September 30, 2013

The Yoga of Eating

Yoga of eating

Babita Chabbra.

As I sit down to eat the khichdi I made (a light rice and lentil porridge), filled with delightful veggies, topped 
with melted ghee and ground pepper, I watch the steam rise from my plate in sheer contentment… It is a cold mid-November day. I glazed down at the plate feeling the warmth of the food in my tummy. Normally when I am absolutely famished, I can completely devour the contents of my plate, hardly taking time to breathe. But today was different. I was feeling the fullness just in the vast array of colors, the comforting smell and the sight of the drooling ghee on the plate. I wished at that moment that everybody would love khichdi the way I do and not just associate it with something you only eat when you are sick and weak.
Khichdi is my favourite savoury food...I believe that what makes it tasty is when a special ingredient is added...love.
For me, the art of loving food and the awareness of the love that has gone into making it, is the “Yoga of Eating”. Also, the awareness of applying the yoga yamas while preparing and consuming food.
It seems that in the race of the 21st century, the Yoga of Eating is subsiding as we tend to eat food on the run, nuke it in the microwave, eat while on the iPhone. So the days of sitting at a family table, saying a prayer and taking time to chew, has become an image of the past. Yet when we look into the diverse cultures and traditions around the world, sitting and eating together is a common thread that weaves the social fabric of a society.
Ashrams, churches, temples, mosques, synagogues embrace this concept of eating together. So the question is how do we integrate this value back into our busy lives? According to Johanna Baig, an artist and advocate for healthy eating from the U.S., “Society is becoming more isolated with the internet, Facebook, Twitter and everyone is too busy looking at their iPhones. So there is a decrease in interaction and relating to each other… culture is becoming more isolated. We need to make a commitment to sitting together with family and friends and also having get togethers with themes like eating foods from varying ethnic backgrounds so that one can learn about different cultures through food and reconnect”.
Through the understanding of the Yamas of Yoga, or codes of conduct, one can grasp the value of connecting with oneself and the community through eating.

Bringing yoga principle of ahimsa

Swami Maya (Maya Tiwari), renowned author in Ayurveda, defines the Yoga principal of Ahimsa or non-violence as a “commitment to protecting nature by choosing wholesome foods” and that by living Ahimsa, one is reclaiming the spirit of harmony and non-violence within you which brings joy and abundance to the family and community.
For me, this notion of Ahimsa is so apparent when I eat from my mothers hands. Even now, eating nutritious vegetarian food from my mother’s fingertips creates such a feeling of contentment within. In fact, the ancient tradition of eating food with the hands is an ahimsa practice derived from the mudras. That is to say, when we bring the fingertips together to gather food, it stimulates the five elements and invites agni or the digestive fire to activate digestion. So as each finger is an extension of one of the five elements, it serves to transform the food before even being internally digested... isn’t that amazing?

Yoga's measure: cupped hands

The hands have also been termed as the “measuring cup” for all our needs. Even the distance between the joints of each finger is a unit of measure (angula), cosmically designed to measure spices, herbs. In Ayurveda, the term anjali refers to the volume that can be held by your two hands cupped together. Sri Sri Ravi Shankar often states that when you cup your hands together that is the right amount of food intake one should have to keep a healthy balance.

Yoga principles of asteya & aparigraha

Food has a connection to all the Yamas of Yoga, like we referred to Ahimsa, so too for the concepts of Asteya (non-stealing) and Aparigraha (non-greediness). By eating junk food, non-vegetarian food or hoarding food, it can be viewed as “stealing” one’s own health from the body. Similarly when one is not greedy, i.e. eating the right quantity, type of food at a good pace, one can engage in the world with a lightness of mind and body, being better able to think, move and act with more clarity and awareness. So, it seems the Yoga of Eating spans beyond just eating when you are hungry for sustenance, but hinges upon the codes of ethics that govern a healthy, balanced mind, body and spirit. For me, it is simply an act of love, and in love, we cannot help but nourish the Self. Khichdi anyone?
(Currently based in Canada, Babeeta Chhabra teaches The Art of Living's Sri Sri Yoga and & Sri SriNatya programs. Needless to say, she's a lover of food!)

पायरिया के लक्षण और कारण:



