बाँझ का जाने प्रसव की पीड़ा
अर्थः पीड़ा को सहकर ही समझा जा सकता है।
बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे
अर्थः रक्षक का भक्षक हो जाना।
बाप भला न भइया, सब से भला रूपइया
अर्थः धन ही सबसे बड़ा होता है।
बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़
अर्थः छोटे का बड़े से बढ़ जाना।
बाप से बैर, पूत से सगाई
अर्थः पिता से दुश्मनी और पुत्र से लगाव।
बारह गाँव का चौधरी अस्सी गाँव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी-तैसी में जाव
अर्थः बड़ा होकर यदि किसी के काम न आए, तो बड़प्पन व्यर्थ है।
बारह बरस पीछे घूरे के भी दिन फिरते हैं
अर्थः एक न एक दिन अच्छे दिन आ ही जाते हैं।
बासी कढ़ी में उबाल नहीं आता
अर्थः काम करने के लिए शक्ति का होना आवश्यक होता है।
बासी बचे न कुत्ता खाय
अर्थः जरूरत के अनुसार ही सामान बनाना।
बिंध गया सो मोती, रह गया सो सीप
अर्थः जो वस्तु काम आ जाए वही अच्छी।
बिच्छू का मंतर न जाने, साँप के बिल में हाथ डाले
अर्थः मूर्खतापूर्ण कार्य करना।
बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती
अर्थः बिना यत्न किए कुछ भी नहीं मिलता।
बिल्ली और दूध की रखवाली?
अर्थः भक्षक रक्षक नहीं हो सकता।
बिल्ली के सपने में चूहा
अर्थः जरूरतमंद को सपने में भी जरूरत की ही वस्तु दिखाई देती है।
बिल्ली गई चूहों की बन आयी
अर्थः डर खत्म होते ही मौज मनाना।
बीमार की रात पहाड़ बराबर
अर्थः खराब समय मुश्किल से कटता है।
बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम
अर्थः वय के हिसाब से ही काम करना चाहिए।
बुढ़ापे में मिट्टी खराब
अर्थः बुढ़ापे में इज्जत में बट्टा लगना।
बुढि़या मरी तो आगरा तो देखा
अर्थः प्रत्येक घटना के दो पहलू होते हैं – अच्छा और बुरा।
लिखे ईसा पढ़े मूसा
अर्थः गंदी लिखावट।
लेना एक न देना दो
अर्थः कुछ मतलब न रखना।
लोहा लोहे को काटता है
अर्थः प्रत्येक वस्तु का सदुपयोग होता है।
वहम की दवा हकीम लुकमान के पास भी नहीं है
अर्थः वहम सबसे बुरा रोग है।
विष को सोने के बरतन में रखने से अमृत नहीं हो जाता
अर्थः किसी चीज़ का प्रभाव बदल नहीं सकता।
शैकीन बुढि़या मलमल का लहँगा
अर्थः अजीब शौक करना।
शक्करखोरे को शक्कर मिल ही जाता है
अर्थः जुगाड़ कर लेना।
सकल तीर्थ कर आई तुमडि़या तौ भी न गयी तिताई
अर्थः स्वाभाव नहीं बदलता।
सख़ी से सूम भला जो तुरन्त दे जवाब
अर्थः लटका कर रखनेवाले से तुरन्त इंकार कर देने वाला अच्छा।
सच्चा जाय रोता आय, झूठा जाय हँसता आय
अर्थः सच्चा दुखी, झूठा सुखी।
सबेरे का भूला सांझ को घर आ जाए तो भूला नहीं कहलाता
अर्थः गलती सुधर जाए तो दोष नहीं कहलाता।
समय पाइ तरूवर फले केतिक सीखे नीर
अर्थः काम अपने समय पर ही होता है।
समरथ को नहिं दोष गोसाई
अर्थः समर्थ आदमी का दोष नहीं देखा जाता।
ससुराल सुख की सार जो रहे दिना दो चार
अर्थः रिश्तेदारी में दो चार दिन ठहरना ही अच्छा होता है।
सहज पके सो मीठा होय
अर्थः धैर्य से किया गया काम सुखकर होता है।
साँच को आँच नहीं
अर्थः सच्चे आदमी को कोई खतरा नहीं होता।
साँप के मुँह में छछूँदर
अर्थः कहावत दुविधा में पड़ना।
साँप निकलने पर लकीर पीटना
अर्थः अवसर बीत जाने पर प्रयास व्यर्थ होता है।
सारी उम्र भाड़ ही झोका
अर्थः कुछ भी न सीख पाना।
सारी देग में एक ही चावल टटोला जाता है
अर्थः जाँच के लिए थोड़ा सा नमूना ले लिया जाता है।
सावन के अंधे को हरा ही हरा सूझता है
अर्थः परिस्थिति को न समझना।
सावन हरे न भादों सूखे
अर्थः सदा एक सी दशा।
मुँह में राम बगल में छुरी
अर्थः ऊपर से मित्र भीतर से शत्रु।
मुँह माँगी मौत नहीं मिलती
अर्थः अपनी इच्छा से कुछ नहीं होता।
मुफ्त की शराब काज़ी को भी हलाल
अर्थः मुफ्त का माल सभी ले लेते हैं।
मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक
अर्थः सीमित दायरा।
मोरी की ईंट चौबारे पर
अर्थः छोटी चीज का बड़े काम में लाना।
म्याऊँ के ठोर को कौन पकड़े
अर्थः कठिन काम कोई नहीं करना चाहता।
यह मुँह और मसूर की दाल
अर्थः औकात का न होना।
रंग लाती है हिना पत्थर पे घिसने के बाद
अर्थः दु:ख झेलकर ही आदमी का अनुभव और सम्मान बढ़ता है।
रस्सी जल गई पर ऐंठ न गई
अर्थः घमण्ड का खत्म न होना।
राजा के घर मोतियों का अकाल?
अर्थः समर्थ को अभाव नहीं होता।
रानी रूठेगी तो अपना सुहाग लेगी
अर्थः रूठने से अपना ही नुकसान होता है।
राम की माया कहीं धूप कहीं छाया
अर्थः कहीं सुख है तो कहीं दुःख है।
राम मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी
अर्थः बराबर का मेल हो जाना।
राम राम जपना पराया माल अपना
अर्थः ऊपर से भक्त, असल में ठग।
रोज कुआँ खोदना, रोज पानी पीना
अर्थः रोज कमाना रोज खाना।
रोगी से बैद
अर्थः भुक्तभोगी अनुभवी हो जाता है।
लड़े सिपाही नाम सरदार का
अर्थः काम का श्रेय अगुवा को ही मिलता है।
लड्डू कहे मुँह मीठा नहीं होता
अर्थः केवल कहने से काम नहीं बन जाता।
लातों के भूत बातों से नहीं मानते
अर्थः मार खाकर ही काम करने वाला।
लाल गुदड़ी में नहीं छिपते
अर्थः गुण नहीं छिपते।
मछली के बच्चे को तैरना कौन सिखाता है
अर्थः गुण जन्मजात आते हैं।
मजनू को लैला का कुत्ता भी प्यारा
अर्थः प्रेयसी की हर चीज प्रेमी को प्यारी लगती है।
मतलबी यार किसके, दम लगाया खिसके
अर्थः स्वार्थी व्यक्ति को अपना स्वार्थ साधने से काम रहता है।
मन के लड्ड़ओं से भूख नहीं मिटती
अर्थः इच्छा करने मात्र से ही इच्छापूर्ति नहीं होती।
मन चंगा तो कठौती में गंगा
अर्थः मन की शुद्धता ही वास्तंविक शुद्धता है।
मरज़ बढ़ता गया ज्यों- ज्यों इलाज करता गया
अर्थः सुधार के बजाय बिगाड़ होना।
मरता क्या न करता
अर्थः मजबूरी में आदमी सब कुछ करना पड़ता है।
मरी बछिया बाभन के सिर
अर्थः व्यर्थ दान।
मलयागिरि की भीलनी चंदन देत जलाय
अर्थः बहुत अधिक नजदीकी होने पर कद्र घट जाती है।
माँ का पेट कुम्हार का आवा
अर्थः संताने सभी एक-सी नहीं होती।
माँगे हरड़, दे बेहड़ा
अर्थः कुछ का कुछ करना।
मान न मान मैं तेरा मेहमान
अर्थः ज़बरदस्ती का मेहमान।
मानो तो देवता नहीं तो पत्थर
अर्थः माने तो आदर, नहीं तो उपेक्षा।
माया से माया मिले कर-कर लंबे हाथ
अर्थः धन ही धन को खींचता है।
माया बादल की छाया
अर्थः धन-दौलत का कोई भरोसा नहीं ।
मार के आगे भूत भागे
अर्थः मार से सब डरते हैं।
मियाँ की जूती मियाँ का सिर
अर्थः दुश्मन को दुश्मन के हथियार से मारना।
मिस्सों से पेट भरता है किस्सों से नहीं
अर्थः बातों से पेट नहीं भरता।
मीठा-मीठा गप, कड़वा-कड़वा थू-थू
अर्थः मतलबी होना।
पाँच पंच मिल कीजे काजा, हारे-जीते कुछ नहीं लाजा
अर्थः मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेदारी एक पर नहीं आती।
पाँचों उँगलियाँ घी में
अर्थः चौतरफा लाभ।
पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं
अर्थः सब आदमी एक जैसे नहीं होते।
पागलों के क्या् सींग होते हैं
अर्थः पागल भी साधारण मनुष्य होता है।
पानी केरा बुलबुला अस मानुस के जात
अर्थः जीवन नश्वर है।
पानी पीकर जात पूछते हो
अर्थः काम करने के बाद उसके अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार करना।
पाप का घड़ा डूब कर रहता है
अर्थः पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है।
पिया गए परदेश, अब डर काहे का
अर्थः जब कोई निगरानी करने वाला न हो , तो मौज उड़ाना।
पीर बावर्ची भिस्ती खर
अर्थः किसी एक के द्वारा ही सभी तरह के काम करना।
पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं
अर्थः वर्तमान लक्षणों से भविष्य का अनुमान लग जाता है।
पूत सपूत तो का धन संचय, पूत कपूत तो का धन संचय
पूत स्वयं कमा लेगा, कपूत संचित धन को उड़ा देगा।
पूरब जाओ या पच्छिम, वही करम के लच्छन
अर्थः स्थान बदलने से भाग्य और स्वभाव नहीं बदलता।
पेड़ फल से जाना जाता है
अर्थः कर्म का महत्व उसके परिणाम से होता है।
प्यासा कुएँ के पास जाता है
अर्थः बिना परिश्रम सफलता नहीं मिलती।
फिसल पड़े तो हर गंगे
अर्थः बहाना करके अपना दोष छिपाना।
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद
अर्थः ज्ञान न होना।
बकरे की जान गई खाने वाले को मज़ा नह आया
अर्थः भारी काम करने पर भी सराहना न मिलना।
बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है
अर्थः शक्तिशाली व्यक्ति निर्बल को दबा लेता है।
बड़े बरतन का खुरचन भी बहुत है
अर्थः जहाँ बहुत होता है वहाँ घटते-घटते भी काफी रह जाता है।
बड़े बोल का सिर नीचा
अर्थः घमंड करने वाले को नीचा देख्ाना पड़ता है।
बनिक पुत्र जाने कहा गढ़ लेवे की बात
अर्थः छोटा आदमी बड़ा काम नहीं कर सकता।
बनी के सब यार हैं
अर्थः अच्छे दिनों में सभी दोस्त बनते हैं।
बरतन से बरतन खटकता ही है
अर्थः जहाँ चार लोग होते हैं वहाँ कभी अनबन हो सकती है।
बहती गंगा में हाथ धोना
अर्थः मौके का लाभ उठाना।
नीचे की साँस नीचे, ऊपर की साँस ऊपर
अर्थः अत्यधिक घबराहट की स्थिति।
नीचे से जड़ काटना,ऊपर से पानी देना
अर्थः ऊपर से मित्र, भीतर से शत्रु।
नीम हकीम खतरा-ए-जान
अर्थः अनुभवहीन व्याक्ति के हाथों काम बिगड़ सकता है।
नेकी और पूछ-पूछ
अर्थः भलाई का काम।
नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अर्थः अत्यन्त मंद गति से कार्य करना।
नौ नकद, न तेरह उधार
अर्थः नकद का काम उधार के काम से अच्छा।
नौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली
अर्थः जीवन भर कुकर्म करके अन्त में भला बनना।
पंच कहे बिल्ली तो बिल्ली ही सही
अर्थः सबकी राय में राय मिलाना।
पंचों का कहना सिर माथे पर, परनाला वहीं रहेगा
अर्थः दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना।
पकाई खीर पर हो गया दलिया
अर्थः दुर्भाग्य।
पगड़ी रख, घी चख
अर्थः मान-सम्मान से ही जीवन का आनंद है।
पढ़े तो हैं पर गुने नहीं
अर्थः पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन।
पढ़े फारसी बेचे तेल
अर्थः गुणवान होने पर भी दुर्भाग्यवश छोटा काम मिलना।
पत्थर को जोंक नहीं लगती
अर्थः निर्दय आदमी दयावान नहीं बन सकता।
पत्थर मोम नहीं होता
अर्थः निर्दय आदमी दयावान नहीं बन सकता।
पराया घर थूकने का भी डर
अर्थः दूसरे के घर में संकोच रहता है।
पराये धन पर लक्ष्मीनारायण
अर्थः दूसरे के धन पर गुलछर्रें उड़ाना।
पहले तोलो, फिर बोलो
अर्थः समझ-सोचकर मुँह खोलना चाहिए।
नंगा बड़ा परमेश्वर से
अर्थः निर्लज्ज से सब डरते हैं।
नंगा क्या नहाएगा क्या निचोड़ेगा
अर्थः अत्यन्त निर्धन होना।
नंगे से खुदा डरे
अर्थः निर्लज्ज से भगवान भी डरते हैं।
न अंधे को न्योता देते न दो जने आते
अर्थः गलत फैसला करके पछताना।
न इधर के रहे, न उधर के रहे
अर्थः दुविधा में रहने से हानि ही होती है।
नकटा बूचा सबसे ऊँचा
अर्थः निर्लज्ज से सब डरते हैं इसलिए वह सबसे ऊँचा होता है।
नक्कारखाने में तूती की आवाज
अर्थः महत्व न मिलना।
नदी किनारे रूखड़ा जब-तब होय विनाश
अर्थः नदी के किनारे के वृक्ष का कभी भी नाश हो सकता है।
न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
अर्थः ऐसी परिस्थिति जिसमें काम न हो सके।
नमाज़ छुड़ाने गए थे, रोज़े गले पड़े
