44 साल पहले लगे आपातकाल की वो बातें, जो हर देशवासी को जरूर जाननी चाहिए
भारत के इतिहास में 25 जून की तारीख बेहद अहम है। आज से 44 साल पहले वर्ष 1975 में 25 जून को ही देश में आपातकाल लागू किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी।
26 जून 1975 की सुबह पूरे देश को रेडियो पर इंदिरा गांधी की आवाज में यह संदेश मिला। इंदिरा ने कहा था, 'भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने की जरूरत नहीं है।'
क्यों बनी आपातकाल की परिस्थिति
आपातकाल का मुख्य कारण इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले को बताया जाता है। उस फैसले में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव प्रचार अभियान में कदाचार का दोषी करार दिया गया था।
दरअसल, 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी बड़े अंतर से जीती थीं। पार्टी को भी बड़ी जीत दिलाई थी। प्रतिद्वंद्वी राजनारायण ने इंदिरा की जीत पर सवाल उठाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया। राजनारायण ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इंदिरा गांधी ने चुनाव जीतने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया है। मामले की सुनवाई हुई और इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त कर दिया गया।
इंदिरा गांधी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम देश में कई ऐतिहासिक घटनाओं की वजह बना। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद समय था। 25 जून 1975 को घोषणा के बाद 21 मार्च 1977 तक भारत में आपातकाल लागू रहा। यानी करीब 21 महीने।
आपातकाल लागू होने से देश में क्या हुआ
✓ आपातकाल के दौरान देशभर में चुनाव स्थगित हो गए थे।
✓ घोषणा के साथ ही हर नागरिक के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए। लोगों के पास न तो अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार था, न ही जीवन का अधिकार।
✓ 25 जून की रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियां शुरू हो गई थीं। अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जयप्रकाश नारायण जैसे बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया।
इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जेल में डाला गया था कि जेलों में जगह ही नहीं बची।
✓ प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। हर अखबार में सेंसर अधिकारी रख दिये गये थे। उस सेंसर अधिकारी की अनुमति के बिना कोई खबर छप ही नहीं सकती थी। अगर किसी ने सरकार के खिलाफ खबर छापी तो उसे गिरफ्तारी झेलनी पड़ी।
✓ आपातकाल के दौरान प्रशासन और पुलिस ने लोगों को प्रताड़ित किया, जिसकी कहानियां बाद में सामने आईं।
इंदिरा के सेक्रेटरी आर के धवन ने बताई आपातकाल की वो अंदरूनी बातें
इंदिरा गांधी के निजी सेक्रेटरी रहे आरके धवन ने बाद में मीडिया को दिये एक इंटरव्यू में आपातकाल के दौरान और बाद में हुईं कई अंदरूनी बातें बताई। ये बातें हर देशवासी को जाननी चाहिए...
✓ पश्चिम बंगाल के तत्कालीन सीएम एसएस राय ने जनवरी 1975 में ही इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाने की सलाह दी थी। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को आपातकाल पर आपत्ति नहीं थी। वह इसके लिए तुरंत तैयार हो गए थे।
✓ आपातकाल के दौरान जबरन नसबंदी और तुर्कमान गेट पर बुलडोजर चलवाने जैसे अत्याचारों से इंदिरा अनजान थीं। इंदिरा को यह भी नहीं पता था कि संजय अपने मारुति प्रॉजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण कर रहे थे। धवन के मुताबिक इस प्रॉजेक्ट में उन्होंने ही संजय की मदद की थी और इसमें कुछ भी गलत नहीं था।
✓ सोनिया और राजीव गांधी को आपातकाल को लेकर कोई पछतावा नहीं था। मेनका गांधी ने भी हर कदम पर पति संजय गांधी का साथ दिया था।
✓ आपातकाल इंदिरा के राजनीतिक करियर को बचाने के लिए लागू नहीं किया गया था। वह खुद इस्तीफा देने के लिए तैयार थीं। लेकिन मंत्रिमंडल सहयोगियों ने उन्हें इस्तीफा न देने की सलाह दी।
भारत के इतिहास में 25 जून की तारीख बेहद अहम है। आज से 44 साल पहले वर्ष 1975 में 25 जून को ही देश में आपातकाल लागू किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी।
