्कारी हो, जो आपकी बेटी को प्यार करे, उसकी इज्जत करे, उम्र बहूत छोटी है आप इतने जमीन जायदाद देख कर क्या कर लेंगे कौन अपने साथ एक तिनका भी ले जा पाया है । बच्चों की बाकी उम्र उनके जीवन साथी के साथ जीने दीजिये समय बहुत बलवान है आज की लडकिया पढ़ी लिखी है वो अपने परिवार के साथ कुछ अच्छा तो कर ही सकती है ।
(6) अपनी लड़कियों के लिए साधन संपन्न घर में रिश्ता तलाशने की बजाय संस्कारी घर मे तलाश करें,योग्यता होगी तो साधन सम्पन्न वे खुद हो जाएंगे,और सहीं मायने में तभी उसकी कद्र करेंगे ।
(7) यदि कन्या वाले मध्यम वर्गीय परिवार से हैं तो अपने बीच के परिवार से ही रिश्ता करिये,आपकी लड़की अपना भाग्य खुद सवांर लेगी,योग्यता और संस्कार के बूते पर ।

गहरे मन से विचार करे जरूर आपको एक उम्मीद की रोशनी दिखेगी ,और रिश्तों की राह आसान हो जाएगी l
🙏🙏

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Hindu religion knowledge

. पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -
1. युधिष्ठिर    2. भीम    3. अर्जुन
4. नकुल।      5. सहदेव

( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )

यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन
की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।

वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..
कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -
1. दुर्योधन      2. दुःशासन   3. दुःसह
4. दुःशल        5. जलसंघ    6. सम
7. सह            8. विंद         9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष       11. सुबाहु।   12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण।   14. दुर्मुख     15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण     17. शल       18. सत्वान
19. सुलोचन   20. चित्र       21. उपचित्र
22. चित्राक्ष     23. चारुचित्र 24. शरासन
25. दुर्मद।       26. दुर्विगाह  27. विवित्सु
28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ
31. नन्द।        32. उपनन्द   33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा    35. सुवर्मा    36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु   38. महाबाहु  39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग  42. भीमबल
43. बालाकि    44. बलवर्धन 45. उग्रायुध
46. सुषेण       47. कुण्डधर  48. महोदर
49. चित्रायुध   50. निषंगी     51. पाशी
52. वृन्दारक   53. दृढ़वर्मा    54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति  56. अनूदर    57. दढ़संघ 58. जरासंघ   59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा   62. उग्रसेन     63. सेनानी
64. दुष्पराजय        65. अपराजित
66. कुण्डशायी        67. विशालाक्ष
68. दुराधर   69. दृढ़हस्त    70. सुहस्त
71. वातवेग  72. सुवर्च    73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी   75. नागदत्त 76. उग्रशायी
77. कवचि    78. क्रथन। 79. कुण्डी
80. भीमविक्र 81. धनुर्धर  82. वीरबाहु
83. अलोलुप  84. अभय  85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय    87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी।     89. विरवि
90. चित्रकुण्डल    91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि    93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान     95. दीर्घबाहु
96. सुजात।         97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी        99. विरज
100. युयुत्सु

( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहनभी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,
जिसका विवाह"जयद्रथ"सेहुआ था )

"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-

ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।

ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।

ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।

ॐ. कोनसी तिथि को?
उ.- एकादशी

ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।

ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में

ॐ. क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।

ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय

ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक

ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।

ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने

ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को

ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में

ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।

ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद

ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना

ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 85
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.

अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद

अधूरा ज्ञान खतरना होता है।

33 करोड नहीँ  33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू
धर्म मेँ।

कोटि = प्रकार।
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,

कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।

हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...

कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-

12 प्रकार हैँ
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!

8 प्रकार हे :-
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।

11 प्रकार है :-
रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।

एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।

कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी

अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है
तो इस जानकारी को अधिक से अधिक
लोगो तक पहुचाएं। ।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
१ हिन्दु हाेने के नाते जानना ज़रूरी है

This is very good information for all of us ... जय श्रीकृष्ण ...

अब आपकी बारी है कि इस जानकारी को आगे बढ़ाएँ ......

अपनी भारत की संस्कृति
को पहचाने.
ज्यादा से ज्यादा
लोगो तक पहुचाये.
खासकर अपने बच्चो को बताए
क्योकि ये बात उन्हें कोई नहीं बताएगा...

📜😇  दो पक्ष-

कृष्ण पक्ष ,
शुक्ल पक्ष !

📜😇  तीन ऋण -

देव ऋण ,
पितृ ऋण ,
ऋषि ऋण !

📜😇   चार युग -

सतयुग ,
त्रेतायुग ,
द्वापरयुग ,
कलियुग !

📜😇  चार धाम -

द्वारिका ,
बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पुरी ,
रामेश्वरम धाम !

📜😇   चारपीठ -

शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,
शृंगेरीपीठ !

📜😇 चार वेद-

ऋग्वेद ,
अथर्वेद ,
यजुर्वेद ,
सामवेद !