पायरिया के लक्षण और कारण: -------
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पायरिया दाँतों की एक गंभीर बीमारी होती है जो दाँतों के आसपास की मांसपेशियों को संक्रमित करके उन्हें हानि पहुँचाती है। यह बीमारी स्वास्थ्य से जुड़े अनेक कारणों से होती है, और सिर्फ दांतों से जुड़ी समस्याओं तक सीमित नहीं होतीं। यह बीमारी दाँतों और मसूड़ों पर निर्मित हो रहे जीवाणुओं के कारणहोती है।
पायरिया के लक्षण और कारण:
नियमित आहार और दाँतों की रक्षा में रुक्षांस की कमी या पूर्ण रूप से अभाव, दाँतों में खान पान के कण अटकना और दाँतों का सड़ना, दाँतों पर अत्यधिक मैल जमना, मुँह से दुर्गन्ध का निकलना और मुँह में अरुचिकर स्वाद का निर्माण होना, जीवाणुओं का पसरण, मसूड़ों में जलन का एहसास होना और छालों का निर्माण होना, जरा सा छूने पर भी मसूड़ों से रक्तस्राव होना इत्यादि पायरिया के लक्षण होते हैं।
पायरिया के आयुर्वेदिक उपचार:
1. नीम के पत्तों की राख में कोयले का चूरा और कपूर मिलाकर रोज़ रात को लगाकर सोने से पायरिया में लाभ होता है।
2. सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दांतों पर लगाने से दांतों से निकलती हुई दुर्गन्ध और रक्त बंद होकर दांत मज़बूत होते हैं और पायरिया जड़मूल से निकल जाता है। साथ में त्रिफला गुग्गल की 1 से 3 दिन में तीन बार लें और रात में 1 से 3 ग्राम त्रिफला का सेवन करें।
3. अपने दाँत नीम के दातुन से ब्रश करें।
4. कच्चे अमरुद पर थोडा सा नमक लगाकर खाने से भी पायरिया के उपचार में सहायता मिलती है, क्योंकि यह विटामिन सी का उम्दा स्रोत होता है जो दाँतों के लिए लाभकारी सिद्ध होता है।
5. घी में कपूर मिलाकर दाँतों पर मलने से भी पायरिया मिटाने में सहायता मिलती है।
6. काली मिर्च के चूरे में थोडा सा नमक मिलाकरदाँतों पर मलने से भी पायरिया के रोग से छुटकारा पाने के लिए काफी मदद मिलती है।
7. 200 मिलीलीटर अरंडी का तेल, 5 ग्राम कपूर, और 100 मिलीलीटर शहद को अच्छी तरह मिला दें, और इस मिश्रण को एक कटोरी में रखकर उसमे नीम के दातुन को डुबोकर दाँतों पर मलें और ऐसा कई दिनों तक करें। यह भी पायरिया को दूर करने के लिए एक उत्तम उपचार माना जाता है।
क्या करें क्या न करें:
1. कब्ज़ियत से बचें। गर्म पानी में एप्सम सॉल्ट मिलाकर नहाने की भी सलाह दी जाती है।
2. दिन में दो बार दाँतों को सही और नियमित रूप से ब्रश करना बहुत ज़रूरी होता है। शरीर में मौजूद विषैले तत्वों के निष्काशनके लिए पानी का सेवन भरपूर मात्रा में करें। विटामिन सी युक्त फल, जैसे कि आंवला, अमरुद, अनार, और संतरे का भी सेवन भरपूर मात्रा में करें।
3. पायरिया के इलाज के दौरान रोगी को मसाले रहित उबली सब्ज़ियों का ही सेवन करें।

कढ़ी पत्ते में छिपे हैं औषधीय गुण ------------



कढ़ी पत्ते में ढेरों औषधीय गुण होते हैं। भारतीय भोजन में इसका प्रयोग सदियों से हो रहा है। आमतौर पर सुगंध और सजावट के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
एक शोध के मुताबिक प्रति सौ ग्राम कढ़ी पत्ते में 66.3 प्रतिशत नमी, 6.1 प्रतिशत प्रोटीन, एक प्रतिशत वसा, 16 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 6.4 प्रतिशत फाइबर और 4.2 प्रतिशत मिनरल पाया जाता है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन और विटामिन सी पाया जाता है। यह पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है।

फायदे और भी हैं..

-उल्टी और अपच में कढ़ी पत्ते को नींबू के रस और चीनी के साथ लेना फायदेमंद होता है।

-पेट में गड़बड़ी होने पर कढ़ी पत्ते को पीस छाछ में मिलाकर खाली पेट लेने पर आराम मिलता है।

-दस्त, पेचिश और बवासीर में नरम कढ़ी पत्तियों को शहद के साथ लेने पर आराम मिलता है।
-कढ़ी पत्ते की जड़ में भी औषधीय गुण होते हैं। यह किडनी के रोगियों के लिए फायदेमंद होती है।

-नियमित रूप से कढ़ी पत्तों का सेवन करने से असमय बाल सफेद नहीं होते।

-जलने और घाव में भी कढ़ी पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है।
-कढ़ी पत्तों का ताजा रस आंखों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

-कढ़ी पत्तों को नारियल के तेल में तब तक उबालें जब जब वह काली न हो जाए। फिर इन्हें बालों की जड़ों में लगाएं। बाल मुलायम और चमकीले होंगे।

-डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए सुबह दस ताजे कढ़ी पत्तों का सेवन नियमित रूप से तीन महीने तक करें।

Photo: कढ़ी पत्ते में छिपे हैं औषधीय गुण ------------
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कढ़ी पत्ते में ढेरों औषधीय गुण होते हैं। भारतीय भोजन में इसका प्रयोग सदियों से हो रहा है। आमतौर पर सुगंध और सजावट के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
एक शोध के मुताबिक प्रति सौ ग्राम कढ़ी पत्ते में 66.3 प्रतिशत नमी, 6.1 प्रतिशत प्रोटीन, एक प्रतिशत वसा, 16 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 6.4 प्रतिशत फाइबर और 4.2 प्रतिशत मिनरल पाया जाता है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन और विटामिन सी पाया जाता है। यह पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है।

फायदे और भी हैं..