अर्थः छोटी मुसीबत से छुटकारा पाने के बदले बड़ी मुसीबत में पड़ना।
नया नौ दिन पुराना सौ दिन
अर्थः साधारण ज्ञान होने से अनुभव होने का अधिक महत्व होता है।
न रहेगा बॉंस, न बजेगी बाँसुरी
अर्थः ऐसी परिस्थिति जिसमें काम न हो सके।
नाई की बरात में सब ही ठाकुर
अर्थः सभी का अगुवा बनना।
नाक कटी पर घी तो चाटा
अर्थः लाभ के लिए निर्लज्ज हो जाना।
नाच न जाने आँगन टेढ़ा
अर्थः बहाना करके अपना दोष छिपाना।
नानी के आगे ननिहाल की बातें
अर्थः बुद्धिमान को सीख देना।
नानी के टुकड़े खावे, दादी का पोता कहावे
अर्थः खाना किसी का, गाना किसी का।
नानी क्वाँरी मर गई, नाती के नौ-नौ ब्याह
अर्थः झूठी बड़ाई।
नाम बड़े दर्शन छोटे
अर्थः झूठा दिखावा।
नाम बढ़ावे दाम
अर्थः किसी चीज का नाम हो जाने से उसकी कीमत बढ़ जाती है।
नामी चोर मारा जाए, नामी शाह कमाए खाए
अर्थः बदनामी से बुरा और नेकनामी से भला होता है।
दीवार के भी कान होते हैं
अर्थः सतर्क रहना चाहिए।
दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है
अर्थः जिससे लाभ होता है, उसकी धौंस भी सहनी पड़ती है।
दुनिया का मुँह किसने रोका है
अर्थः बोलने वालों की परवाह नहीं करनी चाहिए।
दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम
अर्थः दुविधा में पड़ने से कुछ भी नहीं मिलता।
दूल्हा को पत्त़ल नहीं, बजनिये को थाल
अर्थः बेतरतीब काम करना।
दूध का दूध पानी का पानी
अर्थः न्याय होना।
दूध पिलाकर साँप पोसना
अर्थः शत्रु का उपकार करना।
दूर के ढोल सुहावने
अर्थः देख परख कर ही सही गलत का ज्ञान करना।
दूसरे की पत्तल लंबा-लंबा भात
अर्थः दूसरे की वस्तु् अच्छी लगती है।
देसी कुतिया विलायती बोली
अर्थः दिखावा करना।
देह धरे के दण्ड हैं
अर्थः शरीर है तो कष्ट भी होगा।
दोनों हाथों में लड्डू
अर्थः सभी प्रकार से लाभ ही लाभ।
दो लड़े तीसरा ले उड़े
अर्थः दो की लड़ाई में तीसरे का लाभ होना।
धनवंती को काँटा लगा दौड़े लोग हजार
अर्थः धनी आदमी को थोड़ा सा भी कष्ट हो तो बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं।
धन्ना सेठ के नाती बने हैं
अर्थः अपने को अमीर समझना।
धर्म छोड़ धन कौन खाए
अर्थः धर्मविरूद्ध कमाई सुख नहीं देती।
धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं
अर्थः अनुभवी होना।
धोबी का गधा घर का ना घाट का
अर्थः कहीं भी इज्जत न पाना।
धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे
अर्थः शक्तिशाली पर आने वाले क्रोध को निर्बल पर उतारना।
धोबी के घर पड़े चोर, लुटे कोई और
अर्थः धोबी के घर चोरी होने पर कपड़े दूसरों के ही लुटते हैं।
धोबी रोवे धुलाई को, मियाँ रोवे कपड़े को
अर्थः सब अपने ही नुकसान की बात करते हैं।
तबेले की बला बंदर के सिर
अर्थः अपना अपराध दूसरे के सिर मढ़ना।
तन को कपड़ा न पेट को रोटी
अर्थः अत्यन्त दरिद्र।
तलवार का खेत हरा नहीं होता
अर्थः अत्याचार का फल अच्छा नहीं होता।
ताली दोनों हाथों से बजती है
अर्थः केवल एक पक्ष होने से लड़ाई नहीं हो सकती।
तिरिया बिन तो नर है ऐसा, राह बटाऊ होवे जैसा
अर्थः स्त्री के बिना पुरूष अधूरा होता है।
तीन बुलाए तेरह आए, दे दाल में पानी
अर्थः समय आ पड़े तो साधन निकाल लेना पड़ता है।
तीन में न तेरह में
अर्थः निष्पक्ष होना।
तेरी करनी तेरे आगे, मेरी करनी मेरे आगे
अर्थः सबको अपने-अपने कर्म का फल भुगतना ही पड़ता है।
तुम्हारे मुँह में घी शक्कर
अर्थः शुभ सन्देश।
तुरत दान महाकल्याण,
अर्थः काम को तत्काल निबटाना।
तू डाल-डाल मैं पात-पात
अर्थः चालाक के साथ चालाकी चलना।
तेल तिलों से ही निकलता है
अर्थः सामर्थ्यवान व्यक्ति से ही प्राप्ति होती है।
तेल देखो तेल की धार देखो
अर्थः धैर्य से काम लेना।
तेल न मिठाई, चूल्हे धरी कड़ाही
अर्थः दिखावा करना।
तेली का तेल जले, मशालची की छाती फटे
अर्थः दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो।
तेली के बैल को घर ही पचास कोस
अर्थः घर में रहने पर भी अक्ल का अंधा कष्ट ही भोगता है।
तेली खसम किया, फिर भी रूखा खाया
अर्थः सामर्थ्यतवान की शरण में रहकर भी दु:ख उठाना।
झूठ के पाँव नहीं होते
अर्थः झूठा आदमी अपनी बात पर खरा नहीं उतरता।
झोपड़ी में रहें, महलों के ख्वाब देखें
अर्थः अपनी सामर्थ्य से बढ़कर चाहना।
टके का सब खेल है
अर्थः धन सब कुछ करता है।
ठंडा करके खाओ
अर्थः धीरज से काम करो।
ठंडा लोहा गरम लोहे को काट देता है
अर्थः शान्त व्याक्ति क्रोधी को झुका देता है।
ठोक बजा ले चीज, ठोक बजा दे दाम
अर्थः अच्छी वस्तु का अच्छा दाम।
ठोकर लगे तब आँख खुले
अर्थः अक्ल अनुभव से आती है।
डण्डा सब का पीर
अर्थः सख्ती करने से लोग काबू में आते हैं।
डायन को दामाद प्यारा
अर्थः खराब लोगों को भी अपने प्यारे होते हैं।
डूबते को तिनके का सहारा
अर्थः विपत्ति में थोड़ी सी सहायता भी काफी होती है।
ढाक के तीन पात
अर्थः अपनी बात पर अड़े रहना।
ढोल के भीतर पोल
अर्थः झूठा दिखावा करने वाला।
तख्त या तख्ता
अर्थः या तो उद्देश्य की प्राप्ति हो या स्वयं मिट जाएँ।
जर जाए, घी न जाए
अर्थः महाकृपण।
जरती मक्खी नहीं निगली जाती
अर्थः जानते बूझते गलत काम नहीं किया जा सकता।
जीभ भी जली और स्वाद भी न आया
अर्थः कष्ट सहकर भी उद्देश्य पूर्ति न होना।
जूठा खाए मीठे के लालच
अर्थः लाभ के लालच में नीच काम करना।
जैसा करोगे वैसा भरोगे
अर्थः जैसा काम करोगे वैसा ही फल मिलेगा।
जैसा बोवोगे वैसा काटोगे
अर्थः जैसा काम करोगे वैसा ही फल मिलेगा।
जैसा मुँह वैसा थप्पड़
अर्थः जो जिसके योग्य हो उसको वही मिलता है।
जैसा राजा वैसी प्रजा
अर्थः राजा नेक तो प्रजा भी नेक, राजा बद तो प्रजा भी बद।
जैसी करनी वैसी भरनी
अर्थः जैसा काम करोगे वैसा ही फल मिलेगा।
जैसे तेरी बाँसुरी, वैसे मेरे गीत
अर्थः गुण के अनुसार ही प्राप्ति होती है।
जैसे कंता घर रहे वैसे रहे परदेश
अर्थः निकम्मा आदमी घर में रहे या बाहर कोई अंतर नहीं।
जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ
अर्थः दुष्ट लोग एक जैसे ही होते हैं।
जो गरजते हैं वो बरसते नहीं
अर्थः डींग हाँकनेवाले काम के नहीं होते हैं।
जोगी का बेटा खेलेगा तो साँप से
अर्थः बाप का प्रभाव बेटे पर पड़ता है।
जो गुड़ खाए सो कान छिदाए
अर्थः लाभ पाने वाले को कष्ट सहना ही पड़ता है।
जो तोको काँटा बुवे ताहि बोइ तू फूल
अर्थः बुराई का बदला भी भलाई से दो।
जो बोले सों घी को जाए
अर्थः बड़बोलेपन से हानी ही होती है।
जो हाँडी में होगा वह थाली में आएगा
अर्थः जो मन है वह प्रकट होगा ही।
ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों-त्यों भारी होय
अर्थः (1) पद के अनुसार जिम्मेदारियाँ भी बढ़ती जाती हैं। (2) उधारी को छूटते ही रहना चाहिए अन्यथा ब्याज बढ़ते ही जाता है।
जहँ जहँ पैर पड़े संतन के, तहँ तहँ बंटाधार
अर्थः अभागा व्यक्ति जहाँ भी जाता है बुरा होता है।
जहाँ गुड़ होगा, वहीं मक्खियाँ होंगी
अर्थः धन प्राप्त होने पर खुशामदी अपने आप मिल जाते हैं।
जहाँ चार बर्तन होंगे, वहाँ खटकेंगे भी
अर्थः सभी का मत एक जैसा नहीं हो सकता।
जहाँ चाह है वहाँ राह है
अर्थः काम के प्रति लगन हो तो काम करने का रास्ता निकल ही आता है।
जहाँ देखे तवा परात, वहाँ गुजारे सारी रात
अर्थः जहाँ कुछ प्राप्ति की आशा दिखे वहीं जम जाना।
जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि
अर्थः कवि की कल्पना की पहुँच सर्वत्र होती है।
जहाँ फूल वहाँ काँटा
अर्थः अच्छाई के साथ बुराई भी होती ही है।
जहाँ मुर्गा नहीं होता, क्या वहाँ सवेरा नहीं होता
अर्थः किसी के बिना किसी का काम रूकता नहीं है।
जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई
अर्थः दु:ख को भुक्तभोगी ही जानता है।
जागेगा सो पावेगा,सोवेगा सो खोएगा
अर्थः हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
जादू वह जो सिर पर चढ़कर बोले
अर्थः अत्यन्त प्रभावशाली होना।
जान मारे बनिया पहचान मारे चोर
अर्थः बनिया और चोर जान पहचान वालों को ठगते हैं।
जाए लाख, रहे साख
अर्थः धन भले ही चला जाए, इज्जत बचनी चाहिए।
जितना गुड़ डालोगे, उतना ही मीठा होगा
अर्थः जितना अधिक लगाओगे उतना ही अच्छा पाओगे।
जितनी चादर हो, उतने ही पैर पसारो
अर्थः आमदनी के हिसाब से खर्च करो।
जितने मुँह उतनी बातें
अर्थः अस्पष्ट होना।
जिन खोजा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैंठ
अर्थः परिश्रम करने वाले को ही लाभ होता है।
जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना
अर्थः जो उपकार करे, उसका ही अहित करना।
जिसका काम उसी को साजै
अर्थः जो काम जिसका है वहीं उसे ठीक तरह से कर सकता है।
जिसका खाइए उसका गाइए
अर्थः जिससे लाभ हो उसी का पक्ष लो।
जिसका जूता उसी का सिर
अर्थः दुश्मन को दुश्मन के ही हथियार से मारना।
जिसकी लाठी उसकी भैंस
अर्थः शक्तिशाली ही समर्थ होता है।
जिसके हाथ डोई, उसका सब कोई
अर्थः धनी आदमी के सभी मित्र होते हैं।
जिसको पिया चाहे, वहीं सुहागिन
अर्थः समर्थ व्यक्ति जिसका चाहे कल्याण कर सकता है।
छलनी कहे सूई से तेरे पेट में छेद
अर्थः अपने अवगुणों को न देखकर दूसरों की आलोचना करना।
छाज (सूप) बोले तो बोले, छलनी भी बोले जिसमें हजार छेद
अर्थः ज्ञानी के समक्ष अज्ञानी का बोलना।
छीके कोई,नाक कटावे कोई
अर्थः किसी के दोष का फल किसी दूसरे के द्वारा भोगना।
छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर
अर्थः हर तरफ से हानि हानि होना।
छोटा मुँह बड़ी बात
अर्थः अपनी योग्यता से बढ़कर बात करना।
छोटे मियाँ तो छोटे मियाँ,बड़े मियाँ सुभानअल्लाह
अर्थः छोटे के अवगणों से बड़े के अवगुण अधिक होना।
जंगल में मोर नाचा किसने देखा
अर्थः कद्र न करने वालों के समक्ष योग्यता प्रदर्शन।
जड़ काटते जाएं, पानी देते जाएं
अर्थः भीतर से शत्रु ऊपर से मित्र।
जने-जने की लकड़ी, एक जने का बोझ
अर्थः अकेला व्यक्ति काम पूरा नहीं कर सकता किन्तु सब मिल काम करें तो काम पूरा हो जाता है।
जब चने थे दॉंत न थे, जब दाँत भये तब चने नहीं
अर्थः कभी वस्तु है तो उसका भोग करने वाला नहीं और कभी भोग करने वाला है तो वस्तु नहीं।
जब तक जीना तब तक सीना
अर्थः आदमी को मृत्युपर्यन्त काम करना ही पड़ता है।
जब तक साँस तब तक आस
अर्थः अंत समय तक आशा बनी रहती है।
जबरदस्ती का ठेंगा सिर पर
अर्थः जबरदस्त आदमी दबाव डाल कर काम लेता है ।
जबरा मारे रोने न दे
अर्थः जबरदस्त आदमी का अत्याचार चुपचाप सहन करना पड़ता है।
जबान को लगाम चाहिए
अर्थः सोच-समझकर बोलना चाहिए।
ज़बान ही हाथी चढ़ाए, ज़बान ही सिर कटाए
अर्थः मीठी बोली से आदर और कड़वी बोली से निरादर होता है।
जर का जोर पूरा है, और सब अधूरा है
अर्थः धन में सबसे अधिक शक्ति है।
जर है तो नर नहीं तो खंडहर
अर्थः पैसे से ही आदमी का सम्मान है।
जल में रहकर मगर से बैर
अर्थः जहाँ रहना हो वहाँ के शक्तिशाली व्यक्ति से बैर ठीक नहीं होता ।
जस दूल्हा तस बाराती
अर्थः स्वभाव के अनुसार ही मित्रता होती है।
चींटी की मौत आती है तो उसके पर निकलने लगते हैं
अर्थः घमंड करने से नाश होता है।
चील के घोसले में मांस कहाँ
अर्थः दरिद्र व्यक्ति क्या बचत कर सकता है?
