June 17, 2016


⁠⁠[1:14 PM, 5/29/2016] +91 98391 06131: ⁠⁠⁠एक बार एक कुत्ते और गधे के बीच शर्त लगी कि जो जल्दी से जल्दी दौडते हुए दो गाँव आगे रखे एक सिंहासन पर बैठेगा... वही उस सिंहासन का अधिकारी माना जायेगा, और राज करेगा. जैसा कि निश्चित हुआ था, दौड शुरू हुई. कुत्ते को पूरा विश्वास था कि मैं ही जीतूंगा. क्योंकि ज़ाहिर है इस गधे से तो मैं तेज ही दौडूंगा. पर अागे किस्मत में क्या लिखा है ... ये कुत्ते को मालूम ही नही था. शर्त शुरू हुई . कुत्ता तेजी से दौडने लगा. पर थोडा ही आगे गया न गया था कि अगली गली के कुत्तों ने उसे लपकना ,नोंचना ,भौंकना शुरू किया. और ऐसा हर गली, हर चौराहे पर होता रहा.. जैसे तैसे कुत्ता हांफते हांफते सिंहासन के पास पहुंचा.. तो देखता क्या है कि गधा पहले ही से सिंहासन पर विराजमान है. तो क्या...! गधा उसके पहले ही वहां पंहुच चुका था... ? और शर्त जीत कर वह राजा बन चुका था.. ! और ये देखकर निराश हो चुका कुत्ता बोल पडा.. अगर मेरे ही लोगों ने मुझे आज पीछे न खींचा होता तो आज ये गधा इस सिंहासन पर न बैठा होता ... तात्पर्य ... १. अपने लोगों को काॅन्फिडेंस में लो. २. अपनों को आगे बढने का मौका दो, उन्हें मदद करो. ३. नही तो कल बाहरी गधे हम पर राज करने लगेंगे. ४. पक्का विचार और आत्म परीक्षण करो. ⭐जो मित्र आगे रहकर होटल के बिल का पेमेंट करतें हैं, वो उनके पास खूब पैसा है इसलिये नही ... ⭐ ⭐बल्कि इसलिये.. कि उन्हें मित्र पैसों से अधिक प्रिय हैं ⭐ ⭐ऐसा नही है कि जो हर काम में आगे रहतें हैं वे मूर्ख होते हैं, बल्कि उन्हें अपनी जवाबदारी का एहसास हरदम बना रहता है इसलिये ⭐ ⭐जो लडाई हो चुकने पर पहले क्षमा मांग लेतें हैं, वो इसलिये नही, कि वे गलत थे... बल्कि उन्हें अपने लोगों की परवाह होती है इसलिये.⭐ ⭐जो तुम्हे मदद करने के लिये आगे आतें हैं वो तुम्हारा उनपर कोई कर्ज बाकी है इसलिये नही... बल्कि वे तुम्हें अपना मानतें हैं इसलिये⭐ ⭐जो खूब वाट्स एप पोस्ट भेजते रहतें हैं वो इसलिये नही कि वे निरे फुरसती होतें हैं ... बल्कि उनमें सतत आपके संपर्क में बनें रहने की इच्छा रहती है ... इसलिये ⭐ ( आत्मचिंतन करने योग्य पोस्ट है )
⁠⁠⁠⁠1:14 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 98224 89209Amol Khonde⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[2:09 PM, 5/29/2016] +91 98224 89209: ⁠⁠⁠👍🏼
⁠⁠⁠⁠2:09 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Aol dr shivam⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[2:39 PM, 5/29/2016] Aol dr shivam: ⁠⁠⁠हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार रणचंडी की अतृप्त प्यास मै दुर्गा का उन्मत्त हास मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुँवाधार फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतन तो कैसा विस्मय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिये आया भूपर पय पीकर सब मरते आए मै अमर हुवा लो विष पीकर अधरोंकी प्यास बुझाई है मैने पीकर वह आग प्रखर हो जाती दुनिया भस्मसात जिसको पल भर मे ही छूकर भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै अखिल विश्व का गुरु महान देता विद्या का अमर दान मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग मैने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान मेरे वेदों का ज्ञान अमर मेरे वेदों की ज्योति प्रखर मानव के मन का अंधकार क्या कभी सामने सकठका सेहर मेरा स्वर्णभ मे गेहर गेहेर सागर के जल मे चेहेर चेहेर इस कोने से उस कोने तक कर सकता जगती सौरभ मै हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै तेजःपुन्ज तम लीन जगत मे फैलाया मैने प्रकाश जगती का रच करके विनाश कब चाहा है निज का विकास शरणागत की रक्षा की है मैने अपना जीवन देकर विश्वास नही यदि आता तो साक्षी है इतिहास अमर यदि आज देहलि के खण्डहर सदियोंकी निद्रा से जगकर गुंजार उठे उनके स्वर से हिन्दु की जय तो क्या विस्मय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ दुनिया के वीराने पथ पर जब जब नर ने खाई ठोकर दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर मै आया तभि द्रवित होकर मै आया ज्ञान दीप लेकर भूला भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर पथ के आवर्तोंसे थककर जो बैठ गया आधे पथ पर उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मैने छाती का लहु पिला पाले विदेश के सुजित लाल मुझको मानव मे भेद नही मेरा अन्तःस्थल वर विशाल जग से ठुकराए लोगोंको लो मेरे घर का खुला द्वार अपना सब कुछ हूं लुटा चुका पर अक्षय है धनागार मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयोंका वह राज मुकुट यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरिट तो क्या विस्मय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै वीरपुत्र मेरि जननी के जगती मे जौहर अपार अकबर के पुत्रोंसे पूछो क्या याद उन्हे मीना बझार क्या याद उन्हे चित्तोड दुर्ग मे जलनेवाली आग प्रखर जब हाय सहस्त्रो माताए तिल तिल कर जल कर हो गई अमर वह बुझनेवाली आग नही रग रग मे उसे समाए हूं यदि कभि अचानक फूट पडे विप्लव लेकर तो क्या विस्मय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ होकर स्वतन्त्र मैने कब चाहा है कर लूं सब को गुलाम मैने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को गुलाम गोपाल राम के नामोंपर कब मैने अत्याचार किया कब दुनिया को हिन्दु करने घर घर मे नरसंहार किया कोई बतलाए काबुल मे जाकर कितनी मस्जिद तोडी भूभाग नही शत शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै एक बिन्दु परिपूर्ण सिन्धु है यह मेरा हिन्दु समाज मेरा इसका संबन्ध अमर मै व्यक्ति और यह है समाज इससे मैने पाया तन मन इससे मैने पाया जीवन मेरा तो बस कर्तव्य यही कर दू सब कुछ इसके अर्पण मै तो समाज की थाति हूं मै तो समाज का हूं सेवक मै तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
⁠⁠⁠⁠2:39 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 73760 24213mayankkumar.dubey⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[2:45 PM, 5/29/2016] +91 73760 24213: ⁠⁠⁠👍🏻
⁠⁠⁠⁠2:45 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Aol dr shivam⁠⁠⁠⁠⁠

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