📜😇  चार आश्रम -

ब्रह्मचर्य ,
गृहस्थ ,
वानप्रस्थ ,
संन्यास !

📜😇 चार अंतःकरण -

मन ,
बुद्धि ,
चित्त ,
अहंकार !

📜😇  पञ्च गव्य -

गाय का घी ,
दूध ,
दही ,
गोमूत्र ,
गोबर !

📜😇  पञ्च देव -

गणेश ,
विष्णु ,
शिव ,
देवी ,
सूर्य !

📜😇 पंच तत्त्व -

पृथ्वी ,
जल ,
अग्नि ,
वायु ,
आकाश !

📜😇  छह दर्शन -

वैशेषिक ,
न्याय ,
सांख्य ,
योग ,
पूर्व मिसांसा ,
दक्षिण मिसांसा !

📜😇  सप्त ऋषि -

विश्वामित्र ,
जमदाग्नि ,
भरद्वाज ,
गौतम ,
अत्री ,
वशिष्ठ और कश्यप!

📜😇  सप्त पुरी -

अयोध्या पुरी ,
मथुरा पुरी ,
माया पुरी ( हरिद्वार ) ,
काशी ,
कांची
( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,
अवंतिका और
द्वारिका पुरी !

📜😊  आठ योग -

यम ,
नियम ,
आसन ,
प्राणायाम ,
प्रत्याहार ,
धारणा ,
ध्यान एवं
समािध !

📜😇 आठ लक्ष्मी -

आग्घ ,
विद्या ,
सौभाग्य ,
अमृत ,
काम ,
सत्य ,
भोग ,एवं
योग लक्ष्मी !

📜😇 नव दुर्गा --

शैल पुत्री ,
ब्रह्मचारिणी ,
चंद्रघंटा ,
कुष्मांडा ,
स्कंदमाता ,
कात्यायिनी ,
कालरात्रि ,
महागौरी एवं
सिद्धिदात्री !

📜😇   दस दिशाएं -

पूर्व ,
पश्चिम ,
उत्तर ,
दक्षिण ,
ईशान ,
नैऋत्य ,
वायव्य ,
अग्नि
आकाश एवं
पाताल !

📜😇  मुख्य ११ अवतार -

 मत्स्य ,
कच्छप ,
वराह ,
नरसिंह ,
वामन ,
परशुराम ,
श्री राम ,
कृष्ण ,
बलराम ,
बुद्ध ,
एवं कल्कि !

📜😇 बारह मास -

चैत्र ,
वैशाख ,
ज्येष्ठ ,
अषाढ ,
श्रावण ,
भाद्रपद ,
अश्विन ,
कार्तिक ,
मार्गशीर्ष ,
पौष ,
माघ ,
फागुन !

📜😇  बारह राशी -

मेष ,
वृषभ ,
मिथुन ,
कर्क ,
सिंह ,
कन्या ,
तुला ,
वृश्चिक ,
धनु ,
मकर ,
कुंभ ,
मीन!

📜😇 बारह ज्योतिर्लिंग -

सोमनाथ ,
मल्लिकार्जुन ,
महाकाल ,
ओमकारेश्वर ,
बैजनाथ ,
रामेश्वरम ,
विश्वनाथ ,
त्र्यंबकेश्वर ,
केदारनाथ ,
घुष्नेश्वर ,
भीमाशंकर ,
नागेश्वर !

📜😇 पंद्रह तिथियाँ -

प्रतिपदा ,
द्वितीय ,
तृतीय ,
चतुर्थी ,
पंचमी ,
षष्ठी ,
सप्तमी ,
अष्टमी ,
नवमी ,
दशमी ,
एकादशी ,
द्वादशी ,
त्रयोदशी ,
चतुर्दशी ,
पूर्णिमा ,
अमावास्या !

📜😇 स्मृतियां -

मनु ,
विष्णु ,
अत्री ,
हारीत ,
याज्ञवल्क्य ,
उशना ,
अंगीरा ,
यम ,
आपस्तम्ब ,
सर्वत ,
कात्यायन ,
ब्रहस्पति ,
पराशर ,
व्यास ,
शांख्य ,
लिखित ,
दक्ष ,
शातातप ,
वशिष्ठ !

******* *

STORY - ADI SHANKARACHARYA & LOST NEEDLE

One night Sri Adi Shankaracharya, the great Advaita Master, was desperately searching for something on the street outside his small hut.

When his pupil returned from his errand, he saw this and curiously asked the Master, “Aacharya, what are you looking for here on the street at this hour?”

Shankaracharya replied, “I lost my needle, I am looking for it.”

The pupil joined him in the search, but after searching for a while, he asked, “Can you try and recollect where you might have dropped it?”

Shankaracharya said, “Of course, I remember. I dropped it near the bed in the hut.”

The pupil, utterly astonished at the strange answer, said, “Aacharya, you say you lost it inside the house, then why are we looking for it outside?”

