March 05, 2014

Story - गरीबी और गलत सोच

किसी गाँव मे एक गरीब परीवार रहता था.उनकी एक 13साल की बेटी जो school जाती थी.पिता मीट्टी 

के बरतन बनाता और घर- घर बेचता मुश्किल से घर चलता.माँ भी अक्सर बिमार रहती पिता जो भी 

कमाता आधे से ज्यादा दवाई मे चला जाता. एक दिन की बात है , लड़की की माँ खूब परेशान होकर अपने 

पति को बोली की एक तो हमारा एक समय का खाना पूरा नहीं होता और बेटी साँप की तरह बड़ी होती जा 

रही है . गरीबी की हालत में इसकी शादी केसे करेंगे ? बाप भी विचार में पड़ गया . दोनों ने दिल पर पत्थर 

रख कर एक फेसला किया की कल बेटी को मार कर गाड़ देंगे . दुसरे दिन का सूरज निकला , माँ ने लड़की 

को खूब लाड प्यार किया , अचे से नहलाया , बार - बार उसका सर चूमने लगी . यह सब देख कर लड़की 

बोली : माँ मुझे कही दूर भेज रहे हो क्या ? वर्ना आज तक आपने मुझे ऐसे कभी प्यार नहीं किया , माँ 

केवल चुप रही और रोने लगी , तभी उसका बाप हाथ में फावड़ा और चाकू लेकर आया , माँ ने लड़की को 

सीने से लगाकर बाप के साथ रवाना कर दिया . रस्ते में चलते - चलते बाप के पैर में कांटा चुभ गया , बाप 

एक दम से निचे बेथ गया , बेटी से देखा नहीं गया उसने तुरंत कांटा निकालकर फटी चुनरी का एक हिस्सा 

पैर पर बांध दिया . बाप बेटी दोनों एक जंगल में पहुचे बाप ने फावड़ा लेकर एक गढ़ा खोदने लगा बेटी 

सामने बेठे - बेठे देख रही थी , थोड़ी देर बाद गर्मी के कारण बाप को पसीना आने लगा . बेटी बाप के पास 

गयी और पसीना पोछने के लिए अपनी चुनरी दी . बाप ने धक्का देकर बोला तू दूर जाकर बेठ। थोड़ी देर 

बाद जब बाप गडा खोदते - खोदते थक गया , बेटी दूर से बैठे -बैठे देख रही थी, जब उसको लगा की 

पिताजी शायद थक गये तो पास आकर बोली पिताजी आप थक गये है . लाओ फावड़ा में खोद देती हु आप 

थोडा आराम कर लो .पिता ने कहा नही बस बैठी रहो वही पे.थोड़ी देर बाद गड्डा खोदने के बाद पिता बेटी 

को मारने उसके पास आया तो बेटी ने कहा पिता जी एक बात कहनी है अगर आपकी इजाजत हो तो मै 

कहू.पिता ने सोचा चलो सुनने मे क्या है बोलो बेटा पिता ने कहा.पिता जी मैं पढ़ने नही जाऊगी क्योकि मै 

घर पर रह कर बरतन बनाया करूगी और आप बरतन ले कर सीधा शहर जाया करे.इससे काम भी ज्यादा 

होगा और मुनाफा भी.और बात रही पढ़ाई की जब मां ठीक हो जाऐगी और वो बरतन बनाने लगेगी तब मै 

पढ़ई भी कर लूगी.बेटी की बात सुन कर पिता बेटी के पाँव मे गिर गया और बोला मुझे माफ कर दो मै 

तुम्हे बोझ समझ रहा था किन्तु तुमने मेरे गरीबी के बोझ को अपने सर ले लिया.यह कह वह बेटी को साथ 

ले अपने घर को चल दिया फंडा-दोस्तो गरीबी - अमीरी जिन्दगी के दो अहम पहिये है बेटियो को मार के 

गरीबी कभी कम नही होती .......


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