आज का तथा-कथित आधुनिक विज्ञ...ान (Modern Science) कितना आधुनिक है, इस बात का प्रमाण निम्न-लिखित कुछ उदाहरणों से स्पष्ट रूप से मिल जाता है... जोकि सनातन शास्त्रों से हैं... वास्तव में यह विज्ञान भारत में युगों प्राचीन हमारे महान ऋषि-मुनिओ को भली-भाँती विदित था... परन्तु पश्चिम के अंधा-धुंध अनुसरण और अपने शास्त्रों से विमुख हो जाने के कारण, हम अपनी गौरव-मयी संस्कृति का मूल्य नहीं जानते...
सनातन शास्त्रों से इस बात के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं की पुरातन काल में यह विद्या कितनी सामान्य थी...
१) सगर के ६०,००० पुत्र... जिनका कालान्तर में ऋषि भगीरथ द्वारा उद्धार किया गया था
२) द्रोणाचार्य - द्रोणाचार्य ऋषि भरद्वाज तथा घृतार्ची नामक अप्सरा के पुत्र तथा धर्नुविद्या में निपुण परशुराम के शिष्य थे
एक समय गंगाद्वार नामक स्थान पर महर्षि भरद्वाज रहा करते थे। वे बड़े व्रतशील व यशस्वी थे। एक बार वे यज्ञ कर रहे थे। एक दिन वे महर्षियों को साथ लेकर गंगा स्नान करने गए। वहां उन्होंने देखा कि घृताची नामक अप्सरा स्नान करके जल से निकल रही है। उसे देखकर उनके मन में काम वासना जाग उठी और उनका वीर्य स्खलित होने लगा। तब उन्होंने उस वीर्य को द्रोण नामक यज्ञपात्र ( कुंभ/घड़े) में रख दिया। उसी से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ।
३) महर्षि अगस्त्य - ॠग्वेद का कथन है कि मित्र तथा वरुण नामक वेदताओं का अमोघ तेज एक दिव्य यज्ञिय कलश (कुंभ/घड़े) में पुंजीभूत हुआ... और उसी कलश के मध्य भाग से दिव्य तेज:सम्पन्न महर्षि अगस्त्य का प्रादुर्भाव हुआ
४) कर्ण - महारानी कुंती पुत्र कर्ण का जन्म तब हुआ था जब राजकुमारी कुंती अविवाहित थी
तब सूर्य नारायण के वरदान से उन्हें तत्क्षण एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुयी... जो कवच और कुंडल सहित ही प्रकट हुआ था इस में भी इसी विद्या का प्रयोग किया गया था
५) पांडव- महारानी कुंती को धर्मराज से युधिष्ठिर, पवन देव से भीम और देवराज इन्द्र से अर्जुन जैसे पुत्रो की प्राप्ति भी इसी विद्या के परिणाम स्वरुप हुयी थी... महारानी कुंती ने इन देवो से विवाह नहीं किया था... इसी प्रकार माद्री के आवाहन से अश्वनी-कुमारो से नकुल और सहदेव उत्पन्न हुए थे
६) कौरव - महारानी गांधारी के अंड-कोष (Ovaries) को निकालकर और १०० अंडानुओ (ova) को एक साथ ध्रितराष्ट्र के वीर्य कनो (sperms) के साथ जोड़ने (Fertilization) पर... एक साथ ही १०० कौरवो का जन्म हुआ था...
आधुनिक विज्ञान जिस DNA की खोज को इस युग की महानतम खोज का दर्जा देता है ( DNA was discovered by Watson and Crick in 1950s)... वही हमारे शास्त्रों में "गुण-सूत्र" नाम से लिखित है... हमारे ऋषियो को इसका भली-भाँती ज्ञान था...
आधुनिक वैज्ञानिक तरीके से न केवल किसी शिशु का जन्म, बल्कि वैज्ञानिकता के अनेक (बताये जा रहे/ हो रहे ‘आधुनिक अविष्कार हमारे प्राचीनतम वैदिक दर्शन–ज्ञान पर ही आधारित हैं’, यह अलग व दुःखद बात है कि स्वयम् हमें इसका ज्ञान नहीं है, पर जब वही ‘आध...ुनिकता की चादर’ में लिपटाकर हमारे समक्ष परोसा जाता है तो हम उसकी ओर कातर नेत्रों से देखते हैं...........और बहुधा हाथ मलते हैं किन्तु हममें अपने अतीत की ओर न झाँकने की क़ुव्वत है और नहीं न देख पाने की टीस !!!