Shankaracharya innocently replied, “There is no oil left in the lamp, so it is pitch dark inside the house. Hence I thought of searching for it outside, since there is enough street light here.”

While holding back his laugh, the pupil said, “If you lost your needle inside the house, how could you even expect to find it outside?”

Shankaracharya simply smiled back at the pupil and said, "Isn't that what we do? We run to far away temples and walk up mountains to search for what we have lost inside ourselves. We are all seeking outside what we have lost inside us. Why? Just because it is pitch dark inside.
Silly, aren’t we?"

"Light the lamp inside you and find your lost treasure right therein."

Inspirational Activity


एक बार पचास लोगों का ग्रुप।  किसी मीटिंग में हिस्सा ले रहा था।
मीटिंग शुरू हुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि  स्पीकर अचानक
ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारे 🏉देते हुए बोला , ” आप
सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर से अपना नाम लिखना है। ” सभी ने
ऐसा ही किया।

अब गुब्बारों को एक दुसरे कमरे में रख दिया गया।
स्पीकर ने अब सभी को एक साथ कमरे में जाकर पांच मिनट के अंदर💫✨💥
अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने के लिए कहा।

सारे पार्टिसिपेंट्स
तेजी से रूम में घुसे और पागलों की तरह अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने
लगे।

पर इस अफरा-तफरी में किसी को भी अपने नाम
वाला गुब्बारा नहीं मिल पा रहा था…

5 पांच मिनट बाद सभी को बाहर
बुला लिया गया।

स्पीकर बोला , ” अरे! क्या हुआ , आप
सभी खाली हाथ क्यों हैं ? क्या किसी को अपने नाम
वाला गुब्बारा नहीं मिला ?” ”

नहीं ! हमने बहुत ढूंढा पर
हमेशा किसी और के नाम का ही गुब्बारा हाथ आया…”, एक
पार्टिसिपेंट कुछ मायूस होते हुए बोला।

🏉“कोई बात नहीं , आप लोग एक
बार फिर कमरे में जाइये , पर इस बार जिसे जो भी गुब्बारा मिले उसे
अपने हाथ में ले और उस व्यक्ति को दे दे जिसका नाम उसपर
लिखा हुआ है । “, स्पीकर ने निर्दश दिया।

🏉एक बार फिर सभी पार्टिसिपेंट्स कमरे में गए, पर इस बार सब शांत थे , और कमरे
में किसी तरह की अफरा- तफरी नहीं मची हुई थी। सभी ने एक दुसरे
को उनके नाम के गुब्बारे दिए और तीन मिनट में ही बाहर निकले आये।

स्पीकर ने गम्भीर होते हुए कहा ,

 ☝☝” बिलकुल यही चीज हमारे जीवन में भी हो रही है।
हर कोई अपने लिए ही जी रहा है , उसे इससे कोई
मतलब नहीं कि वह किस तरह औरों की मदद कर सकता है , वह तो बस पागलों की तरह अपनी ही खुशियां ढूंढ रहा है , पर बहुत ढूंढने के बाद
भी उसे कुछ नहीं मिलता ,

👉👉  हमारी ख़ुशी दूसरों की ख़ुशी में छिपी हुई है।

👌👉 जब हम औरों को उनकी खुशियां देना सीख जायेंगे
👌👉तो अपने आप ही हमें हमारी खुशियां मिल जाएँगी।

✌👌   👇

और यही मानव-
जीवन का उद्देश्य भी है.....

दामाद / जवाई :- तब और अब



दामाद / जवाई :- तब और अब

1. पहले के जवांई के जब आने का पता चलता तो ससुर जी दाढ़ी बनाकर और नए कपङे पहनकर स्वागत के लिए कम्पलीट रहते थे।
😂😂
2. जवांई आ जाते तो बहुत मान मनवार मिलती और छोरी दौड़कर रसोई में घुस जाती थी। सासुजी पानी पिलाती और धीरे से कहती :- “आग्या कांई" ?
😄😄
3. आने का समाचार मिलते ही गली मोहल्ले के लोग चाय के लिए बुलाते थे,
और
काकी सासुजी या भाभियां तो आटे का हलवा भी बनाती थी ।
😝😝
4. जवांई खुद को ऐसा महसूस करता था कि वो पूरे गांव का जवांई है ।
😛
5. जवांई के घर में आने के बाद घर के सब लोग डिसिप्लिन में आ जाते थे ।
😝
6. जवांई बाथरूम से निकलते तो उनके हाथ सन्तूर साबुन से धुलवाते, भले खुद उजाला साबुन से नहाते थे ।
😜
7. जवांई अगर रात में रुक जाते तो सुबह उनका साला पेस्ट और ब्रश हाथ में लेकर आस पास घूमता रहता था ।
😂
8. जब जवांई का अपनी बीवी को लेकर जाने का समय हो जाता तो वो स्कूटर को पहले गैर में डालकर भन्ना भोट निकालते थे, जिससे उनका ससुराल में प्रभाव बना रहता था ।
😁
.
अब आज के जवांई की दुर्दशा :-
.
1. आज के जवांई से कोई भी लुगाई लाज नहीं करती है,खुद की बीवी भी सलवार कुर्ते में आस पास घूमती रहती है ।
😚😚.
काकी सासुजी और भाभी कोई दूसरी रिश्तेदारी निकाल कर बोलती हैं :- ”अपने तो जवांई वाला रिश्ता है ही नहीं"
😮😮
2. साला अगर कुंवारा है और अगर उसकी सगाई नहीं हो पा रही है तो इसका ताना जवांई को सुनाया जाएगा :-
“तुम्हारा हो गया इसका भी तो कुछ सेट करो ।”
😎😎
3. पानी पीना हो तो खुद रसोई में जाना पड़ेगा, कोई लाकर देने वाला नहीं है ।
😀😀
4. ससुराल पक्ष की किसी शादी में जवांई को इसीलिए ज्यादा मनवार करके बुलाया जाता है ताकि जवांई बच्चों को संभाल सके, बीवी और सासुजी आराम से महिला संगीत में डांस कर सके।
😁😁
5. जरा सा अगर बीवी को ससुराल में कुछ कह दिया तो सासुजी की तरफ से तुरंत जवाब आता हैं -
”एक से एक रिश्ते आऐ थे, पर ये ही मिला था छोरी को दुखी करने के लिए.

