जब हम किसी सुविधा के आदी (गुलाम) हो जाते है या जब कोई चीज प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दी जाती है या जब कोई चीज घर घर में पहुँच जाती है, तब वह चाहे कितनी भी अवैज्ञानिक क्यों न हो कितने ही रोग पैदा कराने वाली क्यूँ न हो , हम अपने मानसिक विकारों (लत,दिखावा, भेड़चाल आदि) के कारण उसकी असलियत को जानना ही नहीं चाहते है और यदि कोई बता दे तो वही व्यक्ति को हम दक़ियानूसी मानते है और इन मानसिक विकारों के कारण हमारे दिमाग मे सेकड़ों तर्क उठने लगते है, हमारी हर परम्पराओं मे वैज्ञानिकता थी हम भारतियों ने जड़ विज्ञान की अपेक्षा चेतन्य विज्ञान पर अधिक बल दिया और चेतन्य के आगे जड़ कही नहीं टिकता आज के युवा कब समझेंगे ?
खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ : ( Buffet System's disadvantage )
- खड़े होकर भोजन करने से निचले अंगों में वात रोग (कब्ज, गैस, घुटनों का दर्द, कमर दर्द आदि) बढ़ते है, और कब्ज बीमारियों का बादशाह है ।
- खड़े होकर भोजन करने से यौन रोगो की संभावना प्रबल होती है, जिसमे नपुंसकता, किडनी की बीमारियाँ, पथरी रोग
- पैरो में जूते चप्पल होने से पैर गरम रहते है जबकि आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए, इसलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ के साथ पैर धोने की परंपरा है !
- बार बार कतार मे लगने से बचने के लिए थाली को अधिक भर लिया जाता है जिससे जूठन अधिक छोडी जाती है, और अन्न देवता का अपमान है, खड़े होकर भोजन करने की आदत असुरो की है भारतीयों की नहीं ।
- जिस पात्र मे परोसा जाता है, वह सदैव पवित्र होना चाहिए, लेकिन इस परंपरा में झूठे हाथो के लगने से ये पात्र अपवित्र हो जाते है
(जूठे के लिए अँग्रेजी शब्दकोश मे कोई शब्द ही नहीं है,
क्योंकि वहाँ जूठे की अवधारणा ही नहीं है )
- पंगत मे भोजन कराने से उस व्यक्ति की शान होती है, वह व्यक्ति गुणी होता है
- विवाह समारोह आदि मे मेहमानो को खड़े होकर भोजन करने से मेहमान का अपमान होता है
खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ : ( Buffet System's disadvantage )
- खड़े होकर भोजन करने से निचले अंगों में वात रोग (कब्ज, गैस, घुटनों का दर्द, कमर दर्द आदि) बढ़ते है, और कब्ज बीमारियों का बादशाह है ।
- खड़े होकर भोजन करने से यौन रोगो की संभावना प्रबल होती है, जिसमे नपुंसकता, किडनी की बीमारियाँ, पथरी रोग
- पैरो में जूते चप्पल होने से पैर गरम रहते है जबकि आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए, इसलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ के साथ पैर धोने की परंपरा है !
- बार बार कतार मे लगने से बचने के लिए थाली को अधिक भर लिया जाता है जिससे जूठन अधिक छोडी जाती है, और अन्न देवता का अपमान है, खड़े होकर भोजन करने की आदत असुरो की है भारतीयों की नहीं ।
- जिस पात्र मे परोसा जाता है, वह सदैव पवित्र होना चाहिए, लेकिन इस परंपरा में झूठे हाथो के लगने से ये पात्र अपवित्र हो जाते है
(जूठे के लिए अँग्रेजी शब्दकोश मे कोई शब्द ही नहीं है,
क्योंकि वहाँ जूठे की अवधारणा ही नहीं है )
- पंगत मे भोजन कराने से उस व्यक्ति की शान होती है, वह व्यक्ति गुणी होता है
- विवाह समारोह आदि मे मेहमानो को खड़े होकर भोजन करने से मेहमान का अपमान होता है
nice topic I agreed this topic
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