सनातन शास्त्रों से इस बात के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं की पुरातन काल में यह विद्या कितनी सामान्य थी...
१) सगर के ६०,००० पुत्र... जिनका कालान्तर में ऋषि भगीरथ द्वारा उद्धार किया गया था
२) द्रोणाचार्य - द्रोणाचार्य ऋषि भरद्वाज तथा घृतार्ची नामक अप्सरा के पुत्र तथा धर्नुविद्या में निपुण परशुराम के शिष्य थे
एक समय गंगाद्वार नामक स्थान पर महर्षि भरद्वाज रहा करते थे। वे बड़े व्रतशील व यशस्वी थे। एक बार वे यज्ञ कर रहे थे। एक दिन वे महर्षियों को साथ लेकर गंगा स्नान करने गए। वहां उन्होंने देखा कि घृताची नामक अप्सरा स्नान करके जल से निकल रही है। उसे देखकर उनके मन में काम वासना जाग उठी और उनका वीर्य स्खलित होने लगा। तब उन्होंने उस वीर्य को द्रोण नामक यज्ञपात्र ( कुंभ/घड़े) में रख दिया। उसी से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ।
३) महर्षि अगस्त्य - ॠग्वेद का कथन है कि मित्र तथा वरुण नामक वेदताओं का अमोघ तेज एक दिव्य यज्ञिय कलश (कुंभ/घड़े) में पुंजीभूत हुआ... और उसी कलश के मध्य भाग से दिव्य तेज:सम्पन्न महर्षि अगस्त्य का प्रादुर्भाव हुआ
४) कर्ण - महारानी कुंती पुत्र कर्ण का जन्म तब हुआ था जब राजकुमारी कुंती अविवाहित थी
तब सूर्य नारायण के वरदान से उन्हें तत्क्षण एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुयी... जो कवच और कुंडल सहित ही प्रकट हुआ था इस में भी इसी विद्या का प्रयोग किया गया था
५) पांडव- महारानी कुंती को धर्मराज से युधिष्ठिर, पवन देव से भीम और देवराज इन्द्र से अर्जुन जैसे पुत्रो की प्राप्ति भी इसी विद्या के परिणाम स्वरुप हुयी थी... महारानी कुंती ने इन देवो से विवाह नहीं किया था... इसी प्रकार माद्री के आवाहन से अश्वनी-कुमारो से नकुल और सहदेव उत्पन्न हुए थे
६) कौरव - महारानी गांधारी के अंड-कोष (Ovaries) को निकालकर और १०० अंडानुओ (ova) को एक साथ ध्रितराष्ट्र के वीर्य कनो (sperms) के साथ जोड़ने (Fertilization) पर... एक साथ ही १०० कौरवो का जन्म हुआ था...
आधुनिक विज्ञान जिस DNA की खोज को इस युग की महानतम खोज का दर्जा देता है ( DNA was discovered by Watson and Crick in 1950s)... वही हमारे शास्त्रों में "गुण-सूत्र" नाम से लिखित है... हमारे ऋषियो को इसका भली-भाँती ज्ञान था...
आधुनिक वैज्ञानिक तरीके से न केवल किसी शिशु का जन्म, बल्कि वैज्ञानिकता के अनेक (बताये जा रहे/ हो रहे ‘आधुनिक अविष्कार हमारे प्राचीनतम वैदिक दर्शन–ज्ञान पर ही आधारित हैं’, यह अलग व दुःखद बात है कि स्वयम् हमें इसका ज्ञान नहीं है, पर जब वही ‘आध...ुनिकता की चादर’ में लिपटाकर हमारे समक्ष परोसा जाता है तो हम उसकी ओर कातर नेत्रों से देखते हैं...........और बहुधा हाथ मलते हैं किन्तु हममें अपने अतीत की ओर न झाँकने की क़ुव्वत है और नहीं न देख पाने की टीस !!!
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