-उल्टी और अपच में कढ़ी पत्ते को नींबू के रस और चीनी के साथ लेना फायदेमंद होता है।

-पेट में गड़बड़ी होने पर कढ़ी पत्ते को पीस छाछ में मिलाकर खाली पेट लेने पर आराम मिलता है।

-दस्त, पेचिश और बवासीर में नरम कढ़ी पत्तियों को शहद के साथ लेने पर आराम मिलता है।
-कढ़ी पत्ते की जड़ में भी औषधीय गुण होते हैं। यह किडनी के रोगियों के लिए फायदेमंद होती है।

-नियमित रूप से कढ़ी पत्तों का सेवन करने से असमय बाल सफेद नहीं होते।

-जलने और घाव में भी कढ़ी पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है।
-कढ़ी पत्तों का ताजा रस आंखों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

-कढ़ी पत्तों को नारियल के तेल में तब तक उबालें जब जब वह काली न हो जाए। फिर इन्हें बालों की जड़ों में लगाएं। बाल मुलायम और चमकीले होंगे।

-डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए सुबह दस ताजे कढ़ी पत्तों का सेवन नियमित रूप से तीन महीने तक करें। 

पथरी का आयुर्वेदिक होमियोपेथी इलाज

सबसे पहले कुछ परहेज !

मित्रो जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं ! (काफी लोग पान मे डाल कर खा जाते हैं )
क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम का होना है | मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिक मात्रा मे कैलशियम है लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है वो अलग बात हे| इसलिए आप चुना खाना बंद कर दीजिए|

आयुर्वेदिक इलाज !
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पखानबेद नाम का एक पौधा होता है ! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है ! उसके 10 पत्तों को 1 से डेड गिलास पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले ! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म !! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती !!! आप दिन मे 3 बार पत्ते 3 पत्ते सीधे भी खा सकते हैं !


होमियोपेथी इलाज !
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अब होमियोपेथी मे एक दवा है ! वो आपको किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर मिलेगी उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHER TINCHER ! ये उसकी पोटेंसी हे|
वो दुकान वाला समझ जायेगा| यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आइये| (स्वदेशी कंपनी SBL की बढ़िया असर करती है )

(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतना है ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERIS VULGARIS ही है )

अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है | चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है |

इससे जीतने भी stone है ,कही भी हो गोलब्लेडर gall bladder )मे हो या फिर किडनी मे हो,या युनिद्रा के आसपास हो,या फिर मुत्रपिंड मे हो| वो सभी स्टोन को पिगलाकर ये निकाल देता हे|

99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े|तो आप दो महीने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए|यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है |

और यही दवा से पित की पथरी (gallbladder stones ) भी ठीक हो जाती है ! जिसे आधुनिक डाक्टर पित का कैंसर बोल देते हैं !
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ये तो हुआ जब stone टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य मे यह ना बने उसके लिए क्या??? क्योंकि कई लोगो को बार बार पथरी होती है |एक बार stone टूट के निकल गया अब कभी दोबारा नहीं आना चाहिए इसके लिए क्या ???

इसके लिए एक और होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000|
प्रवाही स्वरुप की इस दवा के एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दीजिए|सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा|

और एक बात इस BERBERIS VULGARIS से पीलिया jaundice भी ठीक होता है !

September 21, 2013

इलाज -गठिया या संधिबात TREATMENT




गठिया या संधिबात का की सबसे अछि दावा है मेथी, हल्दी और सुखा हुआ अदरक माने सोंठ , इन तीनो को बराबर मात्रा में पिस कर, इनका पावडर बनाके एक चम्मच लेना गरम पानी के साथ सुभाह खाली पेट तो इससे घुटनों का दर्द ठीक होता है, कमर का दर्द ठीक होता है, देड़ दो महिना ले सकता है ।

और एक अछि दावा है , एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हाड़सिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ 
पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और्फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है । इस पेड़ के पांच पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके पियो तो बीस बीस साल पुराना गठिया का दर्द इससे ठीक हो जाता है । और येही पत्ते को पिस के गरम पानी में डाल के पियो तो बुखार ठीक कर देता है और जो बुखार किसी दावा से ठीक नही होता वो इससे ठीक होता है ; जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया, ये सभी ठीक होते है ।

बुखार की और एक अछि दावा है अपने घर में तुलसी पत्ता ; दस पन्दरा तुलसी पत्ता तोड़ो, तिन चार काली मिर्च ले लो पत्थर में पिस के एक ग्लास गरम पानी में मिलके पी लो .. इससे भी बुखार ठीक होता है ।

बुखार की एक और दावा है नीम की गिलोय, अमृता भी कहते है, उडूनची भी कहते है, इसको थोडासा चाकू से काट लो , पत्थर में कुचल के पानी में उबाल लो फिर वो पानी पी लेना तो ख़राब से ख़राब बुखार ठीक हो जाता है तिन दिन में । कभी कभी बुखार जब बहुत जादा हो जाते है तब खून में सेत रक्त कनिकाएं , प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाते है तब उसमे सबसे जादा काम आती है ये गिलोय ।

September 20, 2013

इलाज - Low Blood Pressure

भारत में करीब २० करोड लोग इस बीमारी से पीड़ित हे |

# योग आसन : 

रोज सुबह उठकर 5 मिनिट भ्रस्त्रिका,30 मिनिट कपालभाती ,

30 मिनिट अनुलोब विलोम का प्राणायाम करे और उसके साथ नीचे बताये इलाज में से
कोई भी एक पसंद करे....लेकिन प्राणायाम सभी इलाज में करना आवश्यक हे |