STORY - Chairman TATA Steel and PROBLEM

Chairman, TATA Steel was holding a weekly meeting with Tata Steel staff  in Jamshedpur.

A worker took up a serious issue. He said the quality and hygiene of toilets for the workers was very bad. Whereas, he  pointed that the cleaniness and the hygiene of executive toilets was always very good.

Chairman asked his top executive how much time he needs to set it right. The executive asked for a month to set it right.

Chairman said "I would rather do it in a day. Send me a carpenter."

Next day, when the carpenter came, he ordered the sign boards to be swapped.

The sign board on the workers’ toilet displayed "Executives" and the Executives’ toilet displayed "Workers”.

Chairman then instructed this sign to be changed every fortnight.

The quality of both the toilets came at par in the next three days.

The Leadership is something much more than being an Executive

Learning from this message :
- Problem identification requires critical thinking
But
- Problem solution requires creative thinking

कुर्ते के साथ पायजामा पहना जाता है लेकिन पठानी कुर्ते और सलवार की जोड़ी क्यों है,?

कुर्ते के साथ पायजामा पहना जाता है लेकिन पठानी कुर्ते और सलवार की जोड़ी क्यों है,?

आइए सुनाता हूं हिन्दू वीरों की ये गौरव गाथा मेरे देशभक्त भाइयो को।

             मुस्लिमों के रोज रोज के झगड़ों और औरतों व बच्चों पर अत्याचारों से परेशान होकर महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति हरी सिंह नलवा ने मुस्लिमों को उनकी औकात बताने के लिये अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया और मुस्लिमों को गाजर मूली की तरह काटा और अफगानिस्तान पर अधिकार कर लिया और हजारों मुस्लिमों को बंदी बनाकर एक बाड़े में कैद कर दिया कि कल इन सबको काट देंगे ताकि ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी, कैदी मुस्लिमों की बीवियां आकर रोने लगीं और अपने शौहरों और बेटों की जान बख्शने की विनती करने लगीं तथा हिन्दू धर्म का वास्ता देने लगीं.... आखिर नारी जाति को रोते देख हरी सिंह नलवा जी का हृदय पसीज गया और उन्होंने कहा कि ठीक है कल तुम सब बाड़े के सामने अपनी-अपनी एक एक सलवार ले कर पहुँच जाना, जिसका पति सलवार पहन लेगा उसे जाने दिया जायेगा।
    अगले दिन 2 मुस्लिमों ने बिना सलवार पहने बाड़े से बाहर कदम रखा और साथ की साथ तलवार के एक एक ही वार से उन दिनों को जहन्नुम पहुंचा दिया गया.... उनका ये हश्र देखकर सबने चुप चाप सलवार पहनी और अपनी औरतों के साथ हिजड़ा बन कर निकल गए। इसके बाद बाकि सभी मुस्लिम पुरुषों को भी सलवार में रहने का ही आदेश जारी कर दिया गया। हरी सिंह नलवा जी एकमात्र (अमेरिका और रूस भी नहीं )ऐसे योद्धा थे जिन्होंने सालों अफगानिस्तान पर राज किया और वहां के मुस्लिमों को अपनी पत्नियों के साथ उनकी सलवार पहन के रहना पड़ा, यही उनकी असली औकात थी। कई सालों तक जिन्दा रहने के लिए मजबूरन पहनी गई वो सलवार बाद में मुस्लिम समाज का हिस्सा बन गयी जिसे वो आज तक पहन रहे हैं।
    उन्ही के कुछ वंशज आज भी हिंदुओं को काफ़िर और कायर कहते हैं.... 15 मिनट के लिए पुलिस हटाने पर हिन्दू धर्म को खत्म करने की बात कहते हैं।
कोई समझाओ उन्हें की कत्ले आम तो बाद की बात है, सलवार पहनते हो और लड़ने की बात करते हो ??? पहले सलवार से पायजामे पर तो आ जाओ.... मर्दों की बारात में हिजडों की टोलियां शोभा नही देती।🤣🤣

अगर पढ कर गर्व हुवा हो तो शेयर जरूर करे।।
!!! जय श्री राम !!! वंदे मातरम् !!!
 हर महादेव

CAPITALISM - AMBANI VS AMBANI

Interesting!!!!!!

