जेनरिक, सस्ती और ब्रांडेड दवाओं का सच ::
एक बार एक टी.वी. शो में कुछ आधे-अधूरे तथ्यों एवं बिना विषय से सम्बंधित उपयुक्त एवं un biased विशेषज्ञों को साथ लिए, सभी भारतीय चिकित्सकों की लगभग खिल्ली उड़ाते हुए, उनके द्वारा मरीजों को लिखे जाने वाली अच्छी कम्पनी की ब्रांडेड दवाओं के बारे में कुछ भ्रान्ति प्रचारित एवं प्रसारित की गयी. यही नहीं बाज़ार में 'जेनरिक नाम' से मिलने वाली दवाओं की गुणवत्ता को किसी भी ब्रांडेड दवा के समकक्ष दिखाया बताया गया.
दरअसल ये एक सोची समझी और चिकित्सकों की प्रतिष्ठा को गिराने की और आम जन मानस से सस्ती लोकप्रियता बटोरने की गन्दी नियत से की गयी एक कोशिश थी ..... !!
दरअसल ये एक सोची समझी और चिकित्सकों की प्रतिष्ठा को गिराने की और आम जन मानस से सस्ती लोकप्रियता बटोरने की गन्दी नियत से की गयी एक कोशिश थी ..... !!
देश के सभी लोगों को इस विषय में "सच" को जानने की आवश्यकता है.
आइये इसे समझते हैं ;🎋
किसी भी 'दवा' में आमतौर पर '2 प्रकार के रसायन' होते हैं -
1- API - (Active Pharmaceutical Ingredient) 'मुख्य अथवा सक्रीय दवा भाग' और....
2- Binder - जो कि उपरोक्त मुख्य सक्रीय दवा के साथ उसके स्थायीकरण(stabilization) हेतु मिलाया जाता है.
अब "तथ्य" कुछ इस प्रकार से हैं कि -
1- API की "कुल मात्रा" देश की 'दवा नियमावली' एवं दवा के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होती है - जैसे मानो कि किसी दवा विशेष के लिए यह अनुमति 75 to 90% के बीच की हो.
तो अच्छी कम्पनियाँ API की अधिकाधिक मात्रा (सांद्रता) रखती हैं जैसे 90%, जबकि कुछ सस्ती दवा बेचने वाली कम्पनियाँ इस सांद्रता को निचली लिमिट जैसे मात्र 75% के करीब रखती हैं. अपने यहाँ यह दवा बाज़ार non regulatory प्राय: है और सस्ती दवा के नाम पर कुछ कम्पनियाँ इस रेंज का फायदा उठातीं हैं.
ज़ाहिर है इस से दवा का मरीज़ पे होने वाला असर सीधी तौर पे प्रभावित होता है.
2- दूसरे API के कणों को किस प्रकार और किस तकनिकी से बनाया गया है?? - नैनो अथवा मध्यम या फिर सामान्य; इस बात का भी सीधा सम्बन्ध मरीज़ के खून में उपलब्ध होने वाली दवा की मात्रा से है अन्यथा अधिकांश दवा 'शौच/अवशिष्ट' में ही निकल जाती है क्यूंकि उसकी अभीष्ट मात्रा आँतों से अवशोषित ही नही हो पाती. नतीजा डाक्टर और मरीज़ दोनों ही परेशान होते हैं कि दवा खाने की बाद भी अपेक्षानुकूल लाभ क्यूँ नहीं मिल रहा.
3- बाज़ार में Binder भी कई प्रकार के होते हैं कुछ जो अच्छी कम्पनी के होते हैं वे आंतों में पहुँचने के बाद मुख्य दवा(API) को तुरंत ही छोड़ देते हैं जिससे वो अच्छे से अवशोषित हो खून में अधिक मात्रा में उपलब्ध हो जाती है. जबकि कुछ कम्पनियां बहुत ही सस्ती श्रेणी के Binder का प्रयोग करतीं हैं. जोकि मुख्य सक्रीय दवा भाग(API) को आँतों में अभीष्ट मात्रा में छोडती नहीं, ये दवाएं फिर उतनी प्रभावशाली नही होतीं.
जैसा कि आप सभी ये बात अच्छे से समझते हैं कि जब आप बाज़ार में 'सेब' या कुछ अन्य फल या खाने आदि का सामान खरीदने जाते हैं तो पाते हैं कि एक ही फल/वस्तु अलग-अलग दामों में मिल रही है. उनकी गुणवत्ता, स्वाद और स्वास्थ्य अनुकूलता भी उसी अनुपात में भिन्न-भिन्न होती है. यही बात तब भी लागू होती जब आप कोई रसोई में प्रयुक्त होने वाला उपकरण खरीदते हैं तो अलग-अलग कम्पनियों के रेट अलग होते है. यही बात कपड़ों, इलेक्ट्रोनिक्स के आइटम्स आदि पर भी लागू होती है.
अत: आवश्यकता है कि आप अपने स्वास्थ्य के मूल्य का स्वयं फैसला करें.
सयाने भी कह गये- "पहलों सुख निरोगी काया"
निसंदेह अच्छी कंपनियों की दवा का असर एकदम सटीक होता है और शीघ्रतम स्वास्थ्य लाभ करता है. और वो प्रतिस्पर्धावश अच्छे से अच्छे दवा के कण व उनकी सांद्रता का विशेष ख्याल रखतीं हैं.
इस प्रकार के पूर्वाग्रह से ग्रसित किसी भी टीवी शो अथवा न्यूज़ आदि से भ्रमित न हों.
आपके स्वास्थ्य से अधिक कीमती कुछ भी नही. अपने चिकित्सक पर पूर्ण विश्वास रखें, करोड़ों रुपये लेकर 'टीवी-शो' चलाने वालों और वहां उनकी हाँ में हाँ मिला सस्ती लोकप्रियता बटोरने वालों पे नहीं....
No comments:
Post a Comment
All the postings of mine in this whole forum can be the same with anyone in the world of the internet. Am just doing a favor for our forum users to avoid searching everywhere. I am trying to give all interesting informations about Finance, Culture, Herbals, Ayurveda, phycology, Sales, Marketing, Communication, Mythology, Quotations, etc. Plz mail me your requirement - amit.knp@rediffmail.com