अस्पताल के उस विशाल परिसर में एक चिंतित सैन्यकर्मी किसी शख्स को खोज रहा था। वह काफी थका हुआ भी था। तभी अस्पताल की एक नर्स उसे एक बीमार बुजुर्ग के पलंग के नजदीक ले गई, जो मरने से पहले आखिरी बार अपने बेटे से मिलना चाहता था। नर्स ने धीरे-से उस बीमार बुजुर्ग से कहा- 'आपका बेटा यहां है।' कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर उसने दोबारा कहा- 'देखो कौन आया है? आपका बेटा।' यह सुनकर बीमार शख्स ने आंखें खोल दीं।
उस े दिल का दौरा पड़ा था और वह दवाइयों के नशे में था। उसने धुंधली आंखों से अपने पलंग के नजदीक यूनिफॉर्म में खड़े युवा मेरीन को देखा। यह देखकर उसने उसकी ओर अपना हाथ बढ़ाया। मेरीन ने उसके हाथ को थाम लिया और उसे प्यार से सहलाने लगा। तब तक नर्स कुर्सी लेकर आ गई और मेरीन पलंग के बाजू में बैठ गया। पूरी रात मेरीन उस कम रोशनी वाले वार्ड में बुजुर्ग शख्स के पास उसका हाथ थामे बैठा रहा और अपने प्यार भरे शब्दों के जरिये हौसला देता रहा। बीच-बीच में आकर नर्स मेरीन से थोड़ी देर आराम करने के लिए भी कहती रही। लेकिन मेरीन इनकार कर देता। वह मरणासन्न बुजुर्ग रातभर कुछ नहीं बोला। बस अपने बेटे का हाथ कसकर थामे रहा। सुबह होते-होते वह बुजुर्ग मर गया। अब जाकर मेरीन ने उसके बेजान हाथ को छोड़ा और जाकर नर्स को यह खबर दी। नर्स को जो कुछ करना था, उसने किया। तब तक मेरीन चुपचाप खड़ा रहा। आखिरकार नर्स मेरीन के पास आकर उससे संवेदनाएं जताने लगी, तब मेरीन ने उसे टोकते हुए पूछा- 'यह बुजुर्ग शख्स कौन थे?' यह सुनकर नर्स अचंभित रह गई। उसने जवाब दिया, 'यह आपके पिता थे।' इस पर मेरीन बोला, 'नहीं वह मेरे पिता नहीं थे। मैंने इस शख्स को अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा।' यह सुनकर नर्स की उलझन और भी बढ़ गई। उसने पूछा, 'तो जब मैं आपको उसके पास लेकर गई, तब आपने कुछ क्यों नहीं कहा?'यह सुनकर मेरीन ने जवाब दिया, 'मैं पहले ही समझ गया था कि कुछ गलतफहमी है। लेकिन मैं यह भी जानता था कि उस शख्स को अपने बेटे की जरूरत है, जो उस वक्त वहां नहीं है। लेकिन उसकी नाजुक स्थिति को देखते हुए मुझे लगा कि फिलहाल उससे यह कहना ठीक नहीं होगा कि मैं उसका बेटा नहीं हूं। मुझे यह भी लगा कि फिलहाल उसे मेरी बहुत जरूरत है, लिहाजा मैं रुक गया।' तब नर्स ने पूछा, 'तो आप यहां किसलिए आए थे?' मेरीन ने जवाब दिया, 'मैं यहां विलियम ग्रे नामक एक शख्स की तलाश में आया था। उनका बेटा कल सुबह एक सैन्य अभियान के दौरान शहीद हो गया।
मेरे ऑफिस को देर शाम इसके बारे में खबर मिली और उनके घर पहुंचने पर हमें बताया गया कि मिस्टर ग्रे को कुछ घंटे पहले ही अस्पताल ले जाया गया है। मेरे अधिकारियों ने मुझे अस्पताल में मिस्टर ग्रे को यह सूचित करने के लिए भेजा था। वैसे इस शख्स का क्या नाम था?' यह सुनकर नर्स ने डबडबाई आंखों से जवाब दिया, 'यही मिस्टर विलियम ग्रे थे।'
उस े दिल का दौरा पड़ा था और वह दवाइयों के नशे में था। उसने धुंधली आंखों से अपने पलंग के नजदीक यूनिफॉर्म में खड़े युवा मेरीन को देखा। यह देखकर उसने उसकी ओर अपना हाथ बढ़ाया। मेरीन ने उसके हाथ को थाम लिया और उसे प्यार से सहलाने लगा। तब तक नर्स कुर्सी लेकर आ गई और मेरीन पलंग के बाजू में बैठ गया। पूरी रात मेरीन उस कम रोशनी वाले वार्ड में बुजुर्ग शख्स के पास उसका हाथ थामे बैठा रहा और अपने प्यार भरे शब्दों के जरिये हौसला देता रहा। बीच-बीच में आकर नर्स मेरीन से थोड़ी देर आराम करने के लिए भी कहती रही। लेकिन मेरीन इनकार कर देता। वह मरणासन्न बुजुर्ग रातभर कुछ नहीं बोला। बस अपने बेटे का हाथ कसकर थामे रहा। सुबह होते-होते वह बुजुर्ग मर गया। अब जाकर मेरीन ने उसके बेजान हाथ को छोड़ा और जाकर नर्स को यह खबर दी। नर्स को जो कुछ करना था, उसने किया। तब तक मेरीन चुपचाप खड़ा रहा। आखिरकार नर्स मेरीन के पास आकर उससे संवेदनाएं जताने लगी, तब मेरीन ने उसे टोकते हुए पूछा- 'यह बुजुर्ग शख्स कौन थे?' यह सुनकर नर्स अचंभित रह गई। उसने जवाब दिया, 'यह आपके पिता थे।' इस पर मेरीन बोला, 'नहीं वह मेरे पिता नहीं थे। मैंने इस शख्स को अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा।' यह सुनकर नर्स की उलझन और भी बढ़ गई। उसने पूछा, 'तो जब मैं आपको उसके पास लेकर गई, तब आपने कुछ क्यों नहीं कहा?'यह सुनकर मेरीन ने जवाब दिया, 'मैं पहले ही समझ गया था कि कुछ गलतफहमी है। लेकिन मैं यह भी जानता था कि उस शख्स को अपने बेटे की जरूरत है, जो उस वक्त वहां नहीं है। लेकिन उसकी नाजुक स्थिति को देखते हुए मुझे लगा कि फिलहाल उससे यह कहना ठीक नहीं होगा कि मैं उसका बेटा नहीं हूं। मुझे यह भी लगा कि फिलहाल उसे मेरी बहुत जरूरत है, लिहाजा मैं रुक गया।' तब नर्स ने पूछा, 'तो आप यहां किसलिए आए थे?' मेरीन ने जवाब दिया, 'मैं यहां विलियम ग्रे नामक एक शख्स की तलाश में आया था। उनका बेटा कल सुबह एक सैन्य अभियान के दौरान शहीद हो गया।
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