चुड़ैल पर दिल आ जाए तो वह भी परी है
अर्थः पसंद आ जाए तो बुरी वस्तु भी अच्छी ही लगती है।
चुल्लू़ भर पानी में डूब मरना
अर्थः शर्म से डूब जाना।
चुल्लू-चुल्लू साधेगा, दुआरे हाथी बाँधेगा
अर्थः थोड़ा-थोड़ा जमा करके अमीर बना जा सकता है।
चूल्हे की न चक्की की
अर्थः किसी काम न होना।
चूहे का बच्चा बिल ही खोदता है
अर्थः स्वभाव नहीं बदलता।
चूहे के चाम से कहीं नगाड़े मढ़े जाते हैं
अर्थः अपर्याप्त।
चूहों की मौंत बिल्ली का खेल
अर्थः दूसरे को कष्ट देकर मजा लेना।
चोट्टी कुतिया जलेबियों की रखवाली
अर्थः चोर को रक्षा करने के कार्य पर लगाना।
चोर के पैर नहीं होते
अर्थः दोषी व्यक्ति स्वयं फँसता है।
चोर-चोर मौसेरे भाई
अर्थः एक जैसे बदमाशों का मेल हो ही जाता है।
चोर-चोरी से जाए, हेरा-फेरी से न जाए
अर्थः दुष्ट आदमी से पूरी तरह से दुष्टता नहीं छूटती।
चोर लाठी दो जने और हम बाप पूत अकेले
अर्थः शक्तिशाली आदमी से दो व्यक्ति भी हार जाते हैं।
चोर को कहे चारी कर और साह से कहे जागते रहो
अर्थः दो पक्षों को लड़ाने वाला।
चोरी और सीनाजोरी
अर्थः गलत काम करके भी अकड़ दिखाना।
चोरी का धन मोरी में
अर्थः हराम की कमाई बेकार जाती है।
चौबे गए छब्बे बनने, दूबे ही रह गए
अर्थः अधिक लालच करके अपना सब कुछ गवाँ देना।
छछूँदर के सिर में चमेली का तेल
चक्की में कौर डालोगे तो चून पाओगे
अर्थः कुछ पाने के लिए कुछ लगाना ही पड़ता है।
चट मँगनी पट ब्याह
अर्थः त्वरित गति से कार्य होना।
चढ़ जा बेटा सूली पर, भगवान भला करेंगे
अर्थः बिना सोचे विचारे खतरा मोल लेना।
चने के साथ कहीं घुन न पिस जाए
अर्थः दोषी के साथ कहीं निर्दोष न मारा जाए।
चमगादड़ों के घर मेहमान आए, हम भी लटके तुम भी लटको
अर्थः गरीब आदमी क्या आवभगत करेगा।
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
अर्थः महा कंजूस।
चमार चमड़े का यार
अर्थः स्वार्थी व्यक्ति।
चरसी यार किसके दम लगाया खिसके
अर्थः स्वार्थी व्यक्ति स्वार्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है।
चलती का नाम गाड़ी
अर्थः कार्य चलते रहना चाहिए।
चाँद को भी ग्रहण लगता है
अर्थः भले आदमी की भी बदनामी हो जाती है।
चाकरी में न करी क्या?
अर्थः नौकरी में मालिक की आज्ञा अवहेलना नहीं की जा सकती।
चार दिन की चाँदनी फिर अँधियारी रात
अर्थः सुख थोड़े ही दिन का होता है।
चिकना मुँह पेट खाली
अर्थः देखने में अच्छा-भला भीतर से दु:खी।
चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता
अर्थः लिर्लज्ज़ आदमी पर किसी बात का असर नहीं पड़ता।
चिकने मुँह को सब चूमते हैं
अर्थः समृद्ध व्यक्ति के सभी यार होते हैं।
चिडिया की जान गई, खाने वाले को मजा न आया
अर्थः भारी काम करने पर भी सराहना न मिलना।
चित भी मेरी पट भी मेरी अंटी मेरे बाबा का
अर्थः हर हालत में अपना ही लाभ देखना।
चिराग तले अँधेरा
अर्थः पास की चीज़ दिखाई न पड़ना।
चिराग में बत्ती और आँख में पट्टी
अर्थः शाम होते ही सोने लगना।
गूदड़ में लाल नहीं छिपता
अर्थः गुण स्वयं ही झलकता है।
गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है
अर्थः दोषी के साथ निदोर्ष भी मारा जाता है।
गोद में बैठकर आँख में उँगली करना/ गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचना
अर्थः भलाई के बदले बुराई करना।
गोद में लड़का, शहर में ढिंढोरा
अर्थः पास की वस्तु नजर न आना।
घड़ी भर में घर जले, अढ़ाई घड़ी भद्रा
अर्थः समय पहचान कर ही कार्य करना चाहिए।
घड़ी में तोला, घड़ी में माशा
अर्थः चंचल विचारों वाला।
घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते
अर्थः घर में आने वाले को मान देना चाहिए।
घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध
अर्थः अपने ही घर में अपनी कीमत नहीं होती।
घर का भेदी लंका ढाए
अर्थः आपसी फूट का परिणाम बुरा होता है।
घर की मुर्गी दाल बराबर
अर्थः अपनी चीज़ या अपने आदमी की कदर नहीं।
घर खीर तो बाहर खीर
अर्थः समृद्धि सम्मान प्रदान करती है।
घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने
अर्थः कुछ न होने पर भी होने का दिखावा करना।
घायल की गति घायल जाने
अर्थः कष्ट भोगने वाला ही वही दूसरों के कष्ट को समझ सकता है।
घी गिरी खिचड़ी में
अर्थः लापरवाही के बावजूद भी वस्तु का सदुपयोग होना।
घी सँवारे काम बड़ी बहू का नाम
अर्थः साधन पर्याप्त हों तो काम करने वाले को यश भी मिलता है।
घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या?
अर्थः व्यापार में रियायत नहीं की जाती।
घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपने ही मक्खियाँ उड़ाएगा
अर्थः उन्नति करके आदमी अपना ही भला करता है।
घोड़े को लात, आदमी को बात
अर्थः सामने वाले का स्वभाव पहचान कर उचित व्यहार करना।
खूँटे के बल बछड़ा कूदे
अर्थः दूसरे की शह पाकर ही अकड़ दिखाना।
खेत खाए गदहा, मार खाए जुलहा
अर्थः किसी के दोष की सजा किसी अन्य को मिलना।
खेती अपन सेती
अर्थः दूसरों के भरोसे खेती नहीं की जा सकती।
खेल -खिलाड़ी का,पैसा मदारी का
अर्थः मेहनत किसी की लाभ किसी और का।
खोदा पहाड़ निकली चुहिया
अर्थः परिश्रम कुछ भी फल न मिलना।
गंगा गए तो गंगादास, यमुना गए यमुनादास
अर्थः एक मत पर स्थिर न रहना।
गंजेडी यार किसके दम लगाया खिसके
अर्थः स्वार्थी आदमी स्वार्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है।
गधा धोने से बछड़ा नहीं हो जाता
अर्थः स्वभाव नहीं बदलता।
गधा भी कहीं घोड़ा बन सकता है
अर्थः बुरा आदमी कभी भला नहीं बन सकता।
गई माँगने पूत, खो आई भरतार
अर्थः थोड़े लाभ के चक्कर में भारी नुकसान कर लेना।
गर्व का सिर नीचा
अर्थः घमंडी आदमी का घमंड चूर हो ही जाता है।
गरीब की लुगाई सब की भौजाई
अर्थः गरीब आदमी से सब लाभ उठाना चाहते हैं।
गरीबी तेरे तीन नाम - झूठा, पाजी, बेईमान
अर्थः गरीब का सवर्त्र अपमान होता रहता है।
गरीबों ने रोज़े रखे तो दिन ही बड़े हो गए
अर्थः गरीब की किस्म़त ही बुरी होती है।
गवाह चुस्त, मुद्दई सुस्त
अर्थः जिसका काम है वह तो आलस से करे, दूसरे फुर्ती दिखाएं।
गाँठ का पूरा, आँख का अंधा
अर्थः मालदार असामी।
गीदड़ की मौत आती है तो वह गाँव की ओर भागता है
अर्थः विपत्ति में बुद्धि काम नहीं करती।
गुड़ खाए, गुलगुलों से परहेज
अर्थः झूठ और ढोंग रचना।
गुड़ दिए मरे तो जहर क्यों दें
अर्थः काम प्रेम से निकल सके तो सख्ती न करें।
गुड़ न दें, पर गुड़ सी बात तो करें
अर्थः कुछ न दें पर मीठे बोल तो बोलें।
गुरु-गुड़ ही रहे, चेले शक्कर हो गए
अर्थः छोटों का बड़ों से आगे बढ़ जाना।
कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है
अर्थः अपनी ही वस्तु की प्रशंसा करना।
कै हंसा मोती चुगे कै भूखा मर जाय
अर्थः सम्मानित व्युक्ति अपनी मर्यादा में रहता है।
कोई माल मस्त, कोई हाल मस्त
अर्थः कोई अमीरी से संतुष्ट तो कोई गरीबी से।
कोठी वाला रोवें, छप्पर वाला सोवे
अर्थः धनवान की अपेक्षा गरीब अधिक निश्चिंत रहता है।
कोयल होय न उजली सौ मन साबुन लाइ
अर्थः स्वभाव नहीं बदलता।
कोयले की दालाली में मुँह काला
अर्थः बुरी संगत से कलंक लगता ही है।
कौड़ी नहीं गाँठ चले बाग की सैर
अर्थः अपनी सामर्थ्य से अधिक की सोचना।
कौन कहे राजाजी नंगे हैं
अर्थः बड़े लोगों की बुराई नहीं देखी जाती।
कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल
अर्थः दूसरों की नकल करने से अपनी मौलिकता भी खो जाती है।
क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा
अर्थः अत्यन्त तुच्छं होना।
खग जाने खग ही की भाषा
अर्थः एक जैसे प्रकृति के लोग आपस में मिल ही जाते हैं।
ख्याली पुलाव से पेट नहीं भरता
अर्थः केवल सोचते रहने से काम पूरा नहीं हो जाता।
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है
अर्थः देखादेखी काम करना।
खाक डाले चाँद नहीं छिपता
अर्थः किसी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता।
खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय
अर्थः ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलता।
खाली बनिया क्या करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे
अर्थः बेकाम आदमी उल्टे-सीधे काम करता रहता है।
खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे
अर्थः अपनी असफलता पर खीझना।
खुदा की लाठी में आवाज़ नहीं होती
अर्थः कोई नहीं जानता की अपने कर्मों का कब और कैसा फल मिलेगा।
खुदा गंजे को नाखून नहीं देता
अर्थः ईश्वर सभी की भलाई का ध्यान रखता है।
खुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है
अर्थः भाग्यशाली होना।
खुशामद से ही आमद है
अर्थः खुशामद से कार्य सम्पन्न हो जाते हैं।
का वर्षा जब कृषी सुखाने
अर्थः अवसर निकलने जाने पर सहायता भी व्यर्थ होती है।
कागज़ की नाव नहीं चलती
अर्थः बेईमानी या धोखेबाज़ी ज्यादा दिन नहीं चल सकती।
काजल की कौठरी में कैसेहु सयानो जाय एक लीक काजल की लगिहै सो लागिहै
अर्थः बुरी संगत होने पर कलंक अवश्य ही लगता है।
काज़ी जी दुबले क्यों? शहर के अंदेशे से
अर्थः दूसरों की चिन्ता में घुलना।
काठ की हाँडी एक बार ही चढ़ती है
अर्थः धोखा केवल एक बार ही दिया जा सकता है, बार बार नहीं।
कान में तेल डाल कर बैठना
अर्थः आवश्यक चिन्ताओं से भी दूर रहना।
काबुल में क्या गधे नहीं होते
अर्थः अच्छाई के साथ साथ बुराई भी रहती है।
काम का न काज का, दुश्मन अनाज का
अर्थः खाना खाने के अलावा और कोई भी काम न करने वाला व्यक्ति।
काम को काम सिखाता है
अर्थः अभ्यास करते रहने से आदमी होशियार हो जाता है।
काल के हाथ कमान,बूढ़ा बचे न जवान
अर्थः मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, वह सभी को ग्रसती है।
काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक
अर्थः मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, वह सभी को ग्रसती है।
काला अक्षर भैंस बराबर
अर्थः अनपढ़ होना।
काली के ब्याह को सौ जोखिम
अर्थः एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल दिए जाते हैं।
किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान
अर्थः नौकरी करके स्वाभिमान की रक्षा नहीं हो सकती।
किस खेत की मूली है
अर्थः महत्व न देना।
किसी का घर जले कोई तापे
अर्थः किसी की हानि पर किसी अन्य का लाभान्वित होना।
कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता
अर्थः अपनी चीज को कोई खराब नहीं कहता।
कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है
अर्थः कुछ भी बचत न होना।
कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे
अर्थः भरोसेमन्द व्यक्ति का बेईमान हो जाना।
कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है
अर्थः कुत्ता भी बैठने के पहले बैठने के स्थान को साफ करता है।
कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी
अर्थः लाख कोशिश करने पर भी दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं त्यागता।
कुत्ते को घी नहीं पचता
अर्थः नीच आदमी ऊँचा पद पाकर इतराने लगता है।
कुत्ता भूँके हजार, हाथी चले बजार
अर्थः समर्थ व्यक्ति को किसी का डर नहीं होता।
कंगाली में आटा गीला
अर्थः मुसीबत पर मुसीबत आना।
ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती
अर्थः अपराध के अनुसार ही दण्ड दिया जाना चाहिए।
कचहरी का दरवाजा खुला है
अर्थः न्याय पर सभी का अधिकार होता है।
कड़ाही सें गिरा चूल्हे में पड़ा
अर्थः छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
कब्र में पाँव लटकना
अर्थः अत्यधिक उम्र वाला।
कभी के दिन बड़े कभी की रात
अर्थः सब दिन एक समान नहीं होते।
कभी नाव गाड़ी पर , कभी गाड़ी नाव पर
अर्थः परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं।
कमली ओढ़ने से फकीर नहीं होता
अर्थः ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते ।
कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती
