November 08, 2010

मस्जिद कैसे बने?--Written By : - साध्वी चिदर्पिता

एक मुस्लिम् मित्र मिलेl खुले दिलोदिमाग के व्यक्ति हैं तो राम मंदिर पर चर्चा चल निकलीl लगे हाथ उन्होंने उच्चन्यायालय के फैसले पर बधाई भी दे डालीl मैंने कुछ हैरान होकर उनकी ओर देखा तो हँसते हुए बोले कि बधाई आपको ही नहीं हमें भी है, हमारी भी तो बला टलीl अब मुझे खुल कर पूछना पड़ा, कैसे? उन्होंने कहा कि जो लोग अयोध्या की लड़ाई लड़ रहे हैं क्या वे यह बता सकते हैं कि पहली मस्जिद कहाँ और कैसे बनी थी? अगर जानते हैं तो इस लड़ाई का औचित्य ही नहींl अब मेरी जिज्ञासा बढ़ने लगी और मैं सतर्क होकर उनकी बात सुनने लगीl उन्होंने आगे कहा कि पहली मस्जिद मदीना में बनीl जब मोहम्मद साहब मस्जिद बनाने के लिए ज़मीन देख रहे थे तो लगभग हर व्यक्ति अपनी जगह देकर मस्जिद बनवाना चाहता थाl उन्होंने उसका हल निकालते हुए कहा कि मेरी ऊंटनी जहाँ जाकर बैठ जायेगी, मस्जिद वहीँ बनेगीl ऊंटनी जहाँ बैठी उस ज़मीन के मालिक दो नाबालिग यतीम बच्चे निकलेl अब दूसरी परेशानी खड़ी हो गयी कि उनसे ज़मीन कैसे ली जायेl आखिर में एक धनी उनके पास गया और उनसे ज़मीन की कीमत पूछीl बच्चों ने जो कीमत बताई उससे कईं गुना कीमत उन्हें अदा की गयीl ऐसे उस ज़मीन पर पहली मस्जिद नबवी बनीl मुस्लिम धर्म में किसी भी झगड़े की ज़मीन पर मस्जिद बनाना सख्त मना हैl किसी और इमारत को तोड़कर मस्जिद बनाना भी मना हैl जिन्होंने यह कहानी सुनाई वे काज़ी साहब के सुपुत्र और जाने-माने एडवोकेट है. उनकी बात पर शक का सवाल नहीं था पर फिर भी मैंने चेक किया तो पाया कि वे एकदम सही थे. मैंने कुछ धृष्टतापूर्वक कहा कि कहीं यही तो कारण नहीं था जिससे शाहजहाँ ने सुंदर शिव मंदिर को मस्जिद न बनाकर मकबरा बना दिया? उन्होंने कुछ मुस्कुरा कर कहा हो सकता है. ज़ाहिर सी बात है कि अगर ताजमहल मकबरा न होकर मस्जिद होता तो दुनिया की सबसे खूबसूरत मस्जिदों में उसका नाम होताl अब अगर अयोध्या में मस्जिद बन ही नहीं सकती तो क्या करेंगे ज़मीन लेकर? राम की जन्मभूमि पर उनका मंदिर बन जायेगा तो किसी का क्या बिगड जायेगा?


कभी कहीं सुना था, आज याद आ रहा है,

हमीं हम हैं तो क्या हम हैं, तुम्हीं तुम हो तो क्या तुम हो? (लेखक अध्‍यात्‍म जगत से गहरे जुड़ी हैं।)

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