इलाज :

सबसे बेहतर उपाय
# हथेली पर गुड पानी का हल्का लेप करके गाय से चटाए १-२ मिनट से भी कम समय में आपका BP 

नियंत्रित हो जाएगा
===== अन्य बेहतर उपाय =============
१) एक ग्लास पानी में गुड, निम्बू का रस और नमक डालकर तीनों को मिलाकर एक दिन में सुबह और शाम को पीओ |

२) एक कप अनार के रस में आधी चम्मच नमक डालकर पीओ |

३) एक कप अंगूर के रस में आधी चम्मच नमक डालकर पीओ |

४ ) एक ग्लास गाय के दूध में १ चम्मच गाय का घी मिलाकर पिये |

५) मक्खन में गुड या मिशरी मिलाकर खाये |

६ ) गन्ना,संतरे या आम के रस में नमक डालकर पीओ |

७) अगर किसी गरीब के पास इस सभी के पैसे ना हो तो उसको बोलो सिर्फ पानी के एक ग्लास में नमक डालकर घोलकर पीये | 



September 17, 2013

5 Ways to Survive a Job Loss

Are these thoughts clouding your mind every day after a job loss?
  • “This is the end of the world for me!”
  • “I want to shut myself from this cruel world!”
  • “I am good for nothing!”
  • “So many commitments, how will I manage?”
“I am almost 30 and out of a job! I am not settled yet… What about my CV? It will show a gap period when I will go for inter-views! It is getting on my nerves, how do I handle all this?”
You might have been feeling this way. And there’s nothing wrong with it. But ask yourself, for how long do you want to feel that way? Forever?! Or do you want to put an end to it?
The world is not your enemy. And there are many ways to get you out of this. One of the most effectiveways is regular practice of meditation.

Fight the fear out of you with some more tips:
1. Use this time for reflection
The silver lining of your cloud of disappointments is that some-body has pushed your pause button for good. Now use this time to reflect, not regret. What were those few things that have brought you here? Can you rectify your mistakes? If "yes", don’t wait tochange what you can! If your answer is "no", there is no point regretting. It is time to move on with courage.
With meditation, you will create an atmosphere of positivity around and inside yourself. It will help dispel negative thoughts easily, even if they disturb you once in a while!
2. Communicate with your family and close friends about your problem
Have your people been over-reactive or silent about your loss? In either case, it willbe a nice idea to have a heart-to-heart conversa-tion with them to chalk out what needs to be done next. There might be conflict in opinions, but pull it through peacefully. You’ll be glad you talked to them. They are the only ones you can fall back on during trying times.
If you are meditating regularly, you’ll find talking to your people easier, as you accept the fact that they are an indispensable part of your life. This acceptance towards people and situations in-creases with meditation.
3. List down all possibilities that you can pursue
You don’t know your capacity and capabilities. You can achieve much more than you could have thought of. All you need is alignment of your ideas, focus and energy. See this happening after regular meditation!!
Come on! Get out of your pensive mood, pick up a pen and pa-per, and start scribbling a plan of action that comes to your mind, like scheduling interviews, posting your resume on job portals, networking with resourceful people, a change in our job profile, learning a new skill,opening up your own business, and so on.
Is your mind holding you back? Trust us; don’t listen to your mind this time. You’ve got to change the way things are, and that change has to come from you. A few days later, you’ll be glad you did this. Sometimes, ideas and plans need to be put in black and white to make them see the light of day.
To make this task easier, we offer you the gift of meditation. Meditation will help you open up to a boulevard of ideas. Regular meditation is a great habit to cultivate.
4. Taking up some interesting activities will help you feel better
Sometimes, the things we pursue as pastime can be the key to unlocking what the future has in store for us!
Discover your untapped potential with your practice of meditation.
Aren’t there a few things that come naturally when you are very upset?
  • If you are a guitarist, you might want to play the guitar
  • If you are a singer, you might want to sing and compose a song that speaks your heart's plight
  • If you are a painter, you might want to paint a panorama of your emotions
In any case, you must do something that you like the most, even if you think you don’t do it well. Just do it!
Meditate and see that hesitation go away. Life is to be enjoyed. Daily practice of meditation will help you realize that bad times keep coming and going. We shouldn’t get attached to such events and should keep moving on.
5. Everything happens for a good reason
When things don’t seem to be going right, we want some reassurance to keep going. The best reassurance can come from the strength within.
And that strength and confidence comes with meditation..
Have you heard this phrase way too often? It might sound trite, but it's a truth you can’t avoid. Rollback time a bit and see. Hasn’t something bad happened to you only to give way to something positive? And the most positive thing is your learning from all this. Sometimes, we need to keep saying to ourselves, "Everything happens for a reason… And something much better is in store for me in future"!
It is so important that we maintain our cool during such trying times. Start your day with meditation. It keeps you calm and gives you the strength to face the hardships through the day. So, while you are searching for jobs or taking interviews, you are managing everything so comfortably.
Meditation – His Sigh of Relief
Things were going very smooth for Satyendra Nath Pandey, until one day in the September of 2012, when the company decided to shut down its Manufacturing Operations in India. For the head of the de-partment, it meant "You are fired!" He felt as if the wind was knocked out of him. For anybody else, it would have meant the end of his ca-reer, but what was his response? "It is okay, this too shall pass".
He recalls, "My regular practice of meditation helped me face this stark reality. I had a home loan to repay and many other commit-ments. But I didn’t lose hope. I told myself, I am not going to give in, and meditation made this belief stronger. It helped me through the roughest patch of my life and made my journey smoother. Two months later, I found myself a new and better job".