अर्थः सोच- समझकर ही बात करनी चाहिए।
करत-करत अभ्यामस के जड़मति होत सुजान
अर्थः अभ्यास करते रहने से सफलता अवश्य ही प्राप्त होती है।
करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया
अर्थः काम बिगड़ना।
करमहीन खेती करे,बैल मरे या सूखा पड़े
अर्थः दुर्भाग्य हो तो कोई न कोई काम खराब होता रहता है।
कर लिया सो काम, भज लिया सो राम
अर्थः अधूरे काम का कुछ भी मतलब नहीं होता।
कर सेवा तो खा मेवा
अर्थः अच्छे कार्य का परिणाम अच्छा ही होता है।
करे कोई भरे कोई
अर्थः किसी की करनी का फल किसी अन्य द्वारा भोगना।
करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुँछोंवाला
अर्थः प्रभावशाली व्यक्ति के अपराध के लिए किसी छोटे आदमी को दोषी ठहराया जाना।
कल किसने देखा है
अर्थः आज का काम आज ही करना चाहिए।
कलार की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है
अर्थः बुरी संगत होने पर कलंक लगता ही है।
कहाँ राम – राम, कहाँ टॉंय-टॉंय
अर्थः असमान चीजों की तुलना नहीं हो सकती।
कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानमती ने कुनबा जोड़ा
अर्थः असम्बन्धित वस्तुओं का एक स्थान पर संग्रह।
कहे खेत की, सुने खलिहान की
अर्थः कुछ कहने पर कुछ समझना।
आधा तीतर आधा बटेर
अर्थः बेमेल वस्तु।
आधी छोड़ पूरी को धावै, आधी मिले न पूरी पावै
अर्थः लालच करने से हानि होती है।
आप काज़ महा काज़
अर्थः अपने उद्देश्य की पूर्ति करना चाहिए।
आप भला तो जग भला
अर्थः भले आदमी को सब लोग भले ही प्रतीत होते हैं।
आप मरे जग परलय
अर्थः मृत्यु के पश्चात कोई नहीं जानता कि संसार में क्या हो रहा है।
आप मियाँ जी मँगते द्वार खड़े दरवेश
अर्थः असमर्थ व्यक्ति दूसरों की सहायता नहीं कर सकता।
आपा तजे तो हरि को भजे
अर्थः परमार्थ करने के लिए स्वार्थ को त्यागना पड़ता है।
आम खाने से काम, पेड गिनने से क्या मतलब
अर्थः निरुद्देश्य कार्य न करना।
आए की खुशी न गए का गम
अर्थः अपनी हालात में संतुष्ट रहना।
आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास
अर्थः लक्ष्य को भूलकर अन्य कार्य करना।
आसमान का थूका मुँह पर आता है
अर्थः बड़े लोगों की निंदा करने से अपनी ही बदनामी होती है।
आसमान से गिरा खजूर पर अटका
अर्थः सफलता पाने में अनेक बाधाओं का आना।
इक नागिन अरु पंख लगाई
अर्थः एक के साथ दूसरे दोष का होना।
इतना खाए जितना पावे
अर्थः अपनी औकात को ध्यान में रखकर खर्च करना।
इतनी सी जान, गज भर की ज़बान
अर्थः अपनी उम्र के हिसाब से अधिक बोलना।
इधर कुआँ उधर खाई
अर्थः हर हाल में मुसीबत।
इध्ार न उधर, यह बला किधर
अर्थः अचानक विपत्ति आ पड़ना।
आँख ओट पहाड़ ओट
अर्थः अनुपलब्ध व्यक्ति से किसी प्रकार का सहारा करना व्यर्थ है।
आँख ओर कान में चार अंगुल का फर्क
अर्थः सुनी हुई बात की अपेक्षा देखा हुआ सत्य अधिक विश्वसनीय होता है।
आँख के अंधे नाम नैनसुख
अर्थः व्यक्ति के नाम की अपेक्षा गुण प्रभावशाली होता है।
आ बैल मुझे मार
अर्थः जानबूझकर मुसीबत मोल लेना।
आई तो ईद, न आई तो जुम्मेरात
अर्थः आमदनी हुई तो मौज मौज मनाना नहीं तो फाका करना।
आई मौज फकीर की, दिया झोपड़ा फूँक
अर्थः विरक्त व्यक्ति को किसी चीज की परवाह नहीं होती।
आई है जान के साथ जाएगी जनाज़े के साथ
अर्थः लाइलाज बीमारी।
आग कह देने से मुँह नहीं जल जाता
अर्थः कोसने से किसी का अहित नहीं हो जाता।
आग का जला आग ही से अच्छा होता है
अर्थः कष्ट देने वाली वस्तु कष्ट का निवारण भी कर देती है।
आग खाएगा तो अंगार उगलेगा
अर्थः बुरे काम का नतीजा बुरा ही होता है।
आग बिना धुआँ नहीं
अर्थः बिना कारण कुछ भी नहीं होता।
आगे जाए घुटना टूटे, पीछे देखे आँख फूटे
अर्थः दुर्दिन झेलना।
आगे नाथ न पीछे पगहा
अर्थः पूर्णत: स्वतन्त्र रहना।
आज का बनिया कल का सेठ
अर्थः परिश्रम करते रहने से आदमी आगे बढ़ता जाता है।
आटे का चिराग, घर रखूँ तो चूहा खाए,बाहर रखूँ तो कौआ ले जाए
अर्थः ऐसी वस्तु जिसे बचाना मुश्किल हो।
आदमी-आदमी में अंतर कोई हीरा कोंई कंकर
अर्थः व्यक्तियों के स्वभाव तथा गुण भिन्न-भिन्न होते हैं।
आदमी का दवा आदमी है
अर्थः मनुष्य ही मनुष्य की सहायता करते हैं।
आदमी को ढाई गज कफन काफी है
अर्थः अपनी हालत पर संतुष्ट रहना।
आदमी जाने बसे सोना जाने कसे
अर्थः आदमी की पहचान नजदीकी से और सोने की पहचान सोना कसौटी से होती है।
आम के आम गुठलियों के दाम
अर्थः दोहरा लाभ होना
अक्ल बड़ी या भैंस
अर्थः शारीरिक शक्ति की अपेक्षा बुद्धि का अधिक महत्व होता है।
अच्छी मति जो चाहों, बूढ़े पूछन जाओ
अर्थः बड़े-बूढ़ों के अनुभव का लाभ उठाना चाहिये।
अटकेगा सो भटकेगा
अर्थः दुविधा या सोच-विचार में पड़ने से काम नहीं होता।
अधजल गगरी छलकत जाए
अर्थः ओछा आदमी थोड़ा गुण या धन होने पर इतराने लगता है।
अनजान सुजान, सदा कल्याण
अर्थः मूर्ख और ज्ञानी सदा सुखी रहते हैं।
अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत
अर्थः नुकसान हो जाने के बाद पछताना बेकार है।
अढ़ाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज
अर्थः अनहोनी बात।
बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख
अर्थः सौभाग्य से कोई बढिया चीज़ अपने-आप मिल जाती है और दुर्भाग्य से घटिया चीज़ प्रत्यत्न करने पर भी नहीं मिलती।
अपना-अपना कमाना,अपना-अपना खाना।
अर्थः किसी दूसरे के भरोसे नहीं रहना।
अपना ढेंढर देखे नहीं, दूसरे की फुल्ली निहारे।
अर्थः अपने बड़े से बड़े दुर्गुण को न देखना पर दूसरे के छोटे से छोटे अवगुण की चर्चा करना।
अपना मकान कोट समान।
अर्थः अपना घर सबसे सुरक्षित स्थान होता है।
अपना रख पराया चख।
अर्थः अपनी वस्तु बचाकर रखना और दूसरों की वस्तुएँ इस्तेमाल करना।
अपना लाल गँवाय के दर-दर माँगे भीख।
अर्थः अपनी बहुमूल्य वस्तु को गवाँ देने से आदमी दूसरों का मोहताज हो जाता है।
अपना ही सोना खोटा तो सुनार का क्या दोष।
अर्थः अपनी ही वस्तु खराब हो तो दूसरों को दोष देना उचित नहीं है।
अपनी- अपनी खाल में सब मस्त
अर्थः अपनी परिस्थिति से सतुष्ट रहना।
अपनी-अपनी ढफली, अपना-अपना राग
अर्थः सभी का अलग-अलग मत होना।
अपनी करनी पार उतरनी
अर्थः अच्छा परिणाम पाने के लिए स्वयं काम करना पड़ता है।
अपनी गरज से लोग गधे को भी बाप बनाते हैं
अर्थः येन-केन-प्रकारेण स्वार्थपूर्ति करना।
अपनी गरज बावली
अर्थः स्वार्थी आदमी दूसरों की परवाह नहीं करता।
अपनी गली में कुत्ता शेर
अर्थः अपने घर में आदमी शक्तिशाली होता है।
अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत कर
अर्थः छोटे के द्वारा बड़े को उपदेश देना।
अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई
अर्थः परिश्रम कोई करे लाभ किसी और को मिले।
अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे
अर्थः मूल वस्तु रहने पर उससे बनने वाली वस्तुऍं मिल ही जाती हैं।
अंत भला सो सब भला
अर्थः कार्य का परिणाम सही हो जाए तो सारी गलतियाँ भुला दी जाती हैं।
अंत भले का भला
अर्थः भलाई करने वाले का भला ही होता है।
अंधा बाँटे रेवड़ी अपने-अपने को देय
अर्थः अपने अधिकार का लाभ अपनों लोगों को ही पहुँचाना।
अंधा क्या चाहे, दो आँखें
अर्थः मनचाही वस्तु प्राप्त होना।
अंधा क्या जाने बसंत बहार
अर्थः जो वस्तु देखी ही नहीं गई, उसका आनंद कैसे जाना जा सकता है।
अंधा पीसे कुत्ता खाय
अर्थः एक की मजबूरी से दूसरे को लाभ हो जाता है।
अंधा बगुला कीचड़ खाय
अर्थः भाग्यहीन को सुख नहीं मिलता।
अंधा सिपाही कानी घोड़ी,विधि ने खूब मिलाई जोड़ी
अर्थः बराबर वाली जोड़ी बनना।
अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पड़ंत
अर्थः दो मूर्ख एक दूसरे की सहायता करें तो भी दोनों को हानि ही होती है।
अंधे की लाठी
अर्थः बेसहारे का सहारा।
अंधे के आगे रोये, अपनी आँखें खोये
अर्थः मूर्ख को ज्ञान देना बेकार है।
अंधे के हाथ बटेर लगना
अर्थः अनायास ही मनचाही वस्तु मिल जाना।
अंधे को अंधा कहने से बुरा लगता है
अर्थः किसी के सामने उसका दोष बताने से उसे बुरा ही लगता है।
अंधे को अँधेरे में बड़े दूर की सूझी
अर्थः मूर्ख को बुद्धिमत्ता की बात सूझना।
अंधेर नगरी चौपट राजा , टके सेर भाजी टके सेर खाजा
अर्थः जहाँ मुखिया मूर्ख हो और न्याय अन्याय का ख्याल न रखता हो।
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
अर्थः अकेला व्यक्ति किसी बड़े काम को सम्पन्न करने में समर्थ नहीं हो सकता।
अकेला हँसता भला न रोता भला
अर्थः सुख हो या दु:ख साथी की जरूरत पड़ती ही है।
अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत कर
अर्थः छोटे के द्वारा बड़े को उपदेश देना।
अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई
अर्थः परिश्रम कोई करे लाभ किसी और को मिले।
अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे
अर्थः मूल वस्तु रहने पर उससे बनने वाली वस्तुऍं मिल ही जाती हैं।
अंत भला सो सब भला
अर्थः कार्य का परिणाम सही हो जाए तो सारी गलतियाँ भुला दी जाती हैं।
अंत भले का भला
अर्थः भलाई करने वाले का भला ही होता है।
अंधा बाँटे रेवड़ी अपने-अपने को देय
अर्थः अपने अधिकार का लाभ अपनों लोगों को ही पहुँचाना।
अंधा क्या चाहे, दो आँखें
अर्थः मनचाही वस्तु प्राप्त होना।
अंधा क्या जाने बसंत बहार
अर्थः जो वस्तु देखी ही नहीं गई, उसका आनंद कैसे जाना जा सकता है।
अंधा पीसे कुत्ता खाय
अर्थः एक की मजबूरी से दूसरे को लाभ हो जाता है।
अंधा बगुला कीचड़ खाय
अर्थः भाग्यहीन को सुख नहीं मिलता।
अंधा सिपाही कानी घोड़ी,विधि ने खूब मिलाई जोड़ी
अर्थः बराबर वाली जोड़ी बनना।
अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पड़ंत
अर्थः दो मूर्ख एक दूसरे की सहायता करें तो भी दोनों को हानि ही होती है।
अंधे की लाठी
अर्थः बेसहारे का सहारा।
अंधे के आगे रोये, अपनी आँखें खोये
अर्थः मूर्ख को ज्ञान देना बेकार है।
अंधे के हाथ बटेर लगना
अर्थः अनायास ही मनचाही वस्तु मिल जाना।
अंधे को अंधा कहने से बुरा लगता है
अर्थः किसी के सामने उसका दोष बताने से उसे बुरा ही लगता है।
अंधे को अँधेरे में बड़े दूर की सूझी
अर्थः मूर्ख को बुद्धिमत्ता की बात सूझना।
अंधेर नगरी चौपट राजा , टके सेर भाजी टके सेर खाजा
अर्थः जहाँ मुखिया मूर्ख हो और न्याय अन्याय का ख्याल न रखता हो।
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
अर्थः अकेला व्यक्ति किसी बड़े काम को सम्पन्न करने में समर्थ नहीं हो सकता।
अकेला हँसता भला न रोता भला
अर्थः सुख हो या दु:ख साथी की जरूरत पड़ती ही है।
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल॥
अँग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन।
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन॥
अर्थः पीड़ा को सहकर ही समझा जा सकता है।
बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे
अर्थः रक्षक का भक्षक हो जाना।
बाप भला न भइया, सब से भला रूपइया
अर्थः धन ही सबसे बड़ा होता है।
बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़
अर्थः छोटे का बड़े से बढ़ जाना।
बाप से बैर, पूत से सगाई
अर्थः पिता से दुश्मनी और पुत्र से लगाव।
बारह गाँव का चौधरी अस्सी गाँव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी-तैसी में जाव
अर्थः बड़ा होकर यदि किसी के काम न आए, तो बड़प्पन व्यर्थ है।
बारह बरस पीछे घूरे के भी दिन फिरते हैं
अर्थः एक न एक दिन अच्छे दिन आ ही जाते हैं।
बासी कढ़ी में उबाल नहीं आता
अर्थः काम करने के लिए शक्ति का होना आवश्यक होता है।
बासी बचे न कुत्ता खाय
अर्थः जरूरत के अनुसार ही सामान बनाना।
बिंध गया सो मोती, रह गया सो सीप
अर्थः जो वस्तु काम आ जाए वही अच्छी।
बिच्छू का मंतर न जाने, साँप के बिल में हाथ डाले
अर्थः मूर्खतापूर्ण कार्य करना।
बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती
अर्थः बिना यत्न किए कुछ भी नहीं मिलता।
बिल्ली और दूध की रखवाली?
