November 29, 2012

संस्कृति - Tom Cruise or DASRATH MANJHI Who is our Real HERO?

Real Hero don't look like James Bond or has glamor of Tom Cruise .. They look like any ordinary people .. Except there work is extra-ordinary .. Dasarth Manjhi one of several Real hero of India .. Like Every Hero he worked for betterment of common people without expecting anything in return .. India is progressing because people like Dasarth Manji lives in india ... not because of Nehru Dynasty ..
 or Fake Gandhi ... Mountain Man Dashrath Manjhi (1934-2007) was born in a labourer family in Gahlour village, near Gaya in Bihar. His wife, Falguni, died due to lack of medical care, as the nearest centre was 70 km away. Dashrath did not want anyone else to suffer, so he single-handedly carved a 360-foot-long, 25-foot-high and 30-foot-wide road by cutting a mountain of Gehlour hills for 22 years from 1960 to 1982. He reduced the distance between Atri and Wazirganj blocks of Gaya district from 75 km to just one km. He died on August 17, 2007. He was given a state funeral by the Government of Bihar














November 22, 2012

संस्कृति - WAS AN INDIAN THE FIRST MAN TO FLY......








Shivkar Bapuji Talpade

संस्कृति - SURYA NAMASKAR


सूर्यनमस्कारका महत्त्व,






उसे करनेके लाभ तथा सूर्यनमस्कार करनेकी पद्धति

सूर्यनमस्कार करना

कोमल किरणोंमें पूर्वकी ओर मुख कर सूर्यनमस्कार करें ।

सूर्यनमस्कारका महत्त्वआदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने ।
जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्र्यं नोपजायते ।।

अर्थ : जो लोग सूर्यको प्रतिदिन नमस्कार करते हैं, उन्हें सहस्रों जन्म दरिद्रता प्राप्त नहीं होती ।
सूर्यनमस्कारके संभावित लाभ

अ. सभी महत्त्वपूर्ण अवयवोंमें रक्तसंचार बढता है ।

आ. हृदय व फेफडोंकी कार्यक्षमता बढती है ।

इ. बाहें व कमरके स्नायु बलवान हो जाते हैं ।

ई. कशेरुक व कमर लचीली बनती है ।

उ. पेटके पासकी वसा (चरबी) घटकर भार मात्रा (वजन) कम होती है ।

ऊ. पचनक्रियामें सुधार होता है ।

ए. मनकी एकाग्रता बढती है ।

सूर्यनमस्कारके समय की जानेवाली श्वसनक्रियाओंका अर्थ

१. पूरक अर्थात् दीर्घ श्वास लेना

२. रेचक अर्थात् दीर्घ श्वास छोडना

३. कुंभक अर्थात् श्वास रोककर रखना । आंतर्कुंभक अर्थात् श्वास भीतर लेकर रोकना व बहिर्कुभक अर्थात् श्वास बाहर छोडकर रोकना

सूर्यनमस्कारके समय किए जानेवाले विविध नामजप

१. ॐ मित्राय नमः ।

२. ॐ रवये नमः ।

३. ॐ सूर्याय नमः ।

४. ॐ भानवे नमः ।

५. ॐ खगाय नमः ।

६. ॐ पूष्णे नमः ।

७. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ।

८. ॐ मरिचये नमः ।

९. ॐ आदित्याय नमः ।

१०. ॐ सवित्रे नमः ।

११. ॐ अर्काय नमः ।

१२. ॐ भास्कराय नमः ।

१३. ॐ श्री सवितृसूर्यनारायणाय नमः ।

सूर्यनमस्कार करनेकी पद्धति

कुल दस योगस्थितियां मिलकर एक सूर्यनमस्कार बनता है । प्रत्येक सूर्यनमस्कारके पूर्व क्रमवार ‘ॐ मित्राय नमः ।’ इस क्रमसे एक-एक जप कर सूर्यनमस्कार करें व अंतमें ‘ॐ श्री सवितृसूर्यनारायणाय नमः ।’ इस समालोचनात्मक नामजपका उच्चार करें । प्रत्येक योगस्थिति एक विशिष्ट आसन है । सूर्यनमस्कार करते समय प्रत्येक स्थितिमें हेर-फेर कर ‘पूरक’ व ‘रेचक’ पद्धतिसे श्वसनक्रिया जारी रखें, उदा. ‘स्थिति २’ में ‘पूरक’, ‘स्थिति ३’ में ‘रेचक’, पुनः स्थिति ४’ में ‘पूरक’ । सूर्यनमस्कारसे शारीरिक लाभ अधिक मिले, इस हेतु प्रत्येक स्थितिमें १० से १५ सेकंडतक स्थिर रहनेका प्रयत्न करना चाहिए ।

