#TheLiberalMuslim
कल शाम को वर्कप्लेस पर एक अंग्रेज़ नर्स ने बताया कि वह इस्लाम स्वीकार कर रही है. तभी एक पाकिस्तानी "लिबरल" मुस्लिम सामने आया. उसने हँसते हुए कहा - वॉव! पता नहीं उसे क्या दिख गया जो मुझे आज तक नहीं दिखाई दिया? मैं तो एक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम नहीं हूँ...पता नहीं लोगों को रिलिजन में क्या दिखाई देता है?
मैंने कहा - धर्म सबके लिए स्पिरिचुअल रिफ्यूज नहीं होता, यह अक्सर सिर्फ एक कम्युनिटी आइडेंटिटी होती है...
उस नर्स ने बताया कि वह आठ साल पहले काश्मीर घूमने गई थी. अब वे दोनों काश्मीर की हालात पर चर्चा करने लगे और एक मलयाली क्रिस्चियन कंसल्टेंट भी उसके साथ मिल गया.
उस पाकिस्तानी ने बेहद शातिर अंदाज में कहना शुरू किया - काश्मीर के बारे में कुछ भी कहने का हमारा अधिकार नहीं है. इसका फैसला वहाँ के लोग करेंगे, हम कौन होते हैं इसके बारे में बोलने वाले. काश्मीर के लोगों की इच्छा का सम्मान होना चाहिए.
और वह मलयाली क्रिस्चियन भी उसकी हाँ में हाँ मिलाने लगा. पिछले पाँच महीने से मैंने वर्कप्लेस पर पॉलिटिक्स पर बात नहीं करने का फैसला कर रखा था, पर मेरा बाँध टूट गया और मैं फट पड़ा...
मैंने कहा - भारत एक बड़ा देश है और काश्मीर इसका एक राज्य है. अपने लिए यह फैसला करने का अधिकार एक राज्य का क्यों है? यह एक ऐसा फैसला है जो पूरे देश को प्रभावित करता है. भारत मे 130 करोड़ लोग हैं. काश्मीर के डेढ़ करोड़ लोग अकेले यह फैसला कैसे ले सकते हैं?
उसने कहा - पर अगर काश्मीर के लोग भारत के साथ नहीं रहना चाहते तो आप जबरदस्ती उन्हें क्यों रखेंगे?
मैंने कहा - काश्मीर के लोग भारत के साथ क्यों नहीं रहना चाहते? काश्मीर के हिंदुओं को तो यह समस्या नहीं है? यह माँग सिर्फ काश्मीर के मुसलमानों की ही क्यों है. इसीलिए ना कि वे मुसलमान हैं?
अगर काश्मीर के मुसलमान मुसलमान होने की वजह से भारत के साथ नहीं रह सकते तो बाकी देश के मुसलमान किस हक़ से भारत में रह रहे हैं?
उन लोगों ने अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में इस डायरेक्ट अटैक की उम्मीद नहीं की थी. वे सकपकाए...नहीं, भारत के मुसलमान तो भारतीय हैं. और भारत तो आखिर एक सेक्युलर देश है. बताओ, भारत सेक्युलर है या नहीं?
मैंने कहा - कॉन्स्टिट्यूशन एक राष्ट्र को सुरक्षित रखने के लिए बनाया जाता है. ना कि राष्ट्र एक कॉन्स्टिट्यूशन को बचा कर रखने के लिए खुदकुशी कर लेता है. भारत का कॉन्स्टिट्यूशन सेक्युलर है, पर स्पष्ट है कि यह काम नहीं कर रहा. भारत सेक्युलर है. तो? क्या मुस्लिम इससे संतुष्ट हैं? यहाँ आपको सारे समान अधिकार हैं, फिर भी आप भारत के साथ नहीं रहना चाहते? तो आपको चाहिए क्या? बेशक सेक्युलरिज्म तो नहीं चाहिए... आपकी प्रॉब्लम क्या है? क्या चाहते हो? आज काश्मीर में मेजोरिटी हो इसलिए भारत के साथ नहीं रह सकते. कल को मुर्शिदाबाद में मेजोरिटी हो इसलिए वहाँ भारत के साथ नहीं रह सकते. परसों अलीगढ़ में मेजोरिटी हो इसलिए वहाँ भारत के साथ नहीं रह सकते. भारत में जहाँ जहाँ मेजोरिटी होते जाओगे वहाँ वहाँ तुम्हें अलग होना है.
