May 19, 2016

प्रश्न : आध्यात्मिक जीवन की खोज में धन की क्या जगह होनी चाहिए?
श्री श्री रवि शंकर : समस्या तब होती है जब तुम पैसे जेब में ही नहीं बल्कि दिमाग में भी ले के घूमते हो| वैसे भी रात-दिन इसके बारे में सोच-सोच के क्या फायदा जब जेब खाली हो? पैसा एक साधन है जीवन को चलाने का, जीवन का लक्ष्य नहीं| विश्वास रखो कि तुम्हें जब भी जितने पैसों कि ज़रुरत होगी, मिल जायेंगे| इस आस्था के साथ प्रयत्न करो और आगे बढ़ो| इसके आलावा जो भी तुम कमाते हो उसका २-३% समाज के लिए खर्च करो| हम इसे धन-शुद्धि कहते हैं|
संस्कृत में एक शब्द है अन्न शुद्धि| इसमें चावल में घी डालने को कहा गया है| अगर तुम बिना कुछ डाले चावल खाओ तो वो तुम्हारे शारीर के लिए इतना अच्छा नहीं है क्योंकि इससे तुम्हारे शारीर में शक़्क़र का प्रमाण एकदम से बढ़ जाता है| तो इस में ज़रा-सा घी डालने से शक़्क़र को स्टार्च में बदलने कि प्रक्रिया धीमी हो जाती है| इस तरह पाचन क्रिया धीमी पड़ने से तुम्हें डायबिटीस होने का खतरा कम रहता है| इसलिए हम कहते हैं घी डालने से चावल शुद्ध हो जाता है| इसी तरह ज़रुरत-मंदों को देने से धन शुद्ध हो जाता है| 'आर्ट ऑफ़ लिविंग' गाँव के स्कूलों में सेवा-कार्य कर रही है|
'डॉलर अ डे' कार्यक्रम में हम बच्चों को भोजन, कपड़े और शिक्षा दिलाते हैं| हमारे पास इस तरह के ज़रुरत-मंदों के लिए ऐसे १०० स्कूल हैं| ये बच्चे को ज़बरदस्ती के बाल-श्रम से छुटकारा दिलाता है| इससे उनके सर से बोझ उतर जाता है | ये बच्चे क्षेत्र में पढ़नेवाली पहली पीढ़ी बनते हैं और ये बदलाव बहुत प्रभावशाली है| ये ऐसा है जैसे किसी को मछली देने के बजाए उसे मछली पकड़ना सिखाना ज्यादा लाभदायक है| साथ ही अगर महिलाओं को ऐसे सशक्त बनाने वाले कार्यक्रम में भारती किया जाये तो बहुत अद्भुत रहेगा| यही ज़रूरी है - शिक्षा जो तकनिकी , वैज्ञानिक और साथ ही आध्यात्मिक हो|
🙏🏻 जय गुरुदेव 🙏🏻

प्रश्न : जब हम अपने आप और संबंधों पर संदेह करने लगें तो क्या करें?
श्री श्री रवि शंकर : संदेह हमेशा अच्छी बातों पर ही होता है| आप जानते हो यदि कोई आपसे यह कहे कि वे आपसे प्यार करते हैं तो आप पूछ्ते हो,"सचमुच?"| परन्तु यदि कोई अपनी नफरत व्यक्त करता है तो आप इसे सच समझ लेते हो| यदि कोई आपसे पूछे "क्या आप खुश हो?" तो आप कहते हो "मुझे नहीं पता|" | हम जो भी अच्छा है उस पर संदेह करते हैं| हम प्रेम पर संदेह करते हैं| हम लोगों की अच्छाई पर संदेह करते हैं| हम ईमानदारी पर संदेह करते हैं| हम कभी बेईमानी पर संदेह नहीं करते| क्या ऐसा नहीं है? हम अपनी योग्यताओं पर संदेह करते हैं| हम अपनी त्रुटियों पर संदेह नहीं करते| आप अपनी उदासी पर संदेह नहीं करते|परन्तु अपनी ख़ुशी पर हमेशा संदेह करते हो| इस तरह अगर आप ध्यान दें तो संदेह हमेशा अच्छी बातों पर ही होता है|
🙏🏻 जय गुरुदेव 🙏🏻

प्रश्न : हम किसी को भीतर से माफ कैसे कर सकते हैं?
श्री श्री रवि शंकर : किसी को माफ करने का संघर्ष क्यों करना? मत करो माफ और अगले जन्म के लिए भी पकड़ कर रखो| तुम्हे कुछ मुश्किल करने की ज़रूरत नहीं है| क्षमा करना आसान है| हर आपराधी में एक हिस्सा क्षमा और मदद की पुकार करता है| अन्याय करने वाले को आध्यात्मिक प्रगति नहीं है| मानवीय गुण विकसित करने के लिए आध्यात्मिक शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है|
🙏🏻 जय गुरुदेव 🙏🏻

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