इतिहास इस बात का साक्षी है कि पृथ्वीराज चौहान की ऐतिहासिक भूल की स्वयं पृथ्वीराज चौहान एवं इस देश को कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी। पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी को 16 बार हराकर बंदी बनवाया था। पर हर बार पैर पकड़ कर माफी माँगने पर उसे 16 बार क्षमादान भी दिया था। किन्तु सत्रहवीं बार हमारे बीच के जयचंद की सहायता से मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान पर विजय प्राप्त कर उसे बंदी बना कारा...गार में डाल दिया था। मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज को क्षमा न कर उसकी दोनों आँखें निकाल कर अपनी क्रूरता का परिचय दिया था। अपनी दोनों आँखें खोने के बाद पृथ्वीराज चौहान के ज्ञान चक्षु खुले और उसने कवि चंद बरदाई के कविता के माध्यम से इशारा करने पर कि -
अपने तीर कमान से मुहम्मद गोरी का सिर धड़ से अलग कर हिसाब बराबर कर दिया था। पर इस ऐतिहासिक घटना से हमें यह सीख मिलती है कि दुश्मन हमेशा जहरीला नाग होता है। उसे दूध नहीं पिलाना चाहिए बल्कि पहली ही बार में उसका फन कुचल दिया जाना चाहिए। इतिहास की दूसरी घटना में जब सम्राट चन्द्रगुप्त ने सिकन्दर के सेनापति सेल्युकस के आक्रमण को विफल कर युद्ध में उसे बुरी तरह से परास्त कर दिया तो उसने कूटनीतिक चाल चलकर सम्राट चन्द्रगुप्त के समक्ष स्वयं की सुन्दर एवं रूपवती कन्या हेलन से विवाह का प्रस्ताव रखा। सम्राट चन्द्रगुप्त के राजगुरु चाणक्य ने परिस्थिति को भाँपकर उक्त प्रस्ताव में यह शर्त लगा दी थी कि हेलन से सम्राट चन्द्रगुपत से विवाहोपरान्त होने वाली सन्तान का राजगद्दी पर कोई हक नहीं होगा। इस प्रकार चाणक्य ने राष्ट्रहित में सेल्युकस की कूटनीतिक चाल को विफल कर दिया। इस ऐतिहासिक घटना से हमें यह सीख मिलती है कि देश किसी व्यक्ति या खानदान की जागीर नहीं होती। विदेशी महिला की सन्तान की राष्ट्रभक्ति असन्दिग्ध नहीं मानी जा सकती क्योंकि उसके मातृकुल के लोग सभी विदेशी होते हैं जो उक्त सन्तान के द्वारा देश की बागडोर सम्हालने पर खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं।
अतः राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर हमें दूरंदेशी होना होगा नहीं तो इतिहास एवं भावी पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी।
“चार बाँस चौबीर गज अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान॥”
अपने तीर कमान से मुहम्मद गोरी का सिर धड़ से अलग कर हिसाब बराबर कर दिया था। पर इस ऐतिहासिक घटना से हमें यह सीख मिलती है कि दुश्मन हमेशा जहरीला नाग होता है। उसे दूध नहीं पिलाना चाहिए बल्कि पहली ही बार में उसका फन कुचल दिया जाना चाहिए। इतिहास की दूसरी घटना में जब सम्राट चन्द्रगुप्त ने सिकन्दर के सेनापति सेल्युकस के आक्रमण को विफल कर युद्ध में उसे बुरी तरह से परास्त कर दिया तो उसने कूटनीतिक चाल चलकर सम्राट चन्द्रगुप्त के समक्ष स्वयं की सुन्दर एवं रूपवती कन्या हेलन से विवाह का प्रस्ताव रखा। सम्राट चन्द्रगुप्त के राजगुरु चाणक्य ने परिस्थिति को भाँपकर उक्त प्रस्ताव में यह शर्त लगा दी थी कि हेलन से सम्राट चन्द्रगुपत से विवाहोपरान्त होने वाली सन्तान का राजगद्दी पर कोई हक नहीं होगा। इस प्रकार चाणक्य ने राष्ट्रहित में सेल्युकस की कूटनीतिक चाल को विफल कर दिया। इस ऐतिहासिक घटना से हमें यह सीख मिलती है कि देश किसी व्यक्ति या खानदान की जागीर नहीं होती। विदेशी महिला की सन्तान की राष्ट्रभक्ति असन्दिग्ध नहीं मानी जा सकती क्योंकि उसके मातृकुल के लोग सभी विदेशी होते हैं जो उक्त सन्तान के द्वारा देश की बागडोर सम्हालने पर खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं।
अतः राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर हमें दूरंदेशी होना होगा नहीं तो इतिहास एवं भावी पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी।
किंवदंतियों के अनुसार गौरी ने 18 बार पृथ्वीराज
ReplyDeleteपर आक्रमण किया था, जिसमें 17 बार उसे
पराजित होना पड़ा। किसी भी इतिहासकार
को किंवदंतियों के आधार पर अपना मत
बनाना कठिन होता है। इस विषय में
इतना निश्चित है कि गौरी और पृथ्वीराज में कम
से कम दो भीषण युद्ध आवश्यक हुए थे, जिनमें
प्रथम में पृथ्वीराज विजयी और दूसरे में पराजित
हुआ था। वे दोनों युद्ध थानेश्वर के
निकटवर्ती तराइन या तरावड़ी के मैदान में
क्रमशः सं. ११९१
प्यार आ रहा है क्या
ReplyDeleteJhoot aur bakwas hai puri story. Apni nakami ko chhupane ka achchha bahana hai.
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