Author: Ravisha Kathuria
Ravisha Kathuria, a passionate writer, has just begun dabbling in the world of words. Through her articles, she conveys the beauty of the ancient knowledge of meditation in its simplest form that are easy takeaways for the readers.
Author has written this article based on meditation inputs by Bharathy Harish, Sahaj Samadhi Meditation Teacher- ART OF LIVING BANGLORE 

भोजन करने सम्बन्धी कुछ जरुरी नियम

भोजन करने सम्बन्धी कुछ जरुरी नियम
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१ पांच अंगो ( दो हाथ , २ पैर , मुख ) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करे !
२. गीले पैरों खाने से आयु में वृद्धि होती है !
३. प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है !किउंकि पाचन क्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 ० घंटे बाद तक एवं सूर्यास्त से 2 : 3 0 घंटे पहले तक प्रवल रहती है
४. पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुह करके ही खाना चाहिए !
५. दक्षिण दिशा की ओर किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है !
६ . पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है !
७. शैय्या पर , हाथ पर रख कर , टूटे फूटे वर्तनो में भोजन नहीं करना चाहिए !
८. मल मूत्र का वेग होने पर,कलह के माहौल में,अधिक शोर में,पीपल,वट वृक्ष के नीचे,भोजन नहीं करना चाहिए !
९ परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए !
१०. खाने से पूर्व अन्न देवता , अन्नपूर्णा माता की स्तुति कर के , उनका धन्यवाद देते हुए , तथा सभी भूखो को भोजन प्राप्त हो इस्वर से ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए !
११. भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले ३ रोटिया अलग निकाल कर ( गाय , कुत्ता , और कौवे हेतु ) फिर अग्नि देव का भोग लगा कर ही घर वालो को खिलाये !
१२. इर्षा , भय , क्रोध, लोभ ,रोग , दीन भाव,द्वेष भाव,के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है !
१३. आधा खाया हुआ फल , मिठाईया आदि पुनः नहीं खानी चाहिए !
१४. खाना छोड़ कर उठ जाने पर दुबारा भोजन नहीं करना चाहिए !
१५. भोजन के समय मौन रहे !
१६. भोजन को बहुत चबा चबा कर खाए !
१७. रात्री में भरपेट न खाए !
१८. गृहस्थ को ३२ ग्रास से ज्यादा न खाना चाहिए !
१९. सबसे पहले मीठा , फिर नमकीन , अंत में कडुवा खाना चाहिए !
२०. सबसे पहले रस दार , बीच में गरिस्थ , अंत में द्राव्य पदार्थ ग्रहण करे !
२१. थोडा खाने वाले को --आरोग्य , आयु , बल , सुख, सुन्दर संतान , और सौंदर्य प्राप्त होता है !
२२. जिसने ढिढोरा पीट कर खिलाया हो वहा कभी न खाए !
२३. कुत्ते का छुवा , रजस्वला स्त्री का परोसा , श्राध का निकाला , बासी , मुह से फूक मरकर ठंडा किया , बाल गिरा हुवा भोजन , अनादर युक्त , अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करे !
२४. कंजूस का, राजा का,वेश्या के हाथ का,शराब बेचने वाले का दिया भोजन कभी नहीं करना चाहिए
यह नियम आप जरुर अपनाये और फर्क देखें

September 14, 2013

इलाज़ - डायबिटीज (DIABETES)

डायाबिटीस ( Diabetes )

भारत में करीब 5 Crore लोग यह रोग से पीड़ित हे |


रोज सुबह उठकर 5 मिनिट भ्रस्त्रिका,30 मिनिट कपालभाती ,30 मिनिट अनुलोब विलोम का प्राणायाम करे और उसके साथ नीचे बताये इलाज में से

कोई भी एक करे....
लेकिन प्राणायाम सभी इलाज में करना आवश्यक हे |


इलाज :
# 100 Gms. मेथी का दाना + 100 Gms. तेज पत्ता ( जिसे हम गरम मसाले में इस्तेमाल करते हे ) + 150 Gms जामुन के बीज का पावडर +250 Gms बेलपत्र के पत्ते का पावडर ....
ये सब को पत्थर में पीस कर पावडर बना लो |
अब ये पावडर को एक बार सुबह का नाश्ता और एक बार शाम के खाने के एक घंटे
पहले 1-1 चमच गरम पानी के साथ लो |

याद् रखे सुबह और शाम दोनों समय यह दवा ले और खाने के एक घंटे पहले खाये |

और यह दवा के इस्तेमाल के दौरान शक्कर का इस्तेमाल ना करे शक्कर की जगह गुड खा सकते हे |