क्यों छोड़ें हम काश्मीर? दो सौ साल पहले यह एक हिन्दू लैंड था. यहाँ कश्यप ऋषि हुए, कालिदास हुए, शंकराचार्य आये... आज तुम्हारी पापुलेशन बढ़ गई तो हम इसे खाली कर दें? ऐसे हम कब तक धार्मिक विस्तारवाद के सामने समर्पण करते रहेंगे, अपनी जमीन खोते रहेंगे?
उसने पूछा - तो तुम्हारा क्या सोलुशन है? तुम क्या सजेस्ट करते हो?
मैंने कहा - मेरा ऑफर सिंपल है. तुम्हें जमीन चाहिए? आओ, लड़ो और ले लो! मैं भारत की एक एक इंच जमीन के लिए जान देने को तैयार हूँ, और जान लेने को भी तैयार हूँ. चाहे एक सौ को मारना पड़े चाहे एक करोड़ को...जिसको निगोशिएट करना है, इन टर्म्स पर निगोशिएट कर सकता है...
उसने पूछा - और कब तक?
मैंने कहा - जब तक जरूरी हो? यह एक सिविलाइजेशन के सर्वाइवल की कीमत है. भारत हजारों साल पुराना सिविलाइजेशन है. इसके इतिहास में पचास सौ साल की कोई गिनती नहीं है. हम हज़ार साल तक लड़ने को तैयार हैं. हम प्रेडटर्स से घिरे हैं. हम जबतक लड़ेंगे, तभी तक जिएँगे...
इमरजेंसी के शॉप-फ्लोर पर सन्नाटा छा गया. उसने सोचा था वह अच्छी अच्छी बातें कर रहा है. उससे असहमत हुआ ही नहीं जा सकता. कोई उसकी बात का ऐसे जवाब देगा उसने उम्मीद नहीं की थी. दस मिनट बाद वह मेरे पास आया और उसने कहा - I am sorry! I respect your patriotism...
यह लिबरल मुस्लिम टेक्निक हिंदुओं को निशस्त्र कर देती है. एक मुस्लिम आपके सामने लिबरल बनकर खड़ा होता है. वह शांति की बात करता है, डेमोक्रेसी की बात करता है, काश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय की बात करता है. पर यह वह सिर्फ आपके लिए करता है. आप उसकी भाषा में बोलने लगते हैं, हथियार डाल देते हैं. आप भूल जाते हैं कि भारत सेक्युलर है, पाकिस्तान नहीं. हिन्दू सेक्युलर होगा, मुसलमान नहीं. और वह सिर्फ आपसे मुखातिब है, आपको एड्रेस कर रहा है...काश्मीर में एके47 लिए आतंकियों को नहीं, हिंदुओं का कत्ल करते और हिन्दू औरतों का बलात्कार करते जिहादियों को नहीं. उन्हें वह कहेगा भी नहीं और वे उसकी सुनेंगे भी नहीं...
एक लिबरल मुस्लिम आपको निरस्त्र करने आपके सामने आता है. वह आपसे चिकनी चुपड़ी बातें करके आपके डिफेंस को कमजोर करता है, आपसे हथियार डलवा देता है. फिर उसके पीछे जिहादी आते हैं. अगर आप उसकी भाषा में बात नहीं करते, हथियार नहीं डालते तो वह चुपचाप वापस चला जाता है. आपसे लड़ना उसका काम नहीं है. लिबरल मुस्लिम का डिपार्टमेंट बँटा हुआ है. वह आपको छोड़ कर, आपको सॉरी बोलकर कहीं और चला जाएगा, किसी और को निशाना बनाएगा, किसी और को निरस्त्र करने में लग जायेगा.