26 जून 1975 की सुबह पूरे देश को रेडियो पर इंदिरा गांधी की आवाज में यह संदेश मिला। इंदिरा ने कहा था, 'भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने की जरूरत नहीं है।'
क्यों बनी आपातकाल की परिस्थिति
आपातकाल का मुख्य कारण इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले को बताया जाता है। उस फैसले में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव प्रचार अभियान में कदाचार का दोषी करार दिया गया था।
दरअसल, 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी बड़े अंतर से जीती थीं। पार्टी को भी बड़ी जीत दिलाई थी। प्रतिद्वंद्वी राजनारायण ने इंदिरा की जीत पर सवाल उठाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया। राजनारायण ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इंदिरा गांधी ने चुनाव जीतने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया है। मामले की सुनवाई हुई और इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त कर दिया गया।
इंदिरा गांधी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम देश में कई ऐतिहासिक घटनाओं की वजह बना। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद समय था। 25 जून 1975 को घोषणा के बाद 21 मार्च 1977 तक भारत में आपातकाल लागू रहा। यानी करीब 21 महीने।
आपातकाल लागू होने से देश में क्या हुआ
✓ आपातकाल के दौरान देशभर में चुनाव स्थगित हो गए थे।
✓ घोषणा के साथ ही हर नागरिक के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए। लोगों के पास न तो अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार था, न ही जीवन का अधिकार।
✓ 25 जून की रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियां शुरू हो गई थीं। अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जयप्रकाश नारायण जैसे बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया।
इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जेल में डाला गया था कि जेलों में जगह ही नहीं बची।
✓ प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। हर अखबार में सेंसर अधिकारी रख दिये गये थे। उस सेंसर अधिकारी की अनुमति के बिना कोई खबर छप ही नहीं सकती थी। अगर किसी ने सरकार के खिलाफ खबर छापी तो उसे गिरफ्तारी झेलनी पड़ी।
✓ आपातकाल के दौरान प्रशासन और पुलिस ने लोगों को प्रताड़ित किया, जिसकी कहानियां बाद में सामने आईं।
इंदिरा के सेक्रेटरी आर के धवन ने बताई आपातकाल की वो अंदरूनी बातें
इंदिरा गांधी के निजी सेक्रेटरी रहे आरके धवन ने बाद में मीडिया को दिये एक इंटरव्यू में आपातकाल के दौरान और बाद में हुईं कई अंदरूनी बातें बताई। ये बातें हर देशवासी को जाननी चाहिए...
✓ पश्चिम बंगाल के तत्कालीन सीएम एसएस राय ने जनवरी 1975 में ही इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाने की सलाह दी थी। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को आपातकाल पर आपत्ति नहीं थी। वह इसके लिए तुरंत तैयार हो गए थे।
✓ आपातकाल के दौरान जबरन नसबंदी और तुर्कमान गेट पर बुलडोजर चलवाने जैसे अत्याचारों से इंदिरा अनजान थीं। इंदिरा को यह भी नहीं पता था कि संजय अपने मारुति प्रॉजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण कर रहे थे। धवन के मुताबिक इस प्रॉजेक्ट में उन्होंने ही संजय की मदद की थी और इसमें कुछ भी गलत नहीं था।
✓ सोनिया और राजीव गांधी को आपातकाल को लेकर कोई पछतावा नहीं था। मेनका गांधी ने भी हर कदम पर पति संजय गांधी का साथ दिया था।
✓ आपातकाल इंदिरा के राजनीतिक करियर को बचाने के लिए लागू नहीं किया गया था। वह खुद इस्तीफा देने के लिए तैयार थीं। लेकिन मंत्रिमंडल सहयोगियों ने उन्हें इस्तीफा न देने की सलाह दी।
No comments:
Post a Comment
All the postings of mine in this whole forum can be the same with anyone in the world of the internet. Am just doing a favor for our forum users to avoid searching everywhere. I am trying to give all interesting informations about Finance, Culture, Herbals, Ayurveda, phycology, Sales, Marketing, Communication, Mythology, Quotations, etc. Plz mail me your requirement - amit.knp@rediffmail.com