When the Dhirubhai Ambani business empire was divided between Mukesh and Anil Ambani, Anil started with a net worth of USD 31,000,000,000. In just over a decade, he has lost 99% of his net worth, haemorrhaging at the rate of Rs. 58 crores per day for 123 months...

The younger brother defaulted loan & sold company to elder brother to repay loan.

The elder brother took loan from same bank to take over the younger brother's company.

Now the bank got reduced NPA with stronger loan book. Nothing came or gone despite everything got good.

Company Share prices got doubled in a week.
Mukesh allowed Anil to announce bad news and drop the share prices. The public sold off and Mukesh bought the shares (through loan) at dead cheap prices. Now prices are high. He pays off the loan to the bank by transferring it shares or with partners/partial sell in public. He has a company at zero cost.

Now who is the loser ?
Anil Ambani - No ( He got sufficient money to pay his loan )
Mukesh Ambani - No ( He got a good company at throw away price and he is going to mint money out of that )
Bank : No ( They got their money back with interest )
You, the public is the loser who invest in share market..!

All done legally

That's how true industrialist use share market to earn profit from public..! And normal public keep investing in share market

A fantastic illusion we live in ...hats off...😀

CYCLIST IS A DISASTER FOR THE COUNTRY'S ECONOMY - MUST READ

Hilarious but true too

Sanjay Thakrar, CEO at Euro Exim Bank Ltd.  got economists thinking when he said :

A cyclist is a disaster for the country's economy

- He does not buy the car & does not take car loan

- Does not buy car insurance

- Does not buy Fuel

- Does not send his car for servicing & repairs

- Does not use paid Parking

- Does not become Obese

- Yes,.....and well, damn it !!  Healthy people are not needed for economy. They do not buy drugs. They do not go to Hospitals & Doctors.

They add nothing to country's GDP.

On the contrary, every new McDonald outlet creates at least 30 jobs - 10 Cardiologists, 10 Dentists, 10 weight loss experts apart from people working in McDonald outlet.

Choose wisely:
A Cyclist or a McDonald ?

Worth thinking. 🤔🤔😀😀

STORY - बड़प्पन

बड़प्पन

मायके आयी रमा, माँ को हैरानी से देख रही थी। माँ बड़े ध्यान से आज के अखबार के मुख पृष्ठ के पास दिन का खाना सजा रही थी।  दाल, रोटी, सब्जी और रायता।  फिर झट से फोटो खींच व्हाट्सप्प करने लगीं।

"माँ ये खाना खाने से पहले फोटो लेने का क्या शौक हो गया है आपको ?"

"अरे वो जतिन बेचारा, इतनी दूर रह हॉस्टल का खाना ही खा रहा है। कह रहा था की आप रोज  लंच और डिनर के वक्त अपने खाने की तस्वीर भेज दिया करो उसे देख कर हॉस्टल का खाना खाने में आसानी रहती है। "

"क्या माँ लाड-प्यार में बिगाड़ रखा है तुमने उसे।  वो कभी बड़ा भी होगा या बस ऐसी फालतू की जिद करने वाला बच्चा ही बना रहेगा  !" रमा ने  शिकायत की।

रमा ने खाना खाते ही झट से जतिन को फोन लगाया।

"जतिन माँ की ये  क्या ड्यूटी लगा रखी है?  इतनी दूर से भी माँ को तकलीफ दिए बिना तेरा दिन पूरा नहीं होता क्या ?"

"अरे नहीं दीदी ऐसा क्यों कह रही हो।  मैं क्यों करूंगा माँ को परेशान ?"

"तो प्यारे भाई ये लंच और डिनर की रोज फोटो क्यों मंगवाते हो ?"