यह दवा खाने के 2-3 महीने में ही सुगर लेवल से कम हो जायेगा और फिर जब सुगर लेवल से कम हो जाये तो दवा को बंद करदे लेकिन प्राणायाम को चालू रखे
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# एक चमच मेथी के दाने को रात भर गुनगुने पानी में भिगो कर रखे सुबह उठकर ये पानी पी जाओ और सभी मेथीदाने को चबा चबा कर खा जाओ |

मेथी के पावडर की फंकी कभी मत लो...हमारे यहाँ अक्सर लोग मेथी के दाने की फंकी लेते हे लेकिन यह उतनी असरकारक नहीं हे जितना गुनगुने पानी में भिगाई हुई मेथी को चाबचाबा कर खाना...तो मेथी को रात भर गुनगुने पानी में भिगो कर रखे सुबह उठकर ये पानी पी जाओ और सभी मेथीदाने को चबा चबा कर खा जाओ 

September 02, 2013

इलाज - डेंगू का उपचार (PAPAYA LEAF AND DENGUE)


आजकल डेंगू एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है, जिससे कई लोगों की जान जा रही है l

यह एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है l
तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l

यदि आपके किसी भी जानकार को यह रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो चित्र में दिखाई गयी चार चीज़ें रोगी को दें :
१) अनार जूस
२) गेहूं घास रस
३) पपीते के पत्तों का रस
४) गिलोय/अमृता/अमरबेल सत्व

- अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है l
- पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में २ से ३ बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संक्या बढ़ने लगेगी l
- गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में २-३ बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है l यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी नजदीकी पतंजली चिकित्सालय में जाकर "गिलोय घनवटी" ले आयें जिसकी एक एक गोली रोगी को दिन में 3 बार दें l

यदि बुखार १ दिन से ज्यादा रहे तो खून की जांच अवश्य करवा लें l
यदि रोगी बार बार उलटी करे तो सेब के रस में थोडा नीम्बू मिला कर रोगी को दें, उल्टियाँ बंद हो जाएंगी l
ये रोगी को अंग्रेजी दवाइयां दी जा रही है तब भी यह चीज़ें रोगी की बिना किसी डर के दी जा सकती हैं l
डेंगू जितना जल्दी पकड़ में आये उतना जल्दी उपचार आसान हो जाता है और रोग जल्दी ख़त्म होता है l
रोगी के खान पान का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि बिना खान पान कोई दवाई असर नहीं करती l







It could be a miracle cure for dengue. And the best part is you can make it at home.

The juice of the humble papaya leaf has been seen to arrest the destruction of platelets that has been the cause for so many deaths this dengue season. Ayurveda researchers have found that enzymes in the papaya leaf can fight a host of viral infections, not just dengue, and can help regenerate platelets and white
 blood cells.

Scores of patients have benefited from the papaya leaf juice, say doctors.

Papaya has always been known to be good for the digestive system. Due to its rich vitamin and mineral content, it is a health freak's favourite. But its dengue -fighting properties have only recently been discovered.

Chymopapin and papin - enzymes in the papaya leaf - help revive platelet count, say experts. ...

इलाज़ - रामफल से कैंसर का इलाज ( "GRAVIOLA" IT CAN KILL CANCER")






"10000 times stronger killer of CANCER than Chemo".. do share it.. can save many lives, fill up hopes and build confidence in the patients...

The Sour Sop or the fruit from the graviola tree is a miraculous natural cancer cell killer 10,000 times stronger than Chemo.

www.sun-gazing.com

Why are we not aware of this? Its because some big corporation want to make back their money spent on years of research by trying to make a synthetic version of it for sale.

So, since you know it now you can help a friend in need by letting him know or just drink some sour sop juice yourself as prevention from time to time. The taste is not bad after all. It’s completely natural and definitely has no side effects. If you have the space, plant one in your garden.
The other parts of the tree are also useful.

The next time you have a fruit juice, ask for a sour sop.

How many people died in vain while this billion-dollar drug maker concealed the secret of the miraculous Graviola tree?

This tree is low and is called graviola ! in Brazi l, guanabana in Spanish and has the uninspiring name “soursop” in English. The fruit is very large and the subacid sweet white pulp is eaten out of hand or, more commonly, used to make fruit drinks, sherbets and such.

The principal interest in this plant is because of its strong anti-cancer effects. Although it is effective for a number of medical conditions, it is its anti tumor effect that is of most interest. This plant is a proven cancer remedy for cancers of all types.

Besides being a cancer remedy, graviola is a broad spectrum antimicrobial agent for both bacterial and fungal infections, is effective against internal parasites and worms, lowers high blood pressure and is used for depression, stress and nervous disorders.

If there ever was a single example that makes it dramatically clear why the existence of Health Sciences Institute is so vital to Americans like you, it’s the incredible story behind the Graviola tree..

The truth is stunningly simple: Deep within the Amazon Rainforest grows a tree that could literally revolutionize what you, your doctor, and the rest of the world thinks about cancer treatment and chances of survival. The future has never looked more promising.