अर्थः भक्षक रक्षक नहीं हो सकता।
बिल्ली के सपने में चूहा
अर्थः जरूरतमंद को सपने में भी जरूरत की ही वस्तु दिखाई देती है।
बिल्ली गई चूहों की बन आयी
अर्थः डर खत्म होते ही मौज मनाना।
बीमार की रात पहाड़ बराबर
अर्थः खराब समय मुश्किल से कटता है।
बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम
अर्थः वय के हिसाब से ही काम करना चाहिए।
बुढ़ापे में मिट्टी खराब
अर्थः बुढ़ापे में इज्जत में बट्टा लगना।
बुढि़या मरी तो आगरा तो देखा
अर्थः प्रत्येक घटना के दो पहलू होते हैं – अच्छा और बुरा।
लिखे ईसा पढ़े मूसा
अर्थः गंदी लिखावट।
लेना एक न देना दो
अर्थः कुछ मतलब न रखना।
लोहा लोहे को काटता है
अर्थः प्रत्येक वस्तु का सदुपयोग होता है।
वहम की दवा हकीम लुकमान के पास भी नहीं है
अर्थः वहम सबसे बुरा रोग है।
विष को सोने के बरतन में रखने से अमृत नहीं हो जाता
अर्थः किसी चीज़ का प्रभाव बदल नहीं सकता।
शैकीन बुढि़या मलमल का लहँगा
अर्थः अजीब शौक करना।
शक्करखोरे को शक्कर मिल ही जाता है
अर्थः जुगाड़ कर लेना।
सकल तीर्थ कर आई तुमडि़या तौ भी न गयी तिताई
अर्थः स्वाभाव नहीं बदलता।
सख़ी से सूम भला जो तुरन्त दे जवाब
अर्थः लटका कर रखनेवाले से तुरन्त इंकार कर देने वाला अच्छा।
सच्चा जाय रोता आय, झूठा जाय हँसता आय
अर्थः सच्चा दुखी, झूठा सुखी।
सबेरे का भूला सांझ को घर आ जाए तो भूला नहीं कहलाता
अर्थः गलती सुधर जाए तो दोष नहीं कहलाता।
समय पाइ तरूवर फले केतिक सीखे नीर
अर्थः काम अपने समय पर ही होता है।
समरथ को नहिं दोष गोसाई
अर्थः समर्थ आदमी का दोष नहीं देखा जाता।
ससुराल सुख की सार जो रहे दिना दो चार
अर्थः रिश्तेदारी में दो चार दिन ठहरना ही अच्छा होता है।
सहज पके सो मीठा होय
अर्थः धैर्य से किया गया काम सुखकर होता है।
साँच को आँच नहीं
अर्थः सच्चे आदमी को कोई खतरा नहीं होता।
साँप के मुँह में छछूँदर
अर्थः कहावत दुविधा में पड़ना।
साँप निकलने पर लकीर पीटना
अर्थः अवसर बीत जाने पर प्रयास व्यर्थ होता है।
सारी उम्र भाड़ ही झोका
अर्थः कुछ भी न सीख पाना।
सारी देग में एक ही चावल टटोला जाता है
अर्थः जाँच के लिए थोड़ा सा नमूना ले लिया जाता है।
सावन के अंधे को हरा ही हरा सूझता है
अर्थः परिस्थिति को न समझना।
सावन हरे न भादों सूखे
अर्थः सदा एक सी दशा।
मुँह में राम बगल में छुरी
अर्थः ऊपर से मित्र भीतर से शत्रु।
मुँह माँगी मौत नहीं मिलती
अर्थः अपनी इच्छा से कुछ नहीं होता।
मुफ्त की शराब काज़ी को भी हलाल
अर्थः मुफ्त का माल सभी ले लेते हैं।
मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक
अर्थः सीमित दायरा।
मोरी की ईंट चौबारे पर
अर्थः छोटी चीज का बड़े काम में लाना।
म्याऊँ के ठोर को कौन पकड़े
अर्थः कठिन काम कोई नहीं करना चाहता।
यह मुँह और मसूर की दाल
अर्थः औकात का न होना।
रंग लाती है हिना पत्थर पे घिसने के बाद
अर्थः दु:ख झेलकर ही आदमी का अनुभव और सम्मान बढ़ता है।
रस्सी जल गई पर ऐंठ न गई
अर्थः घमण्ड का खत्म न होना।
राजा के घर मोतियों का अकाल?
अर्थः समर्थ को अभाव नहीं होता।
रानी रूठेगी तो अपना सुहाग लेगी
अर्थः रूठने से अपना ही नुकसान होता है।
राम की माया कहीं धूप कहीं छाया
अर्थः कहीं सुख है तो कहीं दुःख है।
राम मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी
अर्थः बराबर का मेल हो जाना।
राम राम जपना पराया माल अपना
अर्थः ऊपर से भक्त, असल में ठग।
रोज कुआँ खोदना, रोज पानी पीना
अर्थः रोज कमाना रोज खाना।
रोगी से बैद
अर्थः भुक्तभोगी अनुभवी हो जाता है।
लड़े सिपाही नाम सरदार का
अर्थः काम का श्रेय अगुवा को ही मिलता है।
लड्डू कहे मुँह मीठा नहीं होता
अर्थः केवल कहने से काम नहीं बन जाता।
लातों के भूत बातों से नहीं मानते
अर्थः मार खाकर ही काम करने वाला।
लाल गुदड़ी में नहीं छिपते
अर्थः गुण नहीं छिपते।
मछली के बच्चे को तैरना कौन सिखाता है
अर्थः गुण जन्मजात आते हैं।
मजनू को लैला का कुत्ता भी प्यारा
अर्थः प्रेयसी की हर चीज प्रेमी को प्यारी लगती है।
मतलबी यार किसके, दम लगाया खिसके
अर्थः स्वार्थी व्यक्ति को अपना स्वार्थ साधने से काम रहता है।
मन के लड्ड़ओं से भूख नहीं मिटती
अर्थः इच्छा करने मात्र से ही इच्छापूर्ति नहीं होती।
मन चंगा तो कठौती में गंगा
अर्थः मन की शुद्धता ही वास्तंविक शुद्धता है।
मरज़ बढ़ता गया ज्यों- ज्यों इलाज करता गया
अर्थः सुधार के बजाय बिगाड़ होना।
मरता क्या न करता
अर्थः मजबूरी में आदमी सब कुछ करना पड़ता है।
मरी बछिया बाभन के सिर
अर्थः व्यर्थ दान।
मलयागिरि की भीलनी चंदन देत जलाय
अर्थः बहुत अधिक नजदीकी होने पर कद्र घट जाती है।
माँ का पेट कुम्हार का आवा
अर्थः संताने सभी एक-सी नहीं होती।
माँगे हरड़, दे बेहड़ा
अर्थः कुछ का कुछ करना।
मान न मान मैं तेरा मेहमान
अर्थः ज़बरदस्ती का मेहमान।
मानो तो देवता नहीं तो पत्थर
अर्थः माने तो आदर, नहीं तो उपेक्षा।
माया से माया मिले कर-कर लंबे हाथ
अर्थः धन ही धन को खींचता है।
माया बादल की छाया
अर्थः धन-दौलत का कोई भरोसा नहीं ।
मार के आगे भूत भागे
अर्थः मार से सब डरते हैं।
मियाँ की जूती मियाँ का सिर
अर्थः दुश्मन को दुश्मन के हथियार से मारना।
मिस्सों से पेट भरता है किस्सों से नहीं
अर्थः बातों से पेट नहीं भरता।
मीठा-मीठा गप, कड़वा-कड़वा थू-थू
अर्थः मतलबी होना।
पाँच पंच मिल कीजे काजा, हारे-जीते कुछ नहीं लाजा
अर्थः मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेदारी एक पर नहीं आती।
पाँचों उँगलियाँ घी में
अर्थः चौतरफा लाभ।
पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं
अर्थः सब आदमी एक जैसे नहीं होते।
पागलों के क्या् सींग होते हैं
अर्थः पागल भी साधारण मनुष्य होता है।
पानी केरा बुलबुला अस मानुस के जात
अर्थः जीवन नश्वर है।
पानी पीकर जात पूछते हो
अर्थः काम करने के बाद उसके अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार करना।
पाप का घड़ा डूब कर रहता है
अर्थः पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है।
पिया गए परदेश, अब डर काहे का
अर्थः जब कोई निगरानी करने वाला न हो , तो मौज उड़ाना।
पीर बावर्ची भिस्ती खर
अर्थः किसी एक के द्वारा ही सभी तरह के काम करना।
पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं
अर्थः वर्तमान लक्षणों से भविष्य का अनुमान लग जाता है।
पूत सपूत तो का धन संचय, पूत कपूत तो का धन संचय
पूत स्वयं कमा लेगा, कपूत संचित धन को उड़ा देगा।
पूरब जाओ या पच्छिम, वही करम के लच्छन
अर्थः स्थान बदलने से भाग्य और स्वभाव नहीं बदलता।
पेड़ फल से जाना जाता है
अर्थः कर्म का महत्व उसके परिणाम से होता है।
प्यासा कुएँ के पास जाता है
अर्थः बिना परिश्रम सफलता नहीं मिलती।
फिसल पड़े तो हर गंगे
अर्थः बहाना करके अपना दोष छिपाना।
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद
अर्थः ज्ञान न होना।
बकरे की जान गई खाने वाले को मज़ा नह आया
अर्थः भारी काम करने पर भी सराहना न मिलना।
बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है
अर्थः शक्तिशाली व्यक्ति निर्बल को दबा लेता है।
बड़े बरतन का खुरचन भी बहुत है
अर्थः जहाँ बहुत होता है वहाँ घटते-घटते भी काफी रह जाता है।
बड़े बोल का सिर नीचा
अर्थः घमंड करने वाले को नीचा देख्ाना पड़ता है।
बनिक पुत्र जाने कहा गढ़ लेवे की बात
अर्थः छोटा आदमी बड़ा काम नहीं कर सकता।
बनी के सब यार हैं
अर्थः अच्छे दिनों में सभी दोस्त बनते हैं।
बरतन से बरतन खटकता ही है
अर्थः जहाँ चार लोग होते हैं वहाँ कभी अनबन हो सकती है।
बहती गंगा में हाथ धोना
अर्थः मौके का लाभ उठाना।
नीचे की साँस नीचे, ऊपर की साँस ऊपर
अर्थः अत्यधिक घबराहट की स्थिति।
नीचे से जड़ काटना,ऊपर से पानी देना
अर्थः ऊपर से मित्र, भीतर से शत्रु।
नीम हकीम खतरा-ए-जान
अर्थः अनुभवहीन व्याक्ति के हाथों काम बिगड़ सकता है।
नेकी और पूछ-पूछ
अर्थः भलाई का काम।
नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अर्थः अत्यन्त मंद गति से कार्य करना।
नौ नकद, न तेरह उधार
अर्थः नकद का काम उधार के काम से अच्छा।
नौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली
अर्थः जीवन भर कुकर्म करके अन्त में भला बनना।
पंच कहे बिल्ली तो बिल्ली ही सही
अर्थः सबकी राय में राय मिलाना।
पंचों का कहना सिर माथे पर, परनाला वहीं रहेगा
अर्थः दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना।
पकाई खीर पर हो गया दलिया
अर्थः दुर्भाग्य।
पगड़ी रख, घी चख
अर्थः मान-सम्मान से ही जीवन का आनंद है।
पढ़े तो हैं पर गुने नहीं
अर्थः पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन।
पढ़े फारसी बेचे तेल
अर्थः गुणवान होने पर भी दुर्भाग्यवश छोटा काम मिलना।
पत्थर को जोंक नहीं लगती
अर्थः निर्दय आदमी दयावान नहीं बन सकता।
पत्थर मोम नहीं होता
अर्थः निर्दय आदमी दयावान नहीं बन सकता।
पराया घर थूकने का भी डर
अर्थः दूसरे के घर में संकोच रहता है।
पराये धन पर लक्ष्मीनारायण
अर्थः दूसरे के धन पर गुलछर्रें उड़ाना।
पहले तोलो, फिर बोलो
अर्थः समझ-सोचकर मुँह खोलना चाहिए।
नंगा बड़ा परमेश्वर से
अर्थः निर्लज्ज से सब डरते हैं।
नंगा क्या नहाएगा क्या निचोड़ेगा
अर्थः अत्यन्त निर्धन होना।
नंगे से खुदा डरे
अर्थः निर्लज्ज से भगवान भी डरते हैं।
न अंधे को न्योता देते न दो जने आते
अर्थः गलत फैसला करके पछताना।
न इधर के रहे, न उधर के रहे
अर्थः दुविधा में रहने से हानि ही होती है।
नकटा बूचा सबसे ऊँचा
अर्थः निर्लज्ज से सब डरते हैं इसलिए वह सबसे ऊँचा होता है।
नक्कारखाने में तूती की आवाज
अर्थः महत्व न मिलना।
नदी किनारे रूखड़ा जब-तब होय विनाश
अर्थः नदी के किनारे के वृक्ष का कभी भी नाश हो सकता है।
न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
अर्थः ऐसी परिस्थिति जिसमें काम न हो सके।
नमाज़ छुड़ाने गए थे, रोज़े गले पड़े
अर्थः छोटी मुसीबत से छुटकारा पाने के बदले बड़ी मुसीबत में पड़ना।
नया नौ दिन पुराना सौ दिन
अर्थः साधारण ज्ञान होने से अनुभव होने का अधिक महत्व होता है।
न रहेगा बॉंस, न बजेगी बाँसुरी
अर्थः ऐसी परिस्थिति जिसमें काम न हो सके।
नाई की बरात में सब ही ठाकुर
अर्थः सभी का अगुवा बनना।
नाक कटी पर घी तो चाटा
अर्थः लाभ के लिए निर्लज्ज हो जाना।
नाच न जाने आँगन टेढ़ा
अर्थः बहाना करके अपना दोष छिपाना।
नानी के आगे ननिहाल की बातें
अर्थः बुद्धिमान को सीख देना।
नानी के टुकड़े खावे, दादी का पोता कहावे
अर्थः खाना किसी का, गाना किसी का।
