हिन्दू संस्कृति सिर्फ सिर पटकने का धरम नहीं है ......
विज्ञान है ....आज का विज्ञान ....आज पूरी दुनिया में "जल ही जीवन है""पानी बचाओ""save water" पर
करोडो-अरबों-खरबों रुपये खर्च कर रही है .....
पर हमारी हिन्दू संस्कृति को यदि समझा जाए तो ..........
१..हमारे यहाँ तालाब खुदवाना पुण्य था इस से "rain water harvesting" में सहयोग मिलता था ....और
धर्मं ग्रंथों में वर्णित है की मानव जीवन में एक बार ये पुण्य कार्य अवस्य करना चाहिए |
२..शिव जी को जलाभिषेक की परंपरा और अक्षत से पक्षियों को अन्ना और जल उपलब्ध हो जाता था |
३..हर मंदिर या देवालय पर कुण्ड या कुँए की परंपरा "rain water collection" का ही एक अंग था |
४..हर घर में एक कुआं होने से बरसात का पानी सीधे जमीन के भीतर पहुँच कर भूमिगत जल का स्तर
सही रखता था |
५..नदियों में स्नान करने में पुण्य के साथ अरबों लीटर पानी भी बचता था |
मित्रों आज बड़े बड़े देशों और स्वयं भारत में गाँव गाँव में तालाबों के संरक्षण और सुन्दरीकरण के लिए
योजनायें कम कर रही हैं ....क्यों की आज बड़े बड़े भूगर्भ वैज्ञानिकों और प्रबंधकों ने इसी जल संरक्षण के
स्वरुप को सबसे प्रभावी माना है ...यदि भारतीय संस्कृति से लोग जागरूक हों तो ...इसकी नौबत ही न
आये ...
हमारी संस्कृति बहुत महान और वैज्ञानिक है .....!
विज्ञान है ....आज का विज्ञान ....आज पूरी दुनिया में "जल ही जीवन है""पानी बचाओ""save water" पर
करोडो-अरबों-खरबों रुपये खर्च कर रही है .....
पर हमारी हिन्दू संस्कृति को यदि समझा जाए तो ..........
१..हमारे यहाँ तालाब खुदवाना पुण्य था इस से "rain water harvesting" में सहयोग मिलता था ....और
धर्मं ग्रंथों में वर्णित है की मानव जीवन में एक बार ये पुण्य कार्य अवस्य करना चाहिए |
२..शिव जी को जलाभिषेक की परंपरा और अक्षत से पक्षियों को अन्ना और जल उपलब्ध हो जाता था |
३..हर मंदिर या देवालय पर कुण्ड या कुँए की परंपरा "rain water collection" का ही एक अंग था |
४..हर घर में एक कुआं होने से बरसात का पानी सीधे जमीन के भीतर पहुँच कर भूमिगत जल का स्तर
सही रखता था |
५..नदियों में स्नान करने में पुण्य के साथ अरबों लीटर पानी भी बचता था |
मित्रों आज बड़े बड़े देशों और स्वयं भारत में गाँव गाँव में तालाबों के संरक्षण और सुन्दरीकरण के लिए
योजनायें कम कर रही हैं ....क्यों की आज बड़े बड़े भूगर्भ वैज्ञानिकों और प्रबंधकों ने इसी जल संरक्षण के
स्वरुप को सबसे प्रभावी माना है ...यदि भारतीय संस्कृति से लोग जागरूक हों तो ...इसकी नौबत ही न
आये ...
हमारी संस्कृति बहुत महान और वैज्ञानिक है .....!
सही है। हमारी संस्कृति मॆं वैज्ञानिकता की कमी नहीं फिर पालन कर ने वालों की कमी ज्यादा है। धन्यवाद जी आप एक अच्छा विषय को प्रकट किया
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