Research shows that with extracts from this miraculous tree it now may be possible to:
* Attack cancer safely and effectively with an all-natural therapy that does not cause extreme nausea, weight loss and hair loss
* Protect your immune system and avoid deadly infections
* Feel stronger and healthier throughout the course of the treatment
* Boost your energy and improve your outlook on life

The source of this information is just as stunning: It comes from one of America ‘s largest drug manufacturers, th! e fruit of over 20 laboratory tests conducted since the 1970's! What those tests revealed was nothing short of mind numbing… Extracts from the tree were shown to:

* Effectively target and kill malignant cells in 12 types of cancer, including colon, breast, prostate, lung and pancreatic cancer..
* The tree compounds proved to be up to 10,000 times stronger in slowing the growth of cancer cells than Adriamycin, a commonly used chemotherapeutic drug!
* What’s more, unlike chemotherapy, the compound extracted from the Graviola tree selectivelyhunts
down and kills only cancer cells.. It does not harm healthy cells!

The amazing anti-cancer properties of the Graviola tree have been extensively researched–so why haven’t you heard anything about it? If Graviola extract is

One of America ‘s biggest billion-dollar drug makers began a search for a cancer cure and their research centered on Graviola, a legendary healing tree from the Amazon Rainforest.

Various parts of the Graviola tree–including the bark, leaves, roots, fruit and fruit-seeds–have been used for centuries by medicine men and native Indi! ans in S outh America to treat heart disease, asthma, liver problems and arthritis. Going on very little documented scientific evidence, the company poured money and resources into testing the tree’s anti-cancerous properties–and were shocked by the results. Graviola proved itself to be a cancer-killing dynamo.
But that’s where the Graviola story nearly ended.

The company had one huge problem with the Graviola tree–it’s completely natural, and so, under federal law, not patentable. There’s no way to make serious profits from it.

It turns out the drug company invested nearly seven years trying to synthesize two of the Graviola tree’s most powerful anti-cancer ingredients. If they could isolate and produce man-made clones of what makes the Graviola so potent, they’d be able to patent it and make their money back. Alas, they hit a brick wall. The original simply could not be replicated. There was no way the company could protect its profits–or even make back the millions it poured into research.

As the dream of huge profits evaporated, their testing on Graviola came to a screeching halt. Even worse, the company shelved the entire project and chose not to publish the findings of its research!

Luckily, however, there was one scientist from the Graviola research team whose conscience wouldn’t let him see such atrocity committed. Risking his career, he contacted a company that’s dedicated to harvesting medical plants from the Amazon Rainforest and blew the whistle.

Miracle unleashed
When researchers at the Health Sciences Institute were alerted to the news of Graviola,! they be gan tracking the research done on the cancer-killing tree. Evidence of the astounding effectiveness of Graviola–and its shocking cover-up–came in fast and furious….

….The National Cancer Institute performed the first scientific research in 1976. The results showed that Graviola’s “leaves and stems were found effective in attacking and destroying malignant cells.” Inexplicably, the results were published in an internal report and never released to the public…

….Since 1976, Graviola has proven to be an immensely potent cancer killer in 20 independent laboratory tests, yet no double-blind clinical trials–the typical benchmark mainstream doctors and journals use to judge a treatment’s value–were ever initiated….

….A study published in the Journal of Natural Products, following a recent study conducted at Catholic University of South Korea stated that one chemical in Graviola was found to selectively kill colon cancer cells at “10,000 times the potency of (the commonly used chemotherapy drug) Adriamycin…”

….The most significant part of the Catholic University of South Korea report is that Graviola was shown to selectively target the cancer cells, leaving healthy cells untouched. Unlike chemotherapy, which indiscriminately targets all actively reproducing cells (such as stomach and hair cells), causing the often devastating side effects of nausea and hair loss in cancer patients.

…A study at Purdue University recently found that leaves from the Graviola tree killed cancer cells among six human cell lines and were especially effective against prostate, pancreatic and lung cancers Seven years of silence broken–it’s finally here

September 01, 2013

इलाज - Heart Attack Treatment by AYURVEDA




दोस्तो अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनिया जो दवाइया भारत मे बेच रही है ! वो अमेरिका मे 20 -20 साल से 

बंद है ! आपको जो अमेरिका की सबसे खतरनाक दवा दी जा रही है ! वो आज कल दिल के रोगी (heart 

patient) को सबसे दी जा रही है !! भगवान न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !लेकिन 

अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक

्टर के पास !

और आपको मालूम ही है एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन मे डाक्टर

दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और

इसका cost of production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर वो 3 से 5 लाख रुपए मे बेचते है और

ऐसे लूटते हैं आपको !

और एक बार attack मे एक stent डालेंगे ! दूसरी बार दूसरा डालेंगे ! डाक्टर को commission है इसलिए वे

बार बार कहता हैं angioplasty करवाओ angioplasty करवाओ !! इस लिए कभी मत करवाए !

तो फिर आप बोलेंगे हम क्या करे ????!

आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये !

angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे

डालता है !! वो spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन बाद उस spring की दोनों

side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा attack आता है ! और

डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लूटता

है और आपकी ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! !

अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक इलाज !!
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हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !!

उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को

ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!

वागवट जी लिखते है कि कभी भी हरद्य को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू

हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !

अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!

अमलता दो तरह की होती है !

एक होती है पेट कि अमलता ! और एक होती है रक्त (blood) की अमलता !!

आपके पेट मे अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ

रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity

होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अमलता(blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता

! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता

!! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज

सबसे सरल है !!

इलाज क्या है ??

वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का

उपयोग करो जो छारीय है !

आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !

अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline )

अब अमल और छार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????