स्थिति १

प्रार्थनासन : दोनों पैर एक-दूसरेसे सटाए रखें । दोनों हाथ छातीके मध्यमें नमस्कारकी स्थितिमें सीधे जुडे हों । गर्दन तनी हुई व दृष्टि सामने हो ।

श्वसनस्थिति : कुंभक

लाभ : शरीरका संतुलन साध्य होता है ।

स्थिति २

ताडासन : दोनों ही हाथोंको ऊपरकी दिशामें ले जाते हुए थोडासा पीछेकी ओर नमस्कारकी स्थितिमें तानकर (कोहनी मोडे बिना) रखें । गर्दन दोनों हाथोंके बीचमें रखकर कमरमें पीछेकी ओर थोडा झुवें । दृष्टि ऊपरकी दिशामें स्थिर रखें ।

श्वसनस्थिति : पूरक (पहली स्थितिसे दूसरी स्थितिमें जाते समय धीरे-धीरे दीर्घ श्वास लें ।)

लाभ : छातीके स्नायु बलवान होते हैं व श्वसनतंत्रके लिए उपयुक्त है ।

स्थिति ३

उत्तानासन : सामने झुकते हुए हाथ धीरे-धीरे भूमिकी दिशामें ले जाएं । तत्पश्चात् कमरसे झुककर खडे रहें । दोनों हथेलियोंको पैरोंके पाश्र्वमें भूमिपर टिकाकर घुटने मोडे बिना मस्तक (कपाल) को घुटनोंसे स्पर्श करानेका प्रयास करें ।

श्वसनस्थिति : रेचक (दूसरी स्थितिसे तीसरी स्थितिमें जाते समय श्वास धीरे-धीरे छोडें ।)

लाभ : कमर व रीढ लचीली बनती है, स्नायु बलवान होते हैं व यकृत जैसे पेटके अवयवोंके लिए उपयुक्त है ।

स्थिति ४

एकपाद प्रसरणासन : धीरे-धीरे घुटने झुकाकर एक पैर भूमिसे सटाकर पीछेकी ओर ले जाएं । हाथके पंजे भूमिपर टिके हुए हों । दूसरे पैरका पंजा दोनों ही हाथोंके बीचमें रखें । दूसरा पैर घुटनेमें मुडा हो । छातीका दबाव जांघोंपर डालें । दृष्टि ऊपरकी दिशामें हो ।

श्वसनस्थिति : पूरक

लाभ : पैरके स्नायु बलवान होकर पीठकी रीढ व गर्दनके स्नायुओंमें लचीलापन आता है ।

स्थिति ५

चतुरंग दंडासन : धीरे-धीरे दूसरे पैरको भी पीछे ले जाकर पहले पैरके साथ जोडें । दोनों ही पैरके घुटने सीधे रखें । हथेलियों व पैरोंके पंजोंपर संपूर्ण शरीर संभालें । एडियां, कमर व सिर, इन्हें सीधी रेखामें रखें । दृष्टि हाथोंसे कुछ ही दूर भूमिपर स्थिर हो । (हथेलियां व पैरोंके पंजे, इन चार अंगोंपर दंडसमान सीधी रेखामें शरीर संभाला जाता है । इसलिए इसे ‘चतुरंग दंडासन’ कहते हैं ।)

श्वसनस्थिति : रेचक

लाभ : बाहें बलवान बनती हैं व शरीर संतुलित हो जाता है ।

स्थिति ६

अष्टांगासन : दोनों हथेलियोंको मोडकर छातीके पास भूमिपर रखें व संपूर्ण शरीर भूमिकी दिशामें ले जाएं । मस्तक, छाती, दोनों हथेलियां, दोनों घुटने व दोनों पंजे, ऐसे आठ अंग भूमिपर टेकें । (इस आसनमें शरीरके आठ अंगोंका भूमिको स्पर्श होता है; इसलिए यह ‘अष्टांगासन’ है ।)

श्वसनस्थिति : कुंभक (बहिर्कुभक)

लाभ : स्थिति ७ के अनुसार

स्थिति ७

भुजंगासन : कमरका ऊपरी भाग आगे ले जाते समय ऊपरकी दिशामें उठाएं । कमरको दोनों हाथोंके बीचोबीच लाकर कमरका ऊपरी भाग पीछेकी दिशामें झुकाएं । दृष्टिको सामनेसे उठाते हुए पीछेकी ओर ले जाएं । जांघ व पैर भूमिसे चिपके हुए हों । रीढ अर्धगोलाकर हो ।

