December 26, 2012

STORY 16

शादी की पहली रात को नवविवाहित जोड़े ने तय किया की सुबह कोई भी बिना कारण दरवाजा खटखटाएगा तो वो दरवाजा नहीं खोलेंगे.
सुबह पति के माँ ने दरवाजा खटखटाया.
दोनों ने एक दूसरे को देखा.और रात में जैसा तय किया था उस अनुसार उन्होंने दरवाज़ा नहीं खोला.
थोड़ी देर बाद पत्नी के पिता ने दरवाजा खटखटाया.
दोनों ने फिर एक दूसरे की और देखा.
पत्नी के आँखों से आंसू बहने लगे और उसने रोना शुरू कर दिया.
बोली "मैं अपने पिता
को ऐसे ही दरवाज़ा खटखटाते नहीं छोड़ सकती, मैं पहले ही उन्हें हमेशा के लिए छोड़कर आयी हूँ, उन्हें कितना दुःख होगा अगर मैंने दरवाज़ा नहीं खोला तो."
पति ने कुछ नहीं कहा, पत्नी ने दरवाजा खोल दिया.
कई साल बीत गए,
इस युगल के 3 बच्चे हुए, जिनमे से पहले 2 लड़के थे और आख़िरी लड़की.
जब लड़की ने जन्म लिया तो उस व्यक्ति को बहुत खुशी हुई, उसे ऐसा लगा जैसे उसे भगवान ने ज़िंदगी का सबसे बड़ा उपहार दिया है.
उसने काफी बड़ा जश्न मनाया, और कई लोगो को बुलाया.
जश्न के दौरान उससे एक व्यक्ति ने पूछा की क्यों वह बेटी होने के खुशी में इतना जश्न मना रहा है, जबकी किसी भी बेटे के जन्म पर उसने जश्न नहीं मनाया.
उसने जवाब दिया : "ये बेटी ही है जो हमेशा मेरे लिए दरवाजा खोलेगी, बेटों का क्या भरोसा!"

इस कहानी को खुद वास्तविकता में परखिये, बेटे माता-पिता को नज़रंदाज़ कर सकते हैं, किन्तु बेटी नहीं 

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