बहन की शिकायत सुन जतिन हंस पड़ा।  फिर कुछ गंभीर स्वर में बोल पड़ा :

"दीदी पापा की मौत , तुम्हारी शादी और मेरे हॉस्टल जाने के बाद अब माँ अकेली ही तो रह गयी हैं।  पिछली बार छुट्टियों में घर आया तो कामवाली आंटी ने बताया की वो किसी- किसी दिन कुछ भी नहीं बनाती।   चाय के साथ ब्रेड खा लेती हैं या बस खिचड़ी।  पूरे दिन अकेले उदास बैठी रहती हैं।  तब उन्हें रोज ढंग का खाना खिलवाने का यही तरीका सूझा।  मुझे फोटो भेजने के चक्कर में दो टाइम अच्छा खाना बनाती हैं।   फिर खा भी लेती हैं और इस व्यस्तता के चलते ज्यादा उदास भी नहीं होती। "

जवाब  सुन रमा की ऑंखें  छलक आयी। रूंधे गले से बस इतना बोल पायी

भाई तू सच में बड़ा हो गया है.....✍

WHY EMERGENCY IN INDIA

44 साल पहले लगे आपातकाल की वो बातें, जो हर देशवासी को जरूर जाननी चाहिए

भारत के इतिहास में 25 जून की तारीख बेहद अहम है। आज से 44 साल पहले वर्ष 1975 में 25 जून को ही देश में आपातकाल लागू किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी।

26 जून 1975 की सुबह पूरे देश को रेडियो पर इंदिरा गांधी की आवाज में यह संदेश मिला। इंदिरा ने कहा था, 'भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने की जरूरत नहीं है।'

 क्यों बनी आपातकाल की परिस्थिति

आपातकाल का मुख्य कारण इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले को बताया जाता है। उस फैसले में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव प्रचार अभियान में कदाचार का दोषी करार दिया गया था।

दरअसल, 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी बड़े अंतर से जीती थीं। पार्टी को भी बड़ी जीत दिलाई थी। प्रतिद्वंद्वी राजनारायण ने इंदिरा की जीत पर सवाल उठाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया। राजनारायण ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इंदिरा गांधी ने चुनाव जीतने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया है। मामले की सुनवाई हुई और इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त कर दिया गया।

इंदिरा गांधी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम देश में कई ऐतिहासिक घटनाओं की वजह बना। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद समय था। 25 जून 1975 को घोषणा के बाद 21 मार्च 1977 तक भारत में आपातकाल लागू रहा। यानी करीब 21 महीने।

 आपातकाल लागू होने से देश में क्या हुआ

✓ आपातकाल के दौरान देशभर में चुनाव स्थगित हो गए थे।

✓ घोषणा के साथ ही हर नागरिक के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए। लोगों के पास न तो अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार था, न ही जीवन का अधिकार।

✓ 25 जून की रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियां शुरू हो गई थीं। अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जयप्रकाश नारायण जैसे बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया।
इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जेल में डाला गया था कि जेलों में जगह ही नहीं बची।

✓ प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। हर अखबार में सेंसर अधिकारी रख दिये गये थे। उस सेंसर अधिकारी की अनुमति के बिना कोई खबर छप ही नहीं सकती थी। अगर किसी ने सरकार के खिलाफ खबर छापी तो उसे गिरफ्तारी झेलनी पड़ी।

✓ आपातकाल के दौरान प्रशासन और पुलिस ने लोगों को प्रताड़ित किया, जिसकी कहानियां बाद में सामने आईं।

 इंदिरा के सेक्रेटरी आर के धवन ने बताई आपातकाल की वो अंदरूनी बातें

इंदिरा गांधी के निजी सेक्रेटरी रहे आरके धवन ने बाद में मीडिया को दिये एक इंटरव्यू में आपातकाल के दौरान और बाद में हुईं कई अंदरूनी बातें बताई। ये बातें हर देशवासी को जाननी चाहिए...

✓ पश्चिम बंगाल के तत्कालीन सीएम एसएस राय ने जनवरी 1975 में ही इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाने की सलाह दी थी। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को आपातकाल पर आपत्ति नहीं थी। वह इसके लिए तुरंत तैयार हो गए थे।

✓ आपातकाल के दौरान जबरन नसबंदी और तुर्कमान गेट पर बुलडोजर चलवाने जैसे अत्याचारों से इंदिरा अनजान थीं। इंदिरा को यह भी नहीं पता था कि संजय अपने मारुति प्रॉजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण कर रहे थे। धवन के मुताबिक इस प्रॉजेक्ट में उन्होंने ही संजय की मदद की थी और इसमें कुछ भी गलत नहीं था।

✓ सोनिया और राजीव गांधी को आपातकाल को लेकर कोई पछतावा नहीं था। मेनका गांधी ने भी हर कदम पर पति संजय गांधी का साथ दिया था।

✓ आपातकाल इंदिरा के राजनीतिक करियर को बचाने के लिए लागू नहीं किया गया था। वह खुद इस्तीफा देने के लिए तैयार थीं। लेकिन मंत्रिमंडल सहयोगियों ने उन्हें इस्तीफा न देने की सलाह दी।

Wonderful questions to your General Knowledge

Wonderful questions to  your General Knowledge

3.  How many teaspoons make a Table spoon?

4 . How many Vedas are there in Hindu Mythology?