नानी क्वाँरी मर गई, नाती के नौ-नौ ब्याह
अर्थः झूठी बड़ाई।
नाम बड़े दर्शन छोटे
अर्थः झूठा दिखावा।
नाम बढ़ावे दाम
अर्थः किसी चीज का नाम हो जाने से उसकी कीमत बढ़ जाती है।
नामी चोर मारा जाए, नामी शाह कमाए खाए
अर्थः बदनामी से बुरा और नेकनामी से भला होता है।
दीवार के भी कान होते हैं
अर्थः सतर्क रहना चाहिए।
दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है
अर्थः जिससे लाभ होता है, उसकी धौंस भी सहनी पड़ती है।
दुनिया का मुँह किसने रोका है
अर्थः बोलने वालों की परवाह नहीं करनी चाहिए।
दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम
अर्थः दुविधा में पड़ने से कुछ भी नहीं मिलता।
दूल्हा को पत्त़ल नहीं, बजनिये को थाल
अर्थः बेतरतीब काम करना।
दूध का दूध पानी का पानी
अर्थः न्याय होना।
दूध पिलाकर साँप पोसना
अर्थः शत्रु का उपकार करना।
दूर के ढोल सुहावने
अर्थः देख परख कर ही सही गलत का ज्ञान करना।
दूसरे की पत्तल लंबा-लंबा भात
अर्थः दूसरे की वस्तु् अच्छी लगती है।
देसी कुतिया विलायती बोली
अर्थः दिखावा करना।
देह धरे के दण्ड हैं
अर्थः शरीर है तो कष्ट भी होगा।
दोनों हाथों में लड्डू
अर्थः सभी प्रकार से लाभ ही लाभ।
दो लड़े तीसरा ले उड़े
अर्थः दो की लड़ाई में तीसरे का लाभ होना।
धनवंती को काँटा लगा दौड़े लोग हजार
अर्थः धनी आदमी को थोड़ा सा भी कष्ट हो तो बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं।
धन्ना सेठ के नाती बने हैं
अर्थः अपने को अमीर समझना।
धर्म छोड़ धन कौन खाए
अर्थः धर्मविरूद्ध कमाई सुख नहीं देती।
धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं
अर्थः अनुभवी होना।
धोबी का गधा घर का ना घाट का
अर्थः कहीं भी इज्जत न पाना।
धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे
अर्थः शक्तिशाली पर आने वाले क्रोध को निर्बल पर उतारना।
धोबी के घर पड़े चोर, लुटे कोई और
अर्थः धोबी के घर चोरी होने पर कपड़े दूसरों के ही लुटते हैं।
धोबी रोवे धुलाई को, मियाँ रोवे कपड़े को
अर्थः सब अपने ही नुकसान की बात करते हैं।
तबेले की बला बंदर के सिर
अर्थः अपना अपराध दूसरे के सिर मढ़ना।
तन को कपड़ा न पेट को रोटी
अर्थः अत्यन्त दरिद्र।
तलवार का खेत हरा नहीं होता
अर्थः अत्याचार का फल अच्छा नहीं होता।
ताली दोनों हाथों से बजती है
अर्थः केवल एक पक्ष होने से लड़ाई नहीं हो सकती।
तिरिया बिन तो नर है ऐसा, राह बटाऊ होवे जैसा
अर्थः स्त्री के बिना पुरूष अधूरा होता है।
तीन बुलाए तेरह आए, दे दाल में पानी
अर्थः समय आ पड़े तो साधन निकाल लेना पड़ता है।
तीन में न तेरह में
अर्थः निष्पक्ष होना।
तेरी करनी तेरे आगे, मेरी करनी मेरे आगे
अर्थः सबको अपने-अपने कर्म का फल भुगतना ही पड़ता है।
तुम्हारे मुँह में घी शक्कर
अर्थः शुभ सन्देश।
तुरत दान महाकल्याण,
अर्थः काम को तत्काल निबटाना।
तू डाल-डाल मैं पात-पात
अर्थः चालाक के साथ चालाकी चलना।
तेल तिलों से ही निकलता है
अर्थः सामर्थ्यवान व्यक्ति से ही प्राप्ति होती है।
तेल देखो तेल की धार देखो
अर्थः धैर्य से काम लेना।
तेल न मिठाई, चूल्हे धरी कड़ाही
अर्थः दिखावा करना।
तेली का तेल जले, मशालची की छाती फटे
अर्थः दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो।
तेली के बैल को घर ही पचास कोस
अर्थः घर में रहने पर भी अक्ल का अंधा कष्ट ही भोगता है।
तेली खसम किया, फिर भी रूखा खाया
अर्थः सामर्थ्यतवान की शरण में रहकर भी दु:ख उठाना।
झूठ के पाँव नहीं होते
अर्थः झूठा आदमी अपनी बात पर खरा नहीं उतरता।
झोपड़ी में रहें, महलों के ख्वाब देखें
अर्थः अपनी सामर्थ्य से बढ़कर चाहना।
टके का सब खेल है
अर्थः धन सब कुछ करता है।
ठंडा करके खाओ
अर्थः धीरज से काम करो।
ठंडा लोहा गरम लोहे को काट देता है
अर्थः शान्त व्याक्ति क्रोधी को झुका देता है।
ठोक बजा ले चीज, ठोक बजा दे दाम
अर्थः अच्छी वस्तु का अच्छा दाम।
ठोकर लगे तब आँख खुले
अर्थः अक्ल अनुभव से आती है।
डण्डा सब का पीर
अर्थः सख्ती करने से लोग काबू में आते हैं।
डायन को दामाद प्यारा
अर्थः खराब लोगों को भी अपने प्यारे होते हैं।
डूबते को तिनके का सहारा
अर्थः विपत्ति में थोड़ी सी सहायता भी काफी होती है।
ढाक के तीन पात
अर्थः अपनी बात पर अड़े रहना।
ढोल के भीतर पोल
अर्थः झूठा दिखावा करने वाला।
तख्त या तख्ता
अर्थः या तो उद्देश्य की प्राप्ति हो या स्वयं मिट जाएँ।
जर जाए, घी न जाए
अर्थः महाकृपण।
जरती मक्खी नहीं निगली जाती
अर्थः जानते बूझते गलत काम नहीं किया जा सकता।
जीभ भी जली और स्वाद भी न आया
अर्थः कष्ट सहकर भी उद्देश्य पूर्ति न होना।
जूठा खाए मीठे के लालच
अर्थः लाभ के लालच में नीच काम करना।
जैसा करोगे वैसा भरोगे
अर्थः जैसा काम करोगे वैसा ही फल मिलेगा।
जैसा बोवोगे वैसा काटोगे
अर्थः जैसा काम करोगे वैसा ही फल मिलेगा।
जैसा मुँह वैसा थप्पड़
अर्थः जो जिसके योग्य हो उसको वही मिलता है।
जैसा राजा वैसी प्रजा
अर्थः राजा नेक तो प्रजा भी नेक, राजा बद तो प्रजा भी बद।
जैसी करनी वैसी भरनी
अर्थः जैसा काम करोगे वैसा ही फल मिलेगा।
जैसे तेरी बाँसुरी, वैसे मेरे गीत
अर्थः गुण के अनुसार ही प्राप्ति होती है।
जैसे कंता घर रहे वैसे रहे परदेश
अर्थः निकम्मा आदमी घर में रहे या बाहर कोई अंतर नहीं।
जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ
अर्थः दुष्ट लोग एक जैसे ही होते हैं।
जो गरजते हैं वो बरसते नहीं
अर्थः डींग हाँकनेवाले काम के नहीं होते हैं।
जोगी का बेटा खेलेगा तो साँप से
अर्थः बाप का प्रभाव बेटे पर पड़ता है।
जो गुड़ खाए सो कान छिदाए
अर्थः लाभ पाने वाले को कष्ट सहना ही पड़ता है।
जो तोको काँटा बुवे ताहि बोइ तू फूल
अर्थः बुराई का बदला भी भलाई से दो।
जो बोले सों घी को जाए
अर्थः बड़बोलेपन से हानी ही होती है।
जो हाँडी में होगा वह थाली में आएगा
अर्थः जो मन है वह प्रकट होगा ही।
ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों-त्यों भारी होय
अर्थः (1) पद के अनुसार जिम्मेदारियाँ भी बढ़ती जाती हैं। (2) उधारी को छूटते ही रहना चाहिए अन्यथा ब्याज बढ़ते ही जाता है।
जहँ जहँ पैर पड़े संतन के, तहँ तहँ बंटाधार
अर्थः अभागा व्यक्ति जहाँ भी जाता है बुरा होता है।
जहाँ गुड़ होगा, वहीं मक्खियाँ होंगी
अर्थः धन प्राप्त होने पर खुशामदी अपने आप मिल जाते हैं।
जहाँ चार बर्तन होंगे, वहाँ खटकेंगे भी
अर्थः सभी का मत एक जैसा नहीं हो सकता।
जहाँ चाह है वहाँ राह है
अर्थः काम के प्रति लगन हो तो काम करने का रास्ता निकल ही आता है।
जहाँ देखे तवा परात, वहाँ गुजारे सारी रात
अर्थः जहाँ कुछ प्राप्ति की आशा दिखे वहीं जम जाना।
जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि
अर्थः कवि की कल्पना की पहुँच सर्वत्र होती है।
जहाँ फूल वहाँ काँटा
अर्थः अच्छाई के साथ बुराई भी होती ही है।
जहाँ मुर्गा नहीं होता, क्या वहाँ सवेरा नहीं होता
अर्थः किसी के बिना किसी का काम रूकता नहीं है।
जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई
अर्थः दु:ख को भुक्तभोगी ही जानता है।
जागेगा सो पावेगा,सोवेगा सो खोएगा
अर्थः हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
जादू वह जो सिर पर चढ़कर बोले
अर्थः अत्यन्त प्रभावशाली होना।
जान मारे बनिया पहचान मारे चोर
अर्थः बनिया और चोर जान पहचान वालों को ठगते हैं।
जाए लाख, रहे साख
अर्थः धन भले ही चला जाए, इज्जत बचनी चाहिए।
जितना गुड़ डालोगे, उतना ही मीठा होगा
अर्थः जितना अधिक लगाओगे उतना ही अच्छा पाओगे।
जितनी चादर हो, उतने ही पैर पसारो
अर्थः आमदनी के हिसाब से खर्च करो।
जितने मुँह उतनी बातें
अर्थः अस्पष्ट होना।
जिन खोजा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैंठ
अर्थः परिश्रम करने वाले को ही लाभ होता है।
जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना
अर्थः जो उपकार करे, उसका ही अहित करना।
जिसका काम उसी को साजै
अर्थः जो काम जिसका है वहीं उसे ठीक तरह से कर सकता है।
जिसका खाइए उसका गाइए
अर्थः जिससे लाभ हो उसी का पक्ष लो।
जिसका जूता उसी का सिर
अर्थः दुश्मन को दुश्मन के ही हथियार से मारना।
जिसकी लाठी उसकी भैंस
अर्थः शक्तिशाली ही समर्थ होता है।
जिसके हाथ डोई, उसका सब कोई
अर्थः धनी आदमी के सभी मित्र होते हैं।
जिसको पिया चाहे, वहीं सुहागिन
अर्थः समर्थ व्यक्ति जिसका चाहे कल्याण कर सकता है।
छलनी कहे सूई से तेरे पेट में छेद
अर्थः अपने अवगुणों को न देखकर दूसरों की आलोचना करना।
छाज (सूप) बोले तो बोले, छलनी भी बोले जिसमें हजार छेद
अर्थः ज्ञानी के समक्ष अज्ञानी का बोलना।
छीके कोई,नाक कटावे कोई
अर्थः किसी के दोष का फल किसी दूसरे के द्वारा भोगना।
छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर
अर्थः हर तरफ से हानि हानि होना।
छोटा मुँह बड़ी बात
अर्थः अपनी योग्यता से बढ़कर बात करना।
छोटे मियाँ तो छोटे मियाँ,बड़े मियाँ सुभानअल्लाह
अर्थः छोटे के अवगणों से बड़े के अवगुण अधिक होना।
जंगल में मोर नाचा किसने देखा
अर्थः कद्र न करने वालों के समक्ष योग्यता प्रदर्शन।
जड़ काटते जाएं, पानी देते जाएं
अर्थः भीतर से शत्रु ऊपर से मित्र।
जने-जने की लकड़ी, एक जने का बोझ
अर्थः अकेला व्यक्ति काम पूरा नहीं कर सकता किन्तु सब मिल काम करें तो काम पूरा हो जाता है।
जब चने थे दॉंत न थे, जब दाँत भये तब चने नहीं
अर्थः कभी वस्तु है तो उसका भोग करने वाला नहीं और कभी भोग करने वाला है तो वस्तु नहीं।
जब तक जीना तब तक सीना
अर्थः आदमी को मृत्युपर्यन्त काम करना ही पड़ता है।
जब तक साँस तब तक आस
अर्थः अंत समय तक आशा बनी रहती है।
जबरदस्ती का ठेंगा सिर पर
अर्थः जबरदस्त आदमी दबाव डाल कर काम लेता है ।
जबरा मारे रोने न दे
अर्थः जबरदस्त आदमी का अत्याचार चुपचाप सहन करना पड़ता है।
जबान को लगाम चाहिए
अर्थः सोच-समझकर बोलना चाहिए।
ज़बान ही हाथी चढ़ाए, ज़बान ही सिर कटाए
अर्थः मीठी बोली से आदर और कड़वी बोली से निरादर होता है।
जर का जोर पूरा है, और सब अधूरा है
अर्थः धन में सबसे अधिक शक्ति है।
जर है तो नर नहीं तो खंडहर
अर्थः पैसे से ही आदमी का सम्मान है।
जल में रहकर मगर से बैर
अर्थः जहाँ रहना हो वहाँ के शक्तिशाली व्यक्ति से बैर ठीक नहीं होता ।
जस दूल्हा तस बाराती
अर्थः स्वभाव के अनुसार ही मित्रता होती है।
चींटी की मौत आती है तो उसके पर निकलने लगते हैं
अर्थः घमंड करने से नाश होता है।
चील के घोसले में मांस कहाँ
अर्थः दरिद्र व्यक्ति क्या बचत कर सकता है?