श्वसनस्थिति : पूरक

लाभ : रीढ व कमर लचीली बनती है तथा स्नायु बलवान बनते हैं ।

‘स्थिति ५, स्थिति ६ व स्थिति ७’ की स्थितियोंके एकत्रित परिणामसे बाहोंमें बलवृद्धि होती है व पेट तथा कमरकी वसा (चरबी) कम होती है ।

स्थिति ८

अधोमुख श्वानासन : धीरे-धीरे कमर उपरी दिशामें लेते समय नितंब पूर्णतः ऊपरकी दिशामें खींचें । हाथ व पैर भूमिपर संपूर्ण टिकाकर शरीरका कोण बनाएं । पैरोंको आगे न लेकर, एडियोंको भूमिपर टिकाते हुए, गर्दन झुकाकर ठोडी छातीपर टिकानेका प्रयास करें ।

श्वसनक्रिया : रेचक

लाभ : पीठ, रीढ व कमरके स्नायुओंके लिए लाभदायी

स्थिति ९

एकपाद प्रसरणासन : ‘स्थिति ३’ से ‘स्थिति ४’ में जाते हुए पीछे लिए गए पैरको आगे लाते हुए चौथी स्थितिसमान स्थितिमें आएं ।
श्वसनस्थिति : पूरक

स्थिति १०

उत्तानासन : तीसरे क्रमांककी स्थितिसमान स्थितिमें आएं ।

श्वसनस्थिति : रेचक

तत्पश्चात् शरीर पुनः धीरे-धीरे उपर उठाकर प्रार्थनासनकी स्थितिमें (स्थिति १) आनेपर एक सूर्यनमस्कार पूर्ण होता है । प्रतिदिन सुबह इस प्रकार कमसे कम बारह सूर्यनमस्कार करें । (जिन्हें गर्दनके विकार हैं, वे किसी विशेषज्ञके मार्गदर्शनमें सूर्यनमस्कार करें ।)
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November 07, 2012

संस्कृति- Wonderful story….with POWERFUL lesson




Wonderful story….with POWERFUL lesson

A woman baked chapatti (roti) for members of her family and an extra one for a hungry passerby. She kept the extra chapatti on the window sill, for whosoever would take it away. Every day, a hunchback came and took away the chapatti. Instead of expressing gratitude, he muttered the following words as he went his way: “The evil you do remains with you: The goo
d you do, comes back to you!” This went on, day after day. Every day, the hunchback came, picked up the chapatti and uttered the words:

“The evil you do, remains with you: The good you do, comes back to you!” The woman felt irritated. “Not a word of gratitude,” she said to herself… “Everyday this hunchback utters this jingle! What does he mean?” One day, exasperated, she decided to do away with him. “I shall get rid of this hunchback,” she said. And what did she do? She added poison to the chapatti she prepared for him!

As she was about to keep it on the window sill, her hands trembled. “What is this I am doing?” she said. Immediately, she threw the chapatti into the fire, prepared another one and kept it on the window sill. As usual, the hunchback came, picked up the chapatti and muttered the words: “The evil you do, remains with you: The good you do, comes back to you!”

The hunchback proceeded on his way, blissfully unaware of the war raging in the mind of the woman. Every day, as the woman placed the chapatti on the window sill, she offered a prayer for her son who had gone to a distant place to seek his fortune. For many months, she had no news of him.. She prayed for his safe return.

That evening, there was a knock on the door. As she opened it, she was surprised to find her son standing in the doorway. He had grown thin and lean. His garments were tattered and torn. He was hungry, starved and weak. As he saw his mother, he said, “Mom, it’s a miracle I’m here. While I was but a mile away, I was so famished that I collapsed. I would have died, but just then an old hunchback passed by. I begged of him for a morsel of food, and he was kind enough to give me a whole chapatti. As he gave it to me, he said, “This is what I eat everyday: today, I shall give it to you, for your need is greater than mine!”

” As the mother heard those words, her face turned pale. She leaned against the door for support. She remembered the poisoned chapatti that she had made that morning. Had she not burnt it in the fire, it would have been eaten by her own son, and he would have lost his life!

It was then that she realized the significance of the words: “The evil you do remains with you: The good you do, comes back to you!” Do good and Don’t ever stop doing good, even if it is not appreciated at that time. If you like this, share it with others and I bet so many lives would be touched.


BRAND Archetypes through lens -Indian-Brands

There has been so much already written about brand archetypes and this is certainly not one more of those articles. In fact, this is rather ...