6.  How many countries have larger area than India?

7.  What is the Ph value of water?

8.  How many planets are there in Solar System?

9. How many players in a baseball team?

10. How many  Millimetres make a Centimetre?

11. How many players are there in a Football team?

12. How many inches make a feet?

15. One-time vehicle tax is valid for how many years?

16. How many feathers are there in a shuttle cock?

17. How many languages are printed in an Indian Currency?

18. How many Chapters are there in Mahabharatha?

19. Which Commonwealth Game was hosted in India in 2010?

20. How many overs per team are there in T-20 cricket? 

21. How many years did Mahatma Gandhi spend in South Africa?

23. How many chromosomes are there in human body?

24. How many spokes are there in an Ashoka Chakra?

25. What is the qualifying age for becoming a MLA?
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..
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 Don't panic.

The question numbers are the answers.

KANPUR - कानपुर

हमारे कानपुर के मित्रों के लिये🌹🌹🌹

जो परमट आनंद को जी ले
अमरनाथ भी न फिर भाता
मंदिर भैरों बाबा घूमें
मुक्ति उसी घाट पे पाता
रह लो चाहे सिंगापुर में
ख़्वाब में पर कानहैपूर आता
हमको तो बस कानपुर भाता

दुबई की वो बीच साइड हो
पर वो मोती झील कहाँ है
लंदन का बिगबैन घूम लो
 लाल इमली सी मील कहाँ है
रास्ता बस एक पूछ के देखो
कनपुरिया घर छोड़ के आता
हमको तो बस कानपुर भाता

चख लो तुम फ़्राइड राइस भले ही
बिरयानी बाबा तो अलग है
सागर रत्ना स्वाद ठीक है
ज्ञान वैष्णो ढाबा तो अलग है
हनुमान चाट को जो चख ले बस
जीभ न उसकी कुछ चढ़ पाता
हमको तो बस कानपुर भाता

बिजली गई तो शोर मचाया
आयी जो वापस और मचाया
मज़ा दोगुना जीआ था हमने
बचपन को पुरज़ोर सजाया
बीएसईएस का मज़ा कहाँ है
कैस्को से जो मिल के आता
हमको तो बस कानपुर भाता

बड़े से दिल सा बड़ा चौराहा
 हटिया के पकवान कहाँ
कहाँ मिलेंगे अब बरखंडेश्वर
पनकी के हनुमान कहाँ
नवीन मार्केट की मस्ती और
बिठूर घाट का चैन कहाँ
पी रोड के चाट बताशे
अरमापुर सी रैन कहाँ
रामगंज के गलियारे से
गरम मसाला स्वाद चढ़ाता
हमको तो बस कानपुर भाता

’कानपुर की बात निराली
इज़्ज़त दें या दे फिर गाली
मर्यादा पूरी हैं निभाते
आप आप कर हैं बतियाते
मेहमान हो या फिर दुश्मन
मट्ठा ब्रेड मक्खन खिलवाते
हँस के बात तो कर के देखो
दिल से वो सबको अपनाते
पंगे पर जो लेता यूँ हीं
बहुत ही भीषण मार भी खाता
हमको तो बस कानपुर भाता



STORY -पद्मपुराण में एक कथा

पद्मपुराण में एक कथा है-
एक बार एक शिकारी शिकार करने गया,शिकार नहीं मिला, थकान हुई और एक वृक्ष के नीचे आकर सो गया। पवन का वेग अधिक था, तो वृक्ष की छाया कभी कम-ज्यादा हो रही थी, डालियों के यहाँ-वहाँ हिलने के कारण।
वहीं से एक अतिसुन्दर हंस उड़कर जा रहा था, उस हंस ने देखा की वह व्यक्ति बेचारा परेशान हो रहा हैं, धूप उसके मुँह पर आ रही हैं तो ठीक से सो नहीं पा रहा हैं, तो वह हंस पेड़ की डाली पर अपने पंख खोल कर बैठ गया ताकि उसकी छाँव में वह शिकारी आराम से सोयें। जब वह सो रहा था तभी एक कौआ आकर उसी डाली पर बैठा, इधर-उधर देखा और बिना कुछ सोचे-समझे शिकारी के ऊपर अपना मल विसर्जन कर वहाँ से उड़ गया। तभी शिकारी उठ गया और गुस्से से यहाँ-वहाँ देखने लगा और उसकी नज़र हंस पर पड़ी और उसने तुरंत धनुष बाण निकाला और उस हंस को मार दिया। हंस नीचे गिरा और मरते-मरते हंस ने कहा:- मैं तो आपकी सेवा कर रहा था, मैं तो आपको छाँव दे रहा था, आपने मुझे ही मार दिया? इसमें मेरा क्या दोष? उस समय उस पद्मपुराण के शिकारी ने कहा: यद्यपि आपका जन्म उच्च परिवार में हुआ, आपकी सोच आपके तन की तरह ही सुंदर हैं, आपके संस्कार शुद्ध हैं, यहाँ तक की आप अच्छे इरादे से मेरे लिए पेड़ की डाली पर बैठ मेरी सेवा कर रहे थे, लेकिन आपसे एक गलती हो गयी, की जब आपके पास कौआ आकर बैठा तो आपको उसी समय उड़ जाना चाहिए था। उस दुष्ट कौए के साथ एक घड़ी की संगत ने ही आपको मृत्यु के द्वार पर पहुंचाया हैं।

शिक्षा: संसार में संगति का सदैव ध्यान रखना चाहिये। जो मन, कार्य और बुद्धि से परमहंस हैं उन्हें कौओं की सभा से दूरी बनायें रखना चाहिये।

June 12, 2019

Not Sure How to Grow Your Team? Focus on These 3 Things.