चुड़ैल पर दिल आ जाए तो वह भी परी है
अर्थः पसंद आ जाए तो बुरी वस्तु भी अच्छी ही लगती है।
चुल्लू़ भर पानी में डूब मरना
अर्थः शर्म से डूब जाना।
चुल्लू-चुल्लू साधेगा, दुआरे हाथी बाँधेगा
अर्थः थोड़ा-थोड़ा जमा करके अमीर बना जा सकता है।
चूल्हे की न चक्की की
अर्थः किसी काम न होना।
चूहे का बच्चा बिल ही खोदता है
अर्थः स्वभाव नहीं बदलता।
चूहे के चाम से कहीं नगाड़े मढ़े जाते हैं
अर्थः अपर्याप्त।
चूहों की मौंत बिल्ली का खेल
अर्थः दूसरे को कष्ट देकर मजा लेना।
चोट्टी कुतिया जलेबियों की रखवाली
अर्थः चोर को रक्षा करने के कार्य पर लगाना।
चोर के पैर नहीं होते
अर्थः दोषी व्यक्ति स्वयं फँसता है।
चोर-चोर मौसेरे भाई
अर्थः एक जैसे बदमाशों का मेल हो ही जाता है।
चोर-चोरी से जाए, हेरा-फेरी से न जाए
अर्थः दुष्ट आदमी से पूरी तरह से दुष्टता नहीं छूटती।
चोर लाठी दो जने और हम बाप पूत अकेले
अर्थः शक्तिशाली आदमी से दो व्यक्ति भी हार जाते हैं।
चोर को कहे चारी कर और साह से कहे जागते रहो
अर्थः दो पक्षों को लड़ाने वाला।
चोरी और सीनाजोरी
अर्थः गलत काम करके भी अकड़ दिखाना।
चोरी का धन मोरी में
अर्थः हराम की कमाई बेकार जाती है।
चौबे गए छब्बे बनने, दूबे ही रह गए
अर्थः अधिक लालच करके अपना सब कुछ गवाँ देना।
छछूँदर के सिर में चमेली का तेल
चक्की में कौर डालोगे तो चून पाओगे
अर्थः कुछ पाने के लिए कुछ लगाना ही पड़ता है।
चट मँगनी पट ब्याह
अर्थः त्वरित गति से कार्य होना।
चढ़ जा बेटा सूली पर, भगवान भला करेंगे
अर्थः बिना सोचे विचारे खतरा मोल लेना।
चने के साथ कहीं घुन न पिस जाए
अर्थः दोषी के साथ कहीं निर्दोष न मारा जाए।
चमगादड़ों के घर मेहमान आए, हम भी लटके तुम भी लटको
अर्थः गरीब आदमी क्या आवभगत करेगा।
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
अर्थः महा कंजूस।
चमार चमड़े का यार
अर्थः स्वार्थी व्यक्ति।
चरसी यार किसके दम लगाया खिसके
अर्थः स्वार्थी व्यक्ति स्वार्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है।
चलती का नाम गाड़ी
अर्थः कार्य चलते रहना चाहिए।
चाँद को भी ग्रहण लगता है
अर्थः भले आदमी की भी बदनामी हो जाती है।
चाकरी में न करी क्या?
अर्थः नौकरी में मालिक की आज्ञा अवहेलना नहीं की जा सकती।
चार दिन की चाँदनी फिर अँधियारी रात
अर्थः सुख थोड़े ही दिन का होता है।
चिकना मुँह पेट खाली
अर्थः देखने में अच्छा-भला भीतर से दु:खी।
चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता
अर्थः लिर्लज्ज़ आदमी पर किसी बात का असर नहीं पड़ता।
चिकने मुँह को सब चूमते हैं
अर्थः समृद्ध व्यक्ति के सभी यार होते हैं।
चिडिया की जान गई, खाने वाले को मजा न आया
अर्थः भारी काम करने पर भी सराहना न मिलना।
चित भी मेरी पट भी मेरी अंटी मेरे बाबा का
अर्थः हर हालत में अपना ही लाभ देखना।
चिराग तले अँधेरा
अर्थः पास की चीज़ दिखाई न पड़ना।
चिराग में बत्ती और आँख में पट्टी
अर्थः शाम होते ही सोने लगना।
गूदड़ में लाल नहीं छिपता
अर्थः गुण स्वयं ही झलकता है।
गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है
अर्थः दोषी के साथ निदोर्ष भी मारा जाता है।
गोद में बैठकर आँख में उँगली करना/ गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचना
अर्थः भलाई के बदले बुराई करना।
गोद में लड़का, शहर में ढिंढोरा
अर्थः पास की वस्तु नजर न आना।
घड़ी भर में घर जले, अढ़ाई घड़ी भद्रा
अर्थः समय पहचान कर ही कार्य करना चाहिए।
घड़ी में तोला, घड़ी में माशा
अर्थः चंचल विचारों वाला।
घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते
अर्थः घर में आने वाले को मान देना चाहिए।
घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध
अर्थः अपने ही घर में अपनी कीमत नहीं होती।
घर का भेदी लंका ढाए
अर्थः आपसी फूट का परिणाम बुरा होता है।
घर की मुर्गी दाल बराबर
अर्थः अपनी चीज़ या अपने आदमी की कदर नहीं।
घर खीर तो बाहर खीर
अर्थः समृद्धि सम्मान प्रदान करती है।
घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने
अर्थः कुछ न होने पर भी होने का दिखावा करना।
घायल की गति घायल जाने
अर्थः कष्ट भोगने वाला ही वही दूसरों के कष्ट को समझ सकता है।
घी गिरी खिचड़ी में
अर्थः लापरवाही के बावजूद भी वस्तु का सदुपयोग होना।
घी सँवारे काम बड़ी बहू का नाम
अर्थः साधन पर्याप्त हों तो काम करने वाले को यश भी मिलता है।
घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या?
अर्थः व्यापार में रियायत नहीं की जाती।
घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपने ही मक्खियाँ उड़ाएगा
अर्थः उन्नति करके आदमी अपना ही भला करता है।
घोड़े को लात, आदमी को बात
अर्थः सामने वाले का स्वभाव पहचान कर उचित व्यहार करना।
खूँटे के बल बछड़ा कूदे
अर्थः दूसरे की शह पाकर ही अकड़ दिखाना।
खेत खाए गदहा, मार खाए जुलहा
अर्थः किसी के दोष की सजा किसी अन्य को मिलना।
खेती अपन सेती
अर्थः दूसरों के भरोसे खेती नहीं की जा सकती।
खेल -खिलाड़ी का,पैसा मदारी का
अर्थः मेहनत किसी की लाभ किसी और का।
खोदा पहाड़ निकली चुहिया
अर्थः परिश्रम कुछ भी फल न मिलना।
गंगा गए तो गंगादास, यमुना गए यमुनादास
अर्थः एक मत पर स्थिर न रहना।
गंजेडी यार किसके दम लगाया खिसके
अर्थः स्वार्थी आदमी स्वार्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है।
गधा धोने से बछड़ा नहीं हो जाता
अर्थः स्वभाव नहीं बदलता।
गधा भी कहीं घोड़ा बन सकता है
अर्थः बुरा आदमी कभी भला नहीं बन सकता।
गई माँगने पूत, खो आई भरतार
अर्थः थोड़े लाभ के चक्कर में भारी नुकसान कर लेना।
गर्व का सिर नीचा
अर्थः घमंडी आदमी का घमंड चूर हो ही जाता है।
गरीब की लुगाई सब की भौजाई
अर्थः गरीब आदमी से सब लाभ उठाना चाहते हैं।
गरीबी तेरे तीन नाम - झूठा, पाजी, बेईमान
अर्थः गरीब का सवर्त्र अपमान होता रहता है।
गरीबों ने रोज़े रखे तो दिन ही बड़े हो गए
अर्थः गरीब की किस्म़त ही बुरी होती है।
गवाह चुस्त, मुद्दई सुस्त
अर्थः जिसका काम है वह तो आलस से करे, दूसरे फुर्ती दिखाएं।
गाँठ का पूरा, आँख का अंधा
अर्थः मालदार असामी।
गीदड़ की मौत आती है तो वह गाँव की ओर भागता है
अर्थः विपत्ति में बुद्धि काम नहीं करती।
गुड़ खाए, गुलगुलों से परहेज
अर्थः झूठ और ढोंग रचना।
गुड़ दिए मरे तो जहर क्यों दें
अर्थः काम प्रेम से निकल सके तो सख्ती न करें।
गुड़ न दें, पर गुड़ सी बात तो करें
अर्थः कुछ न दें पर मीठे बोल तो बोलें।
गुरु-गुड़ ही रहे, चेले शक्कर हो गए
अर्थः छोटों का बड़ों से आगे बढ़ जाना।
कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है
अर्थः अपनी ही वस्तु की प्रशंसा करना।
कै हंसा मोती चुगे कै भूखा मर जाय
अर्थः सम्मानित व्युक्ति अपनी मर्यादा में रहता है।
कोई माल मस्त, कोई हाल मस्त
अर्थः कोई अमीरी से संतुष्ट तो कोई गरीबी से।
कोठी वाला रोवें, छप्पर वाला सोवे
अर्थः धनवान की अपेक्षा गरीब अधिक निश्चिंत रहता है।
कोयल होय न उजली सौ मन साबुन लाइ
अर्थः स्वभाव नहीं बदलता।
कोयले की दालाली में मुँह काला
अर्थः बुरी संगत से कलंक लगता ही है।
कौड़ी नहीं गाँठ चले बाग की सैर
अर्थः अपनी सामर्थ्य से अधिक की सोचना।
कौन कहे राजाजी नंगे हैं
अर्थः बड़े लोगों की बुराई नहीं देखी जाती।
कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल
अर्थः दूसरों की नकल करने से अपनी मौलिकता भी खो जाती है।
क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा
अर्थः अत्यन्त तुच्छं होना।
खग जाने खग ही की भाषा
अर्थः एक जैसे प्रकृति के लोग आपस में मिल ही जाते हैं।
ख्याली पुलाव से पेट नहीं भरता
अर्थः केवल सोचते रहने से काम पूरा नहीं हो जाता।
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है
अर्थः देखादेखी काम करना।
खाक डाले चाँद नहीं छिपता
अर्थः किसी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता।
खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय
अर्थः ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलता।
खाली बनिया क्या करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे
अर्थः बेकाम आदमी उल्टे-सीधे काम करता रहता है।
खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे
अर्थः अपनी असफलता पर खीझना।
खुदा की लाठी में आवाज़ नहीं होती
अर्थः कोई नहीं जानता की अपने कर्मों का कब और कैसा फल मिलेगा।
खुदा गंजे को नाखून नहीं देता
अर्थः ईश्वर सभी की भलाई का ध्यान रखता है।
खुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है
अर्थः भाग्यशाली होना।
खुशामद से ही आमद है
अर्थः खुशामद से कार्य सम्पन्न हो जाते हैं।
का वर्षा जब कृषी सुखाने
अर्थः अवसर निकलने जाने पर सहायता भी व्यर्थ होती है।
कागज़ की नाव नहीं चलती
अर्थः बेईमानी या धोखेबाज़ी ज्यादा दिन नहीं चल सकती।
काजल की कौठरी में कैसेहु सयानो जाय एक लीक काजल की लगिहै सो लागिहै
अर्थः बुरी संगत होने पर कलंक अवश्य ही लगता है।
काज़ी जी दुबले क्यों? शहर के अंदेशे से
अर्थः दूसरों की चिन्ता में घुलना।
काठ की हाँडी एक बार ही चढ़ती है
अर्थः धोखा केवल एक बार ही दिया जा सकता है, बार बार नहीं।
कान में तेल डाल कर बैठना
अर्थः आवश्यक चिन्ताओं से भी दूर रहना।
काबुल में क्या गधे नहीं होते
अर्थः अच्छाई के साथ साथ बुराई भी रहती है।
काम का न काज का, दुश्मन अनाज का
अर्थः खाना खाने के अलावा और कोई भी काम न करने वाला व्यक्ति।
काम को काम सिखाता है
अर्थः अभ्यास करते रहने से आदमी होशियार हो जाता है।
काल के हाथ कमान,बूढ़ा बचे न जवान
अर्थः मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, वह सभी को ग्रसती है।
काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक
अर्थः मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, वह सभी को ग्रसती है।
काला अक्षर भैंस बराबर
अर्थः अनपढ़ होना।
काली के ब्याह को सौ जोखिम
अर्थः एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल दिए जाते हैं।
किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान
अर्थः नौकरी करके स्वाभिमान की रक्षा नहीं हो सकती।
किस खेत की मूली है
अर्थः महत्व न देना।
किसी का घर जले कोई तापे
अर्थः किसी की हानि पर किसी अन्य का लाभान्वित होना।
कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता
अर्थः अपनी चीज को कोई खराब नहीं कहता।
कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है
अर्थः कुछ भी बचत न होना।
कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे
अर्थः भरोसेमन्द व्यक्ति का बेईमान हो जाना।
कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है
अर्थः कुत्ता भी बैठने के पहले बैठने के स्थान को साफ करता है।
कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी
अर्थः लाख कोशिश करने पर भी दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं त्यागता।
कुत्ते को घी नहीं पचता
अर्थः नीच आदमी ऊँचा पद पाकर इतराने लगता है।
कुत्ता भूँके हजार, हाथी चले बजार
अर्थः समर्थ व्यक्ति को किसी का डर नहीं होता।
कंगाली में आटा गीला
अर्थः मुसीबत पर मुसीबत आना।
ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती
अर्थः अपराध के अनुसार ही दण्ड दिया जाना चाहिए।
कचहरी का दरवाजा खुला है
अर्थः न्याय पर सभी का अधिकार होता है।
कड़ाही सें गिरा चूल्हे में पड़ा
अर्थः छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
कब्र में पाँव लटकना
अर्थः अत्यधिक उम्र वाला।
कभी के दिन बड़े कभी की रात
अर्थः सब दिन एक समान नहीं होते।
कभी नाव गाड़ी पर , कभी गाड़ी नाव पर
अर्थः परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं।