((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????

neutral होता है सब जानते है !!
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तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की

अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और रक्त मे अमलता neutral हो गई ! तो heart attack की

जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ?????

आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी

heart attack न आए ! और अगर आ गया है ! तो दुबारा न आए !!
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सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज है वह है लोकी !! जिसे दुदी भी कहते है !! english मे इसे कहते है

bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप

रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!

स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों !


3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो

डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी कर आते है !! 3

महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है !

वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो

राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन

करने लग गए है ! और वो इतने हरामखोर है आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी का रस पियो !!

तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है

रकत की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस का सेवन करे !!

कितना करे ?????????

रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!

कब पिये ??

सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!

या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !!
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इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो

तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है !

इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!

लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन

युक्त नमक अम्लीय है !!!!

तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage

ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
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कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो

जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!

और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे ! डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !!

हमारी गौ माता बचेगी तो भारत बचेगा


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99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है पीपल का पत्ता.... शुद्ध भाव से पेपाल को प्रणाम करने के 

बाद पीपल के पेड़ से ... पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल गुलाबी कोंपलें न हों, बल्कि पत्ते हरे, कोमल व 

भली प्रकार विकसित हों। प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें। पत्ते का 

बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर 

एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें, दवा तैयार। 

इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के 

पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने की 

संभावना नहीं रहती। दिल के रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें। * पीपल के पत्ते में दिल को 

बल और शांति देने की अद्भुत क्षमता है। * इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे व 2 

बजे ली जा सकती हैं। * खुराक लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना चाहिए, बल्कि सुपाच्य व हल्का 

नाश्ता करने के बाद ही लें। * प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें। मांस, मछली, अंडे, शराब, 

धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें। नमक, चिकनाई का प्रयोग बंद कर दें। * अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, 

लहसुन, मैथी दाना, सेब का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश, गुग्गुल, दही, छाछ 

आदि लें । ...... तो अब समझ आया, भगवान ने पीपल के पत्तों को हार्टशेप क्यों बनाया.  

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HEART ATTACKS AND WATER !

 How many folks do you know who say they don't want to drink anything before going to bed because they'll have to get up during the night. Heart Attack and Water - 
I never knew all of this ! Interesting....... Something else I didn't know ... I asked my Doctor why people need to urinate so much at night time.

 Answer from my Cardiac Doctor - Gravity holds water in the lower part of your body when you are upright (legs swell). When you lie down and the lower body (legs and etc) seeks level with the kidneys, it is then that the kidneys remove the water because it is easier. This then ties in with the last statement! I knew you need your minimum water to help flush the toxins out of your body, but this was news to me. Correct time to drink water... Very Important. From A Cardiac Specialist! Drinking water at a certain time maximizes its effectiveness on the body 

2 glasses of water after waking up - helps activate internal organs 
1 glass of water 30 minutes before a meal - helps digestion 
1 glass of water before taking a bath - helps lower blood pressure
1 glass of water before going to bed - avoids stroke or heart attack I can also add to this...

 My Physician told me that water at bed time will also help prevent night time leg cramps. Your leg muscles are seeking hydration when they cramp and wake you up with a Charlie Horse. Mayo Clinic Aspirin Dr. Virend Somers, is a Cardiologist from the Mayo Clinic, who is lead author of the report in the July 29, 2008 issue of the Journal of the American College of Cardiology. 

Most heart attacks occur in the day, generally between 6 A.M. and noon. Having one during the night, when the heart should be most at rest, means that something unusual happened. Somers and his colleagues have been working for a decade to show that sleep apnea is to blame. 

1. If you take an aspirin or a baby aspirin once a day, take it at night. The reason: Aspirin has a 24-hour "half-life"; therefore, if most heart attacks happen in the wee hours of the morning, the Aspirin would be strongest in your system. 

2. FYI, Aspirin lasts a really long time in your medicine chest, for years, (when it gets old, it smells like vinegar). 

Please read on... Something that we can do to help ourselves - nice to know.
 Bayer is making crystal aspirin to dissolve instantly on the tongue. They work much faster than the tablets. Why keep Aspirin by your bedside? It's about Heart Attacks. There are other symptoms of a heart attack, besides the pain on the left arm. One must also be aware of an intense pain on the chin, as well as nausea and lots of sweating; however, these symptoms may also occur less frequently. Note: There may be NO pain in the chest during a heart attack. 

The majority of people (about 60%) who had a heart attack during their sleep did not wake up. However, if it occurs, the chest pain may wake you up from your deep sleep. If that happens, immediately dissolve two aspirins in your mouth and swallow them with a bit of water.

 Afterwards: - Call Emergency. - Phone a neighbor or a family member who lives very close by.- Say "heart attack!" - Say that you have taken 2 Aspirins. 
Take a seat on a chair or sofa near the front door, and wait for their arrival and ...DO NOT LIE DOWN! A Cardiologist has stated that if each person after receiving this e-mail, sends it to 10 people, probably one life could be saved! I have already shared this information. What about you? Do forward this message. It may save lives! "Life is a one time gift" Must Share with others..



BRAND Archetypes through lens -Indian-Brands

There has been so much already written about brand archetypes and this is certainly not one more of those articles. In fact, this is rather ...