January 25, 2011

भारतीय संस्कृति और हज

* 'अयोध्या' का अर्थ होता है वह जगह जहाँ युद्ध, लड़ाई व झगड़ा न हो, शांति हो। यदि देखें तो मक्का स्थित काबा शरीफ का हरम भी अयोध्या ही है। वहाँ लड़ाई-झगड़ा नहीं होता। बाप का हत्यारा भी सामने आ जाए तो वहाँ बदला नहीं ले सकते। झाड़, फूल-पत्ती व काँटे तोड़ना मना है।

शिकार खेलना, शिकार की ओर इशारा करना भी मना है। किसी भी जीव-जंतु को मारना मना है। सर की जूँ भी नहीं मार सकते। एहराम की हालत में ये सारी बातें वर्जित होती हैं। एहराम का कपड़ा, जो एक लुंगी और ऊपर एक कपड़ा लपेटा जाता है, है। इसी तरह भारतीय संस्कृति में भी बिना सिला कपड़ा पहनने की परंपरा है। दोनों में कितनी समानता है।

* पैर के खड़ाऊ में पैर ऊपर से खुला रहता है। वहाँ भी हाजी जो चप्पल पहनते हैं, उसमें भी पैर ऊपर से खुला रहता है।


'अयोध्या' का अर्थ होता है वह जगह जहाँ युद्ध, लड़ाई व झगड़ा न हो, शांति हो। यदि देखें तो मक्का स्थित काबा शरीफ का हरम भी अयोध्या ही है। वहाँ लड़ाई-झगड़ा नहीं होता। बाप का हत्यारा भी सामने आ जाए तो वहाँ बदला नहीं ले सकते। झाड़, फूल-पत्ती तोड़ना मना हैं।

* हमारे देश के सारे मंदिरों का प्रवेश द्वार पूर्व की ओर है। पूजा करते समय पुजारी का मुँह पश्चिम की ओर होता है। नमाजी नमाज पढ़ता है तो उसका मुँह भी उसी ओर रहता है। धर्मप्रेमी लोगों के लिए ये विचारणीय मुद्दे हैं। भारत और अरब के लोगों के संबंध बहुत पुराने हैं।

* हज के लिए सारे इंसानों को कोई बाधा और रोक-टोक नहीं। वहाँ का वीजा केवल यह है कि इंसान अपने प्रभु को एक मान ले। उसके अंतिम पैगम्बर हजरत मोहम्मद सल्ल. (उन पर ईश्वर की कृपा की वर्षा हो) पर विश्वास कर ले। ये शर्तें इतनी सहज और सरल हैं कि तनिक निष्पक्ष विचार से समझी जा सकती हैं।


* मुसलमान जब पवित्र काबा की परिक्रमा करते हैं तो जिस कोने से यह तवाफ (परिक्रमा) शुरू करते हैं, वहाँ कोने पर एक काला पत्थर लगा है। यह मान्यता है कि यह पत्थर जन्नत से लाकर यहाँ लगाया गया था। यह केवल एक पत्थर है।
इस्लाम के दूसरे खलीफा हजरत उमर (रजि.) ने एक बार इस पत्थर की ओर इशारा करके कहा था- 'मैं खूब जानता हूँ कि तू सिर्फ एक पत्थर है। तेरे बस में न किसी का नुकसान है और न नफा। अगर मैं रसूल अल्लाह सल्ल. को तुझे बोसा (चुंबन) देते न देखता तो मैं तुझे कभी बोसा न देता।'



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