कमली ओढ़ने से फकीर नहीं होता
अर्थः ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते ।
कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती
अर्थः सोच- समझकर ही बात करनी चाहिए।
करत-करत अभ्यामस के जड़मति होत सुजान
अर्थः अभ्यास करते रहने से सफलता अवश्य ही प्राप्त होती है।
करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया
अर्थः काम बिगड़ना।
करमहीन खेती करे,बैल मरे या सूखा पड़े
अर्थः दुर्भाग्य हो तो कोई न कोई काम खराब होता रहता है।
कर लिया सो काम, भज लिया सो राम
अर्थः अधूरे काम का कुछ भी मतलब नहीं होता।
कर सेवा तो खा मेवा
अर्थः अच्छे कार्य का परिणाम अच्छा ही होता है।
करे कोई भरे कोई
अर्थः किसी की करनी का फल किसी अन्य द्वारा भोगना।
करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुँछोंवाला
अर्थः प्रभावशाली व्यक्ति के अपराध के लिए किसी छोटे आदमी को दोषी ठहराया जाना।
कल किसने देखा है
अर्थः आज का काम आज ही करना चाहिए।
कलार की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है
अर्थः बुरी संगत होने पर कलंक लगता ही है।
कहाँ राम – राम, कहाँ टॉंय-टॉंय
अर्थः असमान चीजों की तुलना नहीं हो सकती।
कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानमती ने कुनबा जोड़ा
अर्थः असम्बन्धित वस्तुओं का एक स्थान पर संग्रह।
कहे खेत की, सुने खलिहान की
अर्थः कुछ कहने पर कुछ समझना।
आधा तीतर आधा बटेर
अर्थः बेमेल वस्तु।
आधी छोड़ पूरी को धावै, आधी मिले न पूरी पावै
अर्थः लालच करने से हानि होती है।
आप काज़ महा काज़
अर्थः अपने उद्देश्य की पूर्ति करना चाहिए।
आप भला तो जग भला
अर्थः भले आदमी को सब लोग भले ही प्रतीत होते हैं।
आप मरे जग परलय
अर्थः मृत्यु के पश्चात कोई नहीं जानता कि संसार में क्या हो रहा है।
आप मियाँ जी मँगते द्वार खड़े दरवेश
अर्थः असमर्थ व्यक्ति दूसरों की सहायता नहीं कर सकता।
आपा तजे तो हरि को भजे
अर्थः परमार्थ करने के लिए स्वार्थ को त्यागना पड़ता है।
आम खाने से काम, पेड गिनने से क्या मतलब
अर्थः निरुद्देश्य कार्य न करना।
आए की खुशी न गए का गम
अर्थः अपनी हालात में संतुष्ट रहना।
आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास
अर्थः लक्ष्य को भूलकर अन्य कार्य करना।
आसमान का थूका मुँह पर आता है
अर्थः बड़े लोगों की निंदा करने से अपनी ही बदनामी होती है।
आसमान से गिरा खजूर पर अटका
अर्थः सफलता पाने में अनेक बाधाओं का आना।
इक नागिन अरु पंख लगाई
अर्थः एक के साथ दूसरे दोष का होना।
इतना खाए जितना पावे
अर्थः अपनी औकात को ध्यान में रखकर खर्च करना।
इतनी सी जान, गज भर की ज़बान
अर्थः अपनी उम्र के हिसाब से अधिक बोलना।
इधर कुआँ उधर खाई
अर्थः हर हाल में मुसीबत।
इध्ार न उधर, यह बला किधर
अर्थः अचानक विपत्ति आ पड़ना।
आँख ओट पहाड़ ओट
अर्थः अनुपलब्ध व्यक्ति से किसी प्रकार का सहारा करना व्यर्थ है।
आँख ओर कान में चार अंगुल का फर्क
अर्थः सुनी हुई बात की अपेक्षा देखा हुआ सत्य अधिक विश्वसनीय होता है।
आँख के अंधे नाम नैनसुख
अर्थः व्यक्ति के नाम की अपेक्षा गुण प्रभावशाली होता है।
आ बैल मुझे मार
अर्थः जानबूझकर मुसीबत मोल लेना।
आई तो ईद, न आई तो जुम्मेरात
अर्थः आमदनी हुई तो मौज मौज मनाना नहीं तो फाका करना।
आई मौज फकीर की, दिया झोपड़ा फूँक
अर्थः विरक्त व्यक्ति को किसी चीज की परवाह नहीं होती।
आई है जान के साथ जाएगी जनाज़े के साथ
अर्थः लाइलाज बीमारी।
आग कह देने से मुँह नहीं जल जाता
अर्थः कोसने से किसी का अहित नहीं हो जाता।
आग का जला आग ही से अच्छा होता है
अर्थः कष्ट देने वाली वस्तु कष्ट का निवारण भी कर देती है।
आग खाएगा तो अंगार उगलेगा
अर्थः बुरे काम का नतीजा बुरा ही होता है।
आग बिना धुआँ नहीं
अर्थः बिना कारण कुछ भी नहीं होता।
आगे जाए घुटना टूटे, पीछे देखे आँख फूटे
अर्थः दुर्दिन झेलना।
आगे नाथ न पीछे पगहा
अर्थः पूर्णत: स्वतन्त्र रहना।
आज का बनिया कल का सेठ
अर्थः परिश्रम करते रहने से आदमी आगे बढ़ता जाता है।
आटे का चिराग, घर रखूँ तो चूहा खाए,बाहर रखूँ तो कौआ ले जाए
अर्थः ऐसी वस्तु जिसे बचाना मुश्किल हो।
आदमी-आदमी में अंतर कोई हीरा कोंई कंकर
अर्थः व्यक्तियों के स्वभाव तथा गुण भिन्न-भिन्न होते हैं।
आदमी का दवा आदमी है
अर्थः मनुष्य ही मनुष्य की सहायता करते हैं।
आदमी को ढाई गज कफन काफी है
अर्थः अपनी हालत पर संतुष्ट रहना।
आदमी जाने बसे सोना जाने कसे
अर्थः आदमी की पहचान नजदीकी से और सोने की पहचान सोना कसौटी से होती है।
आम के आम गुठलियों के दाम
अर्थः दोहरा लाभ होना
अक्ल बड़ी या भैंस
अर्थः शारीरिक शक्ति की अपेक्षा बुद्धि का अधिक महत्व होता है।
अच्छी मति जो चाहों, बूढ़े पूछन जाओ
अर्थः बड़े-बूढ़ों के अनुभव का लाभ उठाना चाहिये।
अटकेगा सो भटकेगा
अर्थः दुविधा या सोच-विचार में पड़ने से काम नहीं होता।
अधजल गगरी छलकत जाए
अर्थः ओछा आदमी थोड़ा गुण या धन होने पर इतराने लगता है।
अनजान सुजान, सदा कल्याण
अर्थः मूर्ख और ज्ञानी सदा सुखी रहते हैं।
अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत
अर्थः नुकसान हो जाने के बाद पछताना बेकार है।
अढ़ाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज
अर्थः अनहोनी बात।
बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख
अर्थः सौभाग्य से कोई बढिया चीज़ अपने-आप मिल जाती है और दुर्भाग्य से घटिया चीज़ प्रत्यत्न करने पर भी नहीं मिलती।
अपना-अपना कमाना,अपना-अपना खाना।
अर्थः किसी दूसरे के भरोसे नहीं रहना।
अपना ढेंढर देखे नहीं, दूसरे की फुल्ली निहारे।
अर्थः अपने बड़े से बड़े दुर्गुण को न देखना पर दूसरे के छोटे से छोटे अवगुण की चर्चा करना।
अपना मकान कोट समान।
अर्थः अपना घर सबसे सुरक्षित स्थान होता है।
अपना रख पराया चख।
अर्थः अपनी वस्तु बचाकर रखना और दूसरों की वस्तुएँ इस्तेमाल करना।
अपना लाल गँवाय के दर-दर माँगे भीख।
अर्थः अपनी बहुमूल्य वस्तु को गवाँ देने से आदमी दूसरों का मोहताज हो जाता है।
अपना ही सोना खोटा तो सुनार का क्या दोष।
अर्थः अपनी ही वस्तु खराब हो तो दूसरों को दोष देना उचित नहीं है।
अपनी- अपनी खाल में सब मस्त
अर्थः अपनी परिस्थिति से सतुष्ट रहना।
अपनी-अपनी ढफली, अपना-अपना राग
अर्थः सभी का अलग-अलग मत होना।
अपनी करनी पार उतरनी
अर्थः अच्छा परिणाम पाने के लिए स्वयं काम करना पड़ता है।
अपनी गरज से लोग गधे को भी बाप बनाते हैं
अर्थः येन-केन-प्रकारेण स्वार्थपूर्ति करना।
अपनी गरज बावली
अर्थः स्वार्थी आदमी दूसरों की परवाह नहीं करता।
अपनी गली में कुत्ता शेर
अर्थः अपने घर में आदमी शक्तिशाली होता है।
अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत कर
अर्थः छोटे के द्वारा बड़े को उपदेश देना।
अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई
अर्थः परिश्रम कोई करे लाभ किसी और को मिले।
अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे
अर्थः मूल वस्तु रहने पर उससे बनने वाली वस्तुऍं मिल ही जाती हैं।
अंत भला सो सब भला
अर्थः कार्य का परिणाम सही हो जाए तो सारी गलतियाँ भुला दी जाती हैं।
अंत भले का भला
अर्थः भलाई करने वाले का भला ही होता है।
अंधा बाँटे रेवड़ी अपने-अपने को देय
अर्थः अपने अधिकार का लाभ अपनों लोगों को ही पहुँचाना।
अंधा क्या चाहे, दो आँखें
अर्थः मनचाही वस्तु प्राप्त होना।
अंधा क्या जाने बसंत बहार
अर्थः जो वस्तु देखी ही नहीं गई, उसका आनंद कैसे जाना जा सकता है।
अंधा पीसे कुत्ता खाय
अर्थः एक की मजबूरी से दूसरे को लाभ हो जाता है।
अंधा बगुला कीचड़ खाय
अर्थः भाग्यहीन को सुख नहीं मिलता।
अंधा सिपाही कानी घोड़ी,विधि ने खूब मिलाई जोड़ी
अर्थः बराबर वाली जोड़ी बनना।
अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पड़ंत
अर्थः दो मूर्ख एक दूसरे की सहायता करें तो भी दोनों को हानि ही होती है।
अंधे की लाठी
अर्थः बेसहारे का सहारा।
अंधे के आगे रोये, अपनी आँखें खोये
अर्थः मूर्ख को ज्ञान देना बेकार है।
अंधे के हाथ बटेर लगना
अर्थः अनायास ही मनचाही वस्तु मिल जाना।
अंधे को अंधा कहने से बुरा लगता है
अर्थः किसी के सामने उसका दोष बताने से उसे बुरा ही लगता है।
अंधे को अँधेरे में बड़े दूर की सूझी
अर्थः मूर्ख को बुद्धिमत्ता की बात सूझना।
अंधेर नगरी चौपट राजा , टके सेर भाजी टके सेर खाजा
अर्थः जहाँ मुखिया मूर्ख हो और न्याय अन्याय का ख्याल न रखता हो।
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
अर्थः अकेला व्यक्ति किसी बड़े काम को सम्पन्न करने में समर्थ नहीं हो सकता।
अकेला हँसता भला न रोता भला
अर्थः सुख हो या दु:ख साथी की जरूरत पड़ती ही है।
अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत कर
अर्थः छोटे के द्वारा बड़े को उपदेश देना।
अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई
अर्थः परिश्रम कोई करे लाभ किसी और को मिले।
अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे
अर्थः मूल वस्तु रहने पर उससे बनने वाली वस्तुऍं मिल ही जाती हैं।
अंत भला सो सब भला
अर्थः कार्य का परिणाम सही हो जाए तो सारी गलतियाँ भुला दी जाती हैं।
अंत भले का भला
अर्थः भलाई करने वाले का भला ही होता है।
अंधा बाँटे रेवड़ी अपने-अपने को देय
अर्थः अपने अधिकार का लाभ अपनों लोगों को ही पहुँचाना।
अंधा क्या चाहे, दो आँखें
अर्थः मनचाही वस्तु प्राप्त होना।
अंधा क्या जाने बसंत बहार
अर्थः जो वस्तु देखी ही नहीं गई, उसका आनंद कैसे जाना जा सकता है।
अंधा पीसे कुत्ता खाय
अर्थः एक की मजबूरी से दूसरे को लाभ हो जाता है।
अंधा बगुला कीचड़ खाय
अर्थः भाग्यहीन को सुख नहीं मिलता।
अंधा सिपाही कानी घोड़ी,विधि ने खूब मिलाई जोड़ी
अर्थः बराबर वाली जोड़ी बनना।
अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पड़ंत
अर्थः दो मूर्ख एक दूसरे की सहायता करें तो भी दोनों को हानि ही होती है।
अंधे की लाठी
अर्थः बेसहारे का सहारा।
अंधे के आगे रोये, अपनी आँखें खोये
अर्थः मूर्ख को ज्ञान देना बेकार है।
अंधे के हाथ बटेर लगना
अर्थः अनायास ही मनचाही वस्तु मिल जाना।
अंधे को अंधा कहने से बुरा लगता है
अर्थः किसी के सामने उसका दोष बताने से उसे बुरा ही लगता है।
अंधे को अँधेरे में बड़े दूर की सूझी
अर्थः मूर्ख को बुद्धिमत्ता की बात सूझना।
अंधेर नगरी चौपट राजा , टके सेर भाजी टके सेर खाजा
अर्थः जहाँ मुखिया मूर्ख हो और न्याय अन्याय का ख्याल न रखता हो।
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
अर्थः अकेला व्यक्ति किसी बड़े काम को सम्पन्न करने में समर्थ नहीं हो सकता।
अकेला हँसता भला न रोता भला
अर्थः सुख हो या दु:ख साथी की जरूरत पड़ती ही है।
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल॥
अँग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन।
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन॥
आपके इस ब्लॉग में काफी पुराणी और प्रभावी लोकोक्तिय पड़ने को मिली है | जो हमारे आम जीवन में काफी सुनने को मिलती है | पुराने ज़माने में बड़े बुजुर्गो द्वारा कही गई बात वाकई में काफी कारगर साबित होती है | Talented India News
ReplyDeleteइस से ज्यादा घटिया कलर नहीं मिला website का। आँखों में चुभ रहा है। 2 मिनट भी नहीं पड़ पाया ।।
ReplyDeleteब्लॉक ज्ञानवर्धक है कृपा करके है है क्षत्रिय वंश परशुराम के समय हजार हाथों वालों के वंश के बारे में बताएं उनकी पूरी हिस्ट्री बताएं उनका वंश अब कहां है कौन-कौन सी जातियों में परिवर्तित हो गए हैं वह है है वंश क्षत्रिय थे लेकिन अब उनको क्षत्रिय से विमुख कर दिया गया है हरबंस कलचुरी क्षत्रिय थे यह आज भी प्रमाण है विष्णु पुराण में
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