कुर्ते के साथ पायजामा पहना जाता है लेकिन पठानी कुर्ते और सलवार की जोड़ी क्यों है,?
आइए सुनाता हूं हिन्दू वीरों की ये गौरव गाथा मेरे देशभक्त भाइयो को।
मुस्लिमों के रोज रोज के झगड़ों और औरतों व बच्चों पर अत्याचारों से परेशान होकर महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति हरी सिंह नलवा ने मुस्लिमों को उनकी औकात बताने के लिये अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया और मुस्लिमों को गाजर मूली की तरह काटा और अफगानिस्तान पर अधिकार कर लिया और हजारों मुस्लिमों को बंदी बनाकर एक बाड़े में कैद कर दिया कि कल इन सबको काट देंगे ताकि ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी, कैदी मुस्लिमों की बीवियां आकर रोने लगीं और अपने शौहरों और बेटों की जान बख्शने की विनती करने लगीं तथा हिन्दू धर्म का वास्ता देने लगीं.... आखिर नारी जाति को रोते देख हरी सिंह नलवा जी का हृदय पसीज गया और उन्होंने कहा कि ठीक है कल तुम सब बाड़े के सामने अपनी-अपनी एक एक सलवार ले कर पहुँच जाना, जिसका पति सलवार पहन लेगा उसे जाने दिया जायेगा।
अगले दिन 2 मुस्लिमों ने बिना सलवार पहने बाड़े से बाहर कदम रखा और साथ की साथ तलवार के एक एक ही वार से उन दिनों को जहन्नुम पहुंचा दिया गया.... उनका ये हश्र देखकर सबने चुप चाप सलवार पहनी और अपनी औरतों के साथ हिजड़ा बन कर निकल गए। इसके बाद बाकि सभी मुस्लिम पुरुषों को भी सलवार में रहने का ही आदेश जारी कर दिया गया। हरी सिंह नलवा जी एकमात्र (अमेरिका और रूस भी नहीं )ऐसे योद्धा थे जिन्होंने सालों अफगानिस्तान पर राज किया और वहां के मुस्लिमों को अपनी पत्नियों के साथ उनकी सलवार पहन के रहना पड़ा, यही उनकी असली औकात थी। कई सालों तक जिन्दा रहने के लिए मजबूरन पहनी गई वो सलवार बाद में मुस्लिम समाज का हिस्सा बन गयी जिसे वो आज तक पहन रहे हैं।
उन्ही के कुछ वंशज आज भी हिंदुओं को काफ़िर और कायर कहते हैं.... 15 मिनट के लिए पुलिस हटाने पर हिन्दू धर्म को खत्म करने की बात कहते हैं।
कोई समझाओ उन्हें की कत्ले आम तो बाद की बात है, सलवार पहनते हो और लड़ने की बात करते हो ??? पहले सलवार से पायजामे पर तो आ जाओ.... मर्दों की बारात में हिजडों की टोलियां शोभा नही देती।🤣🤣
अगर पढ कर गर्व हुवा हो तो शेयर जरूर करे।।
!!! जय श्री राम !!! वंदे मातरम् !!!
हर महादेव
आइए सुनाता हूं हिन्दू वीरों की ये गौरव गाथा मेरे देशभक्त भाइयो को।
मुस्लिमों के रोज रोज के झगड़ों और औरतों व बच्चों पर अत्याचारों से परेशान होकर महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति हरी सिंह नलवा ने मुस्लिमों को उनकी औकात बताने के लिये अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया और मुस्लिमों को गाजर मूली की तरह काटा और अफगानिस्तान पर अधिकार कर लिया और हजारों मुस्लिमों को बंदी बनाकर एक बाड़े में कैद कर दिया कि कल इन सबको काट देंगे ताकि ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी, कैदी मुस्लिमों की बीवियां आकर रोने लगीं और अपने शौहरों और बेटों की जान बख्शने की विनती करने लगीं तथा हिन्दू धर्म का वास्ता देने लगीं.... आखिर नारी जाति को रोते देख हरी सिंह नलवा जी का हृदय पसीज गया और उन्होंने कहा कि ठीक है कल तुम सब बाड़े के सामने अपनी-अपनी एक एक सलवार ले कर पहुँच जाना, जिसका पति सलवार पहन लेगा उसे जाने दिया जायेगा।
अगले दिन 2 मुस्लिमों ने बिना सलवार पहने बाड़े से बाहर कदम रखा और साथ की साथ तलवार के एक एक ही वार से उन दिनों को जहन्नुम पहुंचा दिया गया.... उनका ये हश्र देखकर सबने चुप चाप सलवार पहनी और अपनी औरतों के साथ हिजड़ा बन कर निकल गए। इसके बाद बाकि सभी मुस्लिम पुरुषों को भी सलवार में रहने का ही आदेश जारी कर दिया गया। हरी सिंह नलवा जी एकमात्र (अमेरिका और रूस भी नहीं )ऐसे योद्धा थे जिन्होंने सालों अफगानिस्तान पर राज किया और वहां के मुस्लिमों को अपनी पत्नियों के साथ उनकी सलवार पहन के रहना पड़ा, यही उनकी असली औकात थी। कई सालों तक जिन्दा रहने के लिए मजबूरन पहनी गई वो सलवार बाद में मुस्लिम समाज का हिस्सा बन गयी जिसे वो आज तक पहन रहे हैं।
उन्ही के कुछ वंशज आज भी हिंदुओं को काफ़िर और कायर कहते हैं.... 15 मिनट के लिए पुलिस हटाने पर हिन्दू धर्म को खत्म करने की बात कहते हैं।
कोई समझाओ उन्हें की कत्ले आम तो बाद की बात है, सलवार पहनते हो और लड़ने की बात करते हो ??? पहले सलवार से पायजामे पर तो आ जाओ.... मर्दों की बारात में हिजडों की टोलियां शोभा नही देती।🤣🤣
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