March 13, 2013

इलाज - अंग का सड़ जाना





कुछ चोट लग जाती है, और कुछ छोटे बहुत गंभीर हो जाती है। जैसे 

कोई डाईबेटिक पेशेंट है चोट लग गयी तो उसका सारा दुनिया जहां एक 

ही जगह है, क्योंकि जल्दी ठीक ही नही होता है। और उसके लिए 

कितना भी चेष्टा करे करे डॉक्टर हर बार उसको सफलता नही मिलता 

है। और अंत में वो चोट धीरे धीरे गैंग्रीन (अंग का सड़ जाना) में कन्वर्ट 

हो जाती है। और फिर काटना पड़ता है, उतने हिस्से को शारीर से 

निकालना पड़ता है। ऐसी परिस्तिथि में एक औषधि है जो गैंग्रीन को भी 

ठीक करती है और Osteomyelitis (अस्थिमज्जा का प्रदाह) को भी 

ठीक करती है।

गैंग्रीन माने अंग का सड़ जाना, जहाँ पे नए कोशिका विकसित नही 


होते। न तो मांस में और न ही हड्डी में और सब पुराने कोशिका मरते 

चले जाते हैं। इसीका एक छोटा भाई है Osteomyelitis इसमें भी 

कोशिका कभी पुनर्जीवित नही होते, जिस हिस्से में होता है उहाँ बहुत 

बड़ा घाव हो जाता है और वो ऐसा सड़ता है के डॉक्टर कहता है की 

इसको काट के ही निकलना है और कोई दूसरा उपाय नही है।। ऐसे 

परिस्तिथि में जहां शारीर का कोई अंग काटना पड़ जाता हो या पड़ने की 

संभावना हो, घाव बहुत हो गया हो उसके लिए आप एक औषधि अपने 

घर में तैयार कर सकते है।

औषधि है देशी गाय का मूत्र (सूती के आट परत कपड़ो में चन कर) , 


हल्दी और गेंदे का फुल। गेंदे के फुल की पिला या नारंगी पंखरियाँ 

निकलना है, फिर उसमे हल्दी डालके गाय मूत्र डालके उसकी चटनी 

बनानी है। अब चोट कितना बड़ा है उसकी साइज़ के हिसाब से गेंदे के 

फुल की संख्या तै होगी, माने चोट छोटे एरिया में है तो एक फुल, बड़े है 

तो दो, तिन, चार अंदाज़े से लेना है। इसकी चटनी बनाके इस चटनी को 

लगाना है जहाँ पर भी बाहर से खुली हुई चोट है जिससे खून निकल 

जुका है और ठीक नही हो रहा। कितनी भी दावा खा रहे है पर ठीक नही 

हो रहा, ठीक न होने का एक कारण तो है डाईबेटिस दूसरा कोई जिनगत 

कारण भी हो सकते है। इसको दिन में कम से कम दो बार लगाना है 

जैसे सुबह लगाके उसके ऊपर रुई पट्टी बांध दीजिये ताकि उसका असर 

बॉडी पे रहे; और शाम को जब दुबारा लगायेंगे तो पहले वाला धोना 

पड़ेगा टी इसको गोमूत्र से ही धोना है डेटोल जैसो का प्रयोग मत करिए, 

गाय के मूत्र को डेटोल की तरह प्रयोग करे। धोने के बाद फिर से चटनी 

लगा दे। फिर अगले दिन सुबह कर दीजिये।

यह इतना प्रभावशाली है के आप सोच नही सकते देखेंगे तो चमत्कार 


जैसा लगेगा। इस औषधि को हमेशा ताजा बनाके लगाना है। किसीका 

भी जखम किसी भी औषधि से ठीक नही हो रहा है तो ये लगाइए। जो 

सोराइसिस गिला है जिसमे खून भी निकलता है, पस भी निकलता है 

उसको यह औषधि पूर्णरूप से ठीक कर देता है। अकसर यह एक्सीडेंट के 

केसेस में खूब प्रोयोग होता है क्योंकि ये लगाते ही खून बांध हो जाता है। 

ऑपरेशन का कोई भी घाव के लिए भी यह सबसे अच्छा औषधि है। 

गिला एक्जीमा में यह औषधि बहुत काम करता है, जले हुए जखम में 

भी काम करता है।

No comments:

Post a Comment

All the postings of mine in this whole forum can be the same with anyone in the world of the internet. Am just doing a favor for our forum users to avoid searching everywhere. I am trying to give all interesting informations about Finance, Culture, Herbals, Ayurveda, phycology, Sales, Marketing, Communication, Mythology, Quotations, etc. Plz mail me your requirement - amit.knp@rediffmail.com

BRAND Archetypes through lens -Indian-Brands

There has been so much already written about brand archetypes and this is certainly not one more of those articles. In fact, this is rather ...