Rather than hoping for unicorn status, you need a plan that takes into account three key elements crucial to growing your team: culture, tech and training.

Maybe you’ve just secured a round of funding or onboarded some high-paying new customers. You're excited about this major milestone and can’t wait to start scaling your business. Gradually, though, it dawns on you that you aren’t exactly sure what that means.
Sure, you’ve had internal discussions with your team about people you’d love to bring on, and you’ve assured investors that a chunk of that fresh cash would be used to hire the best and brightest minds to take you to new heights. But talented people aren’t always easy to come by -- and you may need lots of them -- immediately. Worse still, hiring the wrong people can instantly kill your momentum; and uncontrolled, unsupervised growth can leave you with a company that bears little resemblance to the one you started.
Now, you might think looking to your competition for ideas is your best move. After all, they're strong players in the industry, so they must be making the best moves themselves, right? Not necessarily. Because, to rise above your rivals, you need to do something different.
Copying your competitors' growth strategies is not the solution. Nor is hiring a Ph.D. Stanford grad to develop your interviewee-valuation criteria. Nor is persuading an insider at multiple Silicon Valley unicorns to proclaim your company the next big thing. No, what you need is a plan, and above all, a plan that takes into account three key elements crucial to growing your team: culture, tech and training.

1. Culture helps you stand out.

Culture means a lot to today’s top talent. As a young company, you may not have had time to clearly define your mission, vision and values. But, make the time, because research shows that the most talented prospects will ask you about those aspects of your business to get a feel for the culture in your workplace. In fact, the top 20 percent of candidates, according to Gallup research, will choose a company based on criteria related to culture.
And citing a University of Warwick study that found that happy workers are 12 percent more productive than the average employee, establishing a culture that makes your team members happy will make you happy, too.
Recognize that the most talented employees aren’t interested merely in coming into the office to collect a paycheck. They want to feel that they’re making an impact while working with people they respect and enjoy being around. Consider how Starbucks has focused on its larger impact, calling itself a company that’s “performance-driven through the lens of humanity.”
The company tracks and shares reports on its global social impact, including everything from increasing the percentage of its coffee that’s ethically sourced to donating trees to coffee farmers. What is your company doing to be a good steward to the community and world around it? Whatever it is, make sure your prospective and current employees know about it.
2. Technology lets you do more.
The current labor market is tighter than ever, and that’s putting new pressure on young companies looking to grow quickly. As the pool of available talent diminishes, Marc Fischer, CEO and co-founder of Dogtown Media, a mobile technology studio, recommends leaning on artificial intelligence to provide the smarts you can’t hire. “AI can pick up the slack and replace the talent that could not otherwise be replaced,” he wrote in Entrepreneur. “It’s not a panacea for all staffing problems, but it can help you boost efficiency and productivity, cut time to market and improve product quality -- all without having to make new hires.”
In fact, you can find countless tools to help you do more with less, whether you need assistance with project management, design, marketing or another task. Services like Amazon’s AWS AI enable you to add AI capabilities to your applications, even if you lack experience with machine learning. And because AWS is a cloud computing platform, payment plans are pinned to usage, so you can get started on the cheap and scale up or down as needed.

3. Training keeps your team members coming back.

The next Steve Jobs may not be submitting an application to your website, but he or she may already be a part of your team. Offering your employees robust training opportunities can turn them into superstars and make them want to stick around. On the other hand, the failure to invest in employee training ultimately drives 40 percent of new employees away within a year. There are a number of ways to deliver learning opportunities that employees appreciate. Around 80 percent of companies rely on an integrated learning management system (LMS), while others use rapid elearning tools, podcasting or even mobile applications.
Ultimately, the best teaching method will be one that you and your team decide to use together, so have an internal conversation about what employees are looking for and how different options align with your company goals. And be sure that your training doesn’t just cover what your team members need to know right now. Instead, “When you are determining areas for development, you want to train in the direction that your business is going, to be able to tackle problems of the future,” Courtney Gacona, TeamPeople’s director of strategic communications and marketing, wrote in a recent post.
Growing your business is exciting, but it can be incredibly stressful as well. Bringing new people into the fold will inevitably change your workplace dynamics. If you focus on creating a winning culture, that change can be a good thing -- and move you toward bigger things. Likewise, smart use of technology can help you sustain your productivity while you search for the perfect new hires. Invest in employees' personal growth, so they will still be around when you hit your next big milestone.
peter Daisyme

BRAND Archetypes through lens -Indian-Brands

There has been so much already written about brand archetypes and this is certainly not one more of those articles. In fact, this is rather ...