-डा. राजीव मिश्रा
कल शाम को वर्कप्लेस पर एक अंग्रेज़ नर्स ने बताया कि वह इस्लाम स्वीकार कर रही है. तभी एक पाकिस्तानी "लिबरल" मुस्लिम सामने आया. उसने हँसते हुए कहा - वॉव! पता नहीं उसे क्या दिख गया जो मुझे आज तक नहीं दिखाई दिया? मैं तो एक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम नहीं हूँ...पता नहीं लोगों को रिलिजन में क्या दिखाई देता है?
मैंने कहा - धर्म सबके लिए स्पिरिचुअल रिफ्यूज नहीं होता, यह अक्सर सिर्फ एक कम्युनिटी आइडेंटिटी होती है...
उस नर्स ने बताया कि वह आठ साल पहले काश्मीर घूमने गई थी. अब वे दोनों काश्मीर की हालात पर चर्चा करने लगे और एक मलयाली क्रिस्चियन कंसल्टेंट भी उसके साथ मिल गया.
उस पाकिस्तानी ने बेहद शातिर अंदाज में कहना शुरू किया - काश्मीर के बारे में कुछ भी कहने का हमारा अधिकार नहीं है. इसका फैसला वहाँ के लोग करेंगे, हम कौन होते हैं इसके बारे में बोलने वाले. काश्मीर के लोगों की इच्छा का सम्मान होना चाहिए.
और वह मलयाली क्रिस्चियन भी उसकी हाँ में हाँ मिलाने लगा. पिछले पाँच महीने से मैंने वर्कप्लेस पर पॉलिटिक्स पर बात नहीं करने का फैसला कर रखा था, पर मेरा बाँध टूट गया और मैं फट पड़ा...
मैंने कहा - भारत एक बड़ा देश है और काश्मीर इसका एक राज्य है. अपने लिए यह फैसला करने का अधिकार एक राज्य का क्यों है? यह एक ऐसा फैसला है जो पूरे देश को प्रभावित करता है. भारत मे 130 करोड़ लोग हैं. काश्मीर के डेढ़ करोड़ लोग अकेले यह फैसला कैसे ले सकते हैं?
उसने कहा - पर अगर काश्मीर के लोग भारत के साथ नहीं रहना चाहते तो आप जबरदस्ती उन्हें क्यों रखेंगे?
मैंने कहा - काश्मीर के लोग भारत के साथ क्यों नहीं रहना चाहते? काश्मीर के हिंदुओं को तो यह समस्या नहीं है? यह माँग सिर्फ काश्मीर के मुसलमानों की ही क्यों है. इसीलिए ना कि वे मुसलमान हैं?
अगर काश्मीर के मुसलमान मुसलमान होने की वजह से भारत के साथ नहीं रह सकते तो बाकी देश के मुसलमान किस हक़ से भारत में रह रहे हैं?
उन लोगों ने अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में इस डायरेक्ट अटैक की उम्मीद नहीं की थी. वे सकपकाए...नहीं, भारत के मुसलमान तो भारतीय हैं. और भारत तो आखिर एक सेक्युलर देश है. बताओ, भारत सेक्युलर है या नहीं?
मैंने कहा - कॉन्स्टिट्यूशन एक राष्ट्र को सुरक्षित रखने के लिए बनाया जाता है. ना कि राष्ट्र एक कॉन्स्टिट्यूशन को बचा कर रखने के लिए खुदकुशी कर लेता है. भारत का कॉन्स्टिट्यूशन सेक्युलर है, पर स्पष्ट है कि यह काम नहीं कर रहा. भारत सेक्युलर है. तो? क्या मुस्लिम इससे संतुष्ट हैं? यहाँ आपको सारे समान अधिकार हैं, फिर भी आप भारत के साथ नहीं रहना चाहते? तो आपको चाहिए क्या? बेशक सेक्युलरिज्म तो नहीं चाहिए... आपकी प्रॉब्लम क्या है? क्या चाहते हो? आज काश्मीर में मेजोरिटी हो इसलिए भारत के साथ नहीं रह सकते. कल को मुर्शिदाबाद में मेजोरिटी हो इसलिए वहाँ भारत के साथ नहीं रह सकते. परसों अलीगढ़ में मेजोरिटी हो इसलिए वहाँ भारत के साथ नहीं रह सकते. भारत में जहाँ जहाँ मेजोरिटी होते जाओगे वहाँ वहाँ तुम्हें अलग होना है.
क्यों छोड़ें हम काश्मीर? दो सौ साल पहले यह एक हिन्दू लैंड था. यहाँ कश्यप ऋषि हुए, कालिदास हुए, शंकराचार्य आये... आज तुम्हारी पापुलेशन बढ़ गई तो हम इसे खाली कर दें? ऐसे हम कब तक धार्मिक विस्तारवाद के सामने समर्पण करते रहेंगे, अपनी जमीन खोते रहेंगे?
उसने पूछा - तो तुम्हारा क्या सोलुशन है? तुम क्या सजेस्ट करते हो?
मैंने कहा - मेरा ऑफर सिंपल है. तुम्हें जमीन चाहिए? आओ, लड़ो और ले लो! मैं भारत की एक एक इंच जमीन के लिए जान देने को तैयार हूँ, और जान लेने को भी तैयार हूँ. चाहे एक सौ को मारना पड़े चाहे एक करोड़ को...जिसको निगोशिएट करना है, इन टर्म्स पर निगोशिएट कर सकता है...
उसने पूछा - और कब तक?
मैंने कहा - जब तक जरूरी हो? यह एक सिविलाइजेशन के सर्वाइवल की कीमत है. भारत हजारों साल पुराना सिविलाइजेशन है. इसके इतिहास में पचास सौ साल की कोई गिनती नहीं है. हम हज़ार साल तक लड़ने को तैयार हैं. हम प्रेडटर्स से घिरे हैं. हम जबतक लड़ेंगे, तभी तक जिएँगे...
इमरजेंसी के शॉप-फ्लोर पर सन्नाटा छा गया. उसने सोचा था वह अच्छी अच्छी बातें कर रहा है. उससे असहमत हुआ ही नहीं जा सकता. कोई उसकी बात का ऐसे जवाब देगा उसने उम्मीद नहीं की थी. दस मिनट बाद वह मेरे पास आया और उसने कहा - I am sorry! I respect your patriotism...
यह लिबरल मुस्लिम टेक्निक हिंदुओं को निशस्त्र कर देती है. एक मुस्लिम आपके सामने लिबरल बनकर खड़ा होता है. वह शांति की बात करता है, डेमोक्रेसी की बात करता है, काश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय की बात करता है. पर यह वह सिर्फ आपके लिए करता है. आप उसकी भाषा में बोलने लगते हैं, हथियार डाल देते हैं. आप भूल जाते हैं कि भारत सेक्युलर है, पाकिस्तान नहीं. हिन्दू सेक्युलर होगा, मुसलमान नहीं. और वह सिर्फ आपसे मुखातिब है, आपको एड्रेस कर रहा है...काश्मीर में एके47 लिए आतंकियों को नहीं, हिंदुओं का कत्ल करते और हिन्दू औरतों का बलात्कार करते जिहादियों को नहीं. उन्हें वह कहेगा भी नहीं और वे उसकी सुनेंगे भी नहीं...
एक लिबरल मुस्लिम आपको निरस्त्र करने आपके सामने आता है. वह आपसे चिकनी चुपड़ी बातें करके आपके डिफेंस को कमजोर करता है, आपसे हथियार डलवा देता है. फिर उसके पीछे जिहादी आते हैं. अगर आप उसकी भाषा में बात नहीं करते, हथियार नहीं डालते तो वह चुपचाप वापस चला जाता है. आपसे लड़ना उसका काम नहीं है. लिबरल मुस्लिम का डिपार्टमेंट बँटा हुआ है. वह आपको छोड़ कर, आपको सॉरी बोलकर कहीं और चला जाएगा, किसी और को निशाना बनाएगा, किसी और को निरस्त्र करने में लग जायेगा.
-डा